मुजफ्फरपुर/पटना,आठ दिसंबर बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन बृहस्पतिवार को कुढ़नी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में हार का सामना करना पड़ा और इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता ने जीत दर्ज की। गुप्ता ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी जनता दल (यूनाइटेड) के उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा को 3,645 मतों के अंतर से पराजित किया।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुछ ही महीने पहले भाजपा से अलग होकर महागठबंधन में शामिल हुए थे, जिसमें राष्ट्रीय जनता दल (राजद) एक प्रमुख घटक दल है।
नीतीश की पार्टी (जद-यू) ने उपचुनाव में अपने उम्मीदवार मनोज सिंह कुशवाहा की हार के लिए स्थानीय कारकों को जिम्मेदार ठहराया।
पूर्व में कुशवाहा और गुप्ता, दोनों ने अपने-अपने दलों से इस सीट पर जीत हासिल की थी।
नीतीश ने महज चार महीने पहले भाजपा से नाता तोड़ कर राज्य में महागठबंधन की सरकार बनाई थी।
उपचुनाव में जीत के साथ राज्य विधानसभा में भाजपा के सदस्यों की संख्या बढ़ कर 78 हो गई, जो राजद के आंकड़े से महज एक सीट कम है।
भाजपा की प्रदेश इकाई के प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा, ‘‘यह एक बड़ी जीत है।’’ उन्होंने दावा किया कि जद(यू) ने अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक नहीं, बल्कि दो ‘डमी’ (वोटकटवा) उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन इसका उसे कोई फायदा नहीं मिला।
आनंद के मुताबिक, विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) और एआईएमआईएम ने उपचुनाव में जद(यू) उम्मीदवार की जीत सुनिश्चित करने की नाकाम कोशिश की।
भाजपा नेता ने दावा किया कि वीआईपी से निषाद समुदाय का वोट काटने की उम्मीद की गई थी, जिससे (समुदाय से) इसके (वीआईपी) के संस्थापक मुकेश सहनी आते हैं। मुजफ्फरपुर जिले में इस समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है। इसी जिले में कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र आता है।
उल्लेखनीय है कि एआईएमआईएम को 3,202 वोट मिले, जबकि 4,446 मतदाताओं ने ‘उपरोक्त में कोई नहीं’ (नोटा) के लिए बटन दबाया। नोटा को मिले वोट विजेता उम्मीदवार के जीत के अंतर से अधिक है।
इस बीच, जद(यू) नेता विजय कुमार चौधरी ने उपचुनाव के नतीजे को ‘अप्रत्याशित’ बताया।
उन्होंने एक बयान में कहा, ‘‘शुरूआत में, ऐसा प्रतीत हुआ कि स्थानीय कारकों ने उपचुनाव में सरकार की उपलब्धियों पर पानी फेर दिया।’’
इस बीच, महागठबंधन के एक घटक दल भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी(एमएल) के प्रदेश सचिव कुणाल ने एक बयान में आगाह करते हुए कहा, ‘‘उपचुनाव के नतीजे भाजपा विरोधी वोट में विभाजन को प्रदर्शित करते हैं। इसे हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए।’’
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने कुढ़नी में भाजपा को मिली जीत के बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से इस्तीफा मांगा है।
सुशील मोदी ने कहा कि नीतीश कुमार के महागठबंधन ने कुढ़नी में करोड़ों रूपये पानी की तरह बहाये, सारे हथकंडे अपनाए, फिर भी वहां के मतदाताओं ने भाजपा की जीत पक्की की ।
उन्होंने कहा कि चुनाव में लालू जी के नाम का भी उपयोग किया गया, उनके किडनी प्रतिरोपण का विषय उठाकर भावनात्मक कार्ड खेला गया, मुख्यमंत्री ने भी कई सभाएं की और इस चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाया । लेकिन उपचुनाव में अंतत: भाजपा ने जीत हासिल की ।
वहीं, भाजपा नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि लोगों ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर जबर्दस्त भरोसा व्यक्त किया है और चुनाव परिणाम महागठबंधन के मुंह पर तमाचा है।
वहीं, जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ नेता उपेंद्र कुशवाहा ने अपने ट्वीट में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की कविता ‘क्या हार में, क्या जीत में’ की कुछ पंक्तियों के साथ अपने ट्वीट में कहा, ‘‘ कुढ़नी के परिणाम से हमें बहुत कुछ सीखने की ज़रूरत है। पहली सीख- “जनता हमारे हिसाब से नहीं बल्कि हमें जनता के हिसाब से चलना पड़ेगा।”
इस सीट पर चुनाव कराने की जरूरत इसलिये हुई क्योंकि राजद के वर्तमान विधायक अनिल कुमार सहनी को अयोग्य घोषित कर दिया गया था। वर्ष 2020 में हुए चुनाव में सहनी ने अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी भाजपा के केदार गुप्ता को करीब 700 वोट से पराजित किया था ।
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