(आनन्द राय)
लखनऊ, सात अगस्त वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीट जीतने के अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए कवायद शुरू कर दी है और इसके तहत इसने खासतौर पर, यादव, जाटव और पसमांदा मुसलमानों को साधने का उपक्रम शुरू कर दिया है, जो दूसरे दलों के परंपरागत मतदाता माने जाते रहे हैं।
राज्य के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने 31 जुलाई को ट्वीट किया था, ‘‘यदुवंशियों (यादव) रविदासवंशियों (जाटव) के साथ-साथ पसमांदा मुसलमानों को भी भाजपा के साथ लाएंगे। (वर्ष) 2024 में उप्र के हर बूथ पर कमल ही कमल खिलाएंगे।''
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में हुए आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा उपचुनाव जीतने के बाद दावा किया था कि 2024 में उत्तर प्रदेश की 80 में 80 लोकसभा सीट जीतेंगे। इसके पहले भाजपा ने 80 में 75 सीट जीतने का लक्ष्य निर्धारित किया था। अब विशेष रूप से भाजपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीट जीतने के लिए यादव, जाटव (अनुसूचित जाति) और पसमांदा (पिछड़े) मुसलमानों को भी साधने में जुट गई है।
मौर्य के ट्वीट से इस बात के संकेत मिल रहे हैं कि 2024 के चुनावों में समाजवादी पार्टी (सपा) के मुस्लिम और यादव 'एमवाई' समीकरण तथा बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के परंपरागत जाटव मतदाताओं को अपने पाले में लाने के लिए भाजपा पूरी ताकत से जुट गई है।
इस बीच, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव व मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने 'पीटीआई-' से बातचीत में मौर्य पर निशाना साधते हुए कहा, ''हम जातिगत राजनीति करते हैं। हमारी विचारधारा समाजवाद और सामाजिक न्याय पर आधारित है।'' चौधरी ने कहा, ''संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद वह (केशव मौर्य) क्या बोल रहे हैं, इसकी सच्चाई लोग जानते हैं।''
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