BJP पदाधिकारी ने करीब चार करोड़ रुपये की जब्ती मामले को रद्द कराने के लिए अदालत का रुख किया

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने तिरुनेलवेली संसदीय क्षेत्र में कथित तौर पर मतदाताओं में वितरित करने के लिए रखे गए 3.99 करोड़ रुपये की जब्ती के संबंध में सीबी-सीआईडी द्वारा दर्ज मामले को रद्द कराने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया है.

BJP | Photo- X

चेन्नई, 24 मई : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की तमिलनाडु इकाई के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने तिरुनेलवेली संसदीय क्षेत्र में कथित तौर पर मतदाताओं में वितरित करने के लिए रखे गए 3.99 करोड़ रुपये की जब्ती के संबंध में सीबी-सीआईडी द्वारा दर्ज मामले को रद्द कराने के लिए मद्रास उच्च न्यायालय का रुख किया है. तिरुनेलवेली लोकसभा सीट पर इस बार भाजपा ने विधायक नैगनर नागेंद्रन को उम्मीद बनाया है.

भाजपा के राज्य संगठन सचिव केशव विनयगम द्वारा दायर याचिका न्यायमूर्ति सी सरवनन के समक्ष सुनवाई के लिए शुक्रवार को आई थी. अदालत ने सीबी-सीआईडी को नोटिस जारी करने का आदेश दिया और मामले की सुनवाई की अगली तारीख तीन जून निर्धारित की. अपनी याचिका में केशव विनायगम ने कहा कि चुनाव पर नजर रख रहे एक उड़न दस्ते ने छह अप्रैल को तांबरम रेलवे स्टेशन पर नेल्लई एक्सप्रेस में तलाशी ली थी और नागेंद्रन और एक अन्य व्यक्ति के होटलों में कार्यरत दो व्यक्तियों को भारी मात्रा में नकदी के साथ पकड़ा था. यह भी पढ़ें : चार जून के बाद विपक्ष की हालत ‘दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा’ होगी : ब्रजेश पाठक

दस्ते ने 3.99 करोड़ रुपये जब्त किये और इसे तहसलीदार के हवाले कर दिया तथा तांबरम पुलिस ने एक मामला दर्ज किया था. उन्होंने कहा कि इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया लेकिन उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया. उन्होंने याचिका में कहा कि इस बीच सीबी-सीआईडी पुलिस ने फिर से मामला दर्ज किया और तीन लोगों के बयान दर्ज किए. उनके बयानों के आधार पर पुलिस ने कुछ अन्य लोगों के बयान दर्ज किए और 20 मई को याचिकाकर्ता और दो अन्य लोगों को अगले दिन पुलिस के सामने पेश होने के लिए समन भेजा गया.

उन्होंने कहा, याचिकाकर्ता ने ऐसा करने में असमर्थता जताई क्योंकि वह तमिलनाडु में संसदीय चुनाव के प्रभारी थे और अन्य राज्यों में पर्यवेक्षक भी हैं. उन्होंने कहा कि वह निर्दोष हैं और उनका पैसे की जब्ती और गिरफ्तार लोगों से कोई लेना-देना नहीं है. तमिलनाडु में 19 अप्रैल को मतदान के बाद उन्हें दूसरे राज्यों का कार्यभार सौंपा गया था.

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