फाइनल मुकाबले से पहले फेडरर के भेजे गये संदेश ने बेंचिच को जीत के लिए प्रेरित किया. बीस ग्रैंडस्लैम खिताब के विजेता फेडरर ओलंपिक में खुद कभी एकल स्वर्ण पदक नहीं जीत पाये. लंदन ओलंपिक (2012) में एंडी मर्रे से हारने के बाद उन्हें रजत पदक से संतोष करना पड़ा था. इससे पहले 2008 में उनकी और स्टान वावरिंका की पुरुष युगल जोड़ी ने कांस्य पदक जीता था. ओलंपिक फाइनल में 12वीं वरीयता प्राप्त बेंचिच ने चेक गणराज्य की मर्केटा वोंड्राउसोवा को 7-5, 2- 6, 6-3 हराकर स्वर्ण पदक अपने नाम किया.
फेडरर ही नहीं बेंचिच की आदर्श मार्टिना हिंगस भी ओलंपिक में कभी स्वर्ण पदक जीतने में नाकाम रही है. बेंचिच ने चैम्पियन बनने के बाद कहा,‘‘ मुझे लगता है कि मैंने इसे उनके (फेडरर और हिंगिस) लिए जीता है. उन्होंने करियर में बहुत कुछ हासिल किया है. मुझे यकीन नहीं है कि मैं कभी वैसा कर पाऊंगी. लेकिन हो सकता है कि मैं उन्हें यह ओलंपिक पदक देकर उनकी मदद कर सकूं. यह मार्टिना (हिंगिस) और रोजर (फेडरर) दोनों के लिए है.’’ यह भी पढ़ें : Tokyo Olympics 2020: जीत का जश्न मनाने में घायल आयरलैंड का मुक्केबाज ओलंपिक से बाहर
जब उनसे पूछा गया कि क्या फेडरर उनके संपर्क में थे तो उन्होंने कहा, ‘‘ हाँ, मुझे उनका लिखित संदेश मिला था. उन्होंने कहा कि यह मेरे सपनों को पूरा करने के लिए एकदम सही दिन है और मैं इससे बहुत खुश हूं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘वह इस मामले में शानदार है . वह वास्तव में स्विट्जरलैंड के सभी खिलाड़ियों का समर्थन करते है. वह हमेशा हमारा साथ देते है. मुझे रोजर फेडरर से जिस प्रकार का समर्थन मिला है वह अविश्वसनीय है , इसलिए यह जीत भी उनके लिए है.’