लंबित सड़क परियोजनाओं को मंजूरी देकर बैंकों को 3 लाख करोड़ रुपये के एनपीए से बचाया गया: सरकार
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि 2014 से अब तक देश में लंबित विभिन्न सड़क परियोजनाओं को मंजूरी देकर भारतीय बैंकों को तीन लाख करोड़ रुपये के एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) से बचाया गया है.
नयी दिल्ली, 14 दिसंबर : सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि 2014 से अब तक देश में लंबित विभिन्न सड़क परियोजनाओं को मंजूरी देकर भारतीय बैंकों को तीन लाख करोड़ रुपये के एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्ति) से बचाया गया है. गडकरी ने कहा कि 415 सड़क परियोजनाएं ऐसी हैं जहां 95 प्रतिशत काम पूरा हो गया है लेकिन उन्हें लंबित परियोजनाओं की सूची में रखा गया है. उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही ऐसी सभी लंबित परियोजनाओं की निगरानी करेगी और उन्हें जल्द से जल्द पूरा करने का प्रयास करेगी. उन्होंने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा, "ऐसी 415 परियोजनाएं हैं जिनमें 95 प्रतिशत काम पूरा हो गया है और उन्हें लंबित परियोजनाएं कहा जाता है. जब 2014 में हमारी सरकार आई थी, उस समय 3.85 लाख रुपये की परियोजनाएं थीं, जो विभिन्न कारणों से बंद पड़ी थीं."
गडकरी ने कहा कि सरकार बनने के बाद उसने बैंकरों से बात की और भूमि अधिग्रहण जैसे मुद्दों सहित विभिन्न बाधाओं को दूर किया और राज्य सरकारों के साथ समन्वय के साथ काम किया. उन्होंने कहा कि सरकार ने भारतीय बैंकों को तीन लाख करोड़ रुपये की राशि को एनपीए होने से बचाया है. उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के दौरान कुछ परियोजनाओं में कार्य का विस्तार दिया गया और ऐसी परियोजनाएं भी लंबित परियोजनाओं के तहत आ गई हैं. गडकरी ने कहा कि ठेकेदारों की नाकामी या नियंत्रण से बाहर के विभिन्न कारणों से परियोजनाओं में देरी हुई है. उन्होंने कहा, ‘‘हम तीन महीने के भीतर उन सभी परियोजनाओं की राज्यवार निगरानी करेंगे जो अधूरी हैं.’’ यह भी पढ़ें : सीबीआई ने एसबीआई से 352 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी में आभूषण कंपनियों के खिलाफ मामला दर्ज किया
उन्होंने अपने लिखित जवाब में कहा, "सरकार स्वीकृत परियोजनाओं की लगातार निगरानी करती है और इस कवायद के तहत विभिन्न राज्यों में 719 लंबित राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की पहचान की गई है.’’ गडकरी ने कहा कि ये परियोजनाएं रुकी नहीं हैं, बल्कि कुछ राज्यों में औसत से अधिक मानसूनी बारिश, कोविड महामारी, भूमि अधिग्रहण में अड़चनें, वैधानिक मंजूरी जैसे विभिन्न कारणों से उनके पूरा होने की निर्धारित तिथि आगे बढ़ गई हैं. उन्होंने कहा कि इन 719 परियोजनाओं में से 268 में एक वर्ष से कम समय की देरी हुई है और 438 परियोजनाओं के चालू वित्त वर्ष में पूरा हो जाने की उम्मीद है.