मुंबई, 26 दिसंबर वित्त वर्ष 2023-24 में बैंकों की लाभप्रदता में लगातार छठे साल सुधार हुआ और उनका फंसा कर्ज घटकर 13 साल के निचले स्तर 2.7 प्रतिशत पर आ गया। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बृहस्पतिवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी।
बैंकिंग के रुझान और प्रगति पर जारी आरबीआई की यह रिपोर्ट कहती है कि देश की सशक्त वृहद-आर्थिक बुनियाद ने घरेलू बैंकिंग और गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्रों के प्रदर्शन और सुदृढ़ता को बढ़ावा दिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकों की लाभप्रदता 2023-24 में लगातार छठे वर्ष बढ़ी और यह 2024-25 की पहली छमाही में भी बढ़ती रही।
आरबीआई रिपोर्ट कहती है कि परिसंपत्ति की गुणवत्ता बेहतर हुई है और इनका सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) अनुपात मार्च, 2024 के अंत में 2.7 प्रतिशत और सितंबर, 2024 के अंत में 2.5 प्रतिशत पर आ गया, जो 13 साल का सबसे निचला स्तर है।
इस अवधि में बैंकों की पूंजी की स्थिति संतोषजनक रही, जो कर्ज अनुपात और पूंजी से जोखिम भारित परिसंपत्ति अनुपात (सीआरएआर) जैसे प्रमुख मानदंडों में परिलक्षित भी होता है।
इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) का मजबूत ऋण विस्तार होने के साथ उनके बही-खाते में मजबूती आई, ऋण गुणवत्ता और लाभप्रदता में सुधार हुआ।
पिछले वित्त वर्ष में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का शुद्ध लाभ 32.8 प्रतिशत बढ़कर 3,49,603 करोड़ रुपये हो गया।
मार्च, 2024 के अंत में वाणिज्यिक बैंकिंग क्षेत्र में सार्वजनिक क्षेत्र के 12 बैंक , निजी क्षेत्र के 21 बैंक, 45 विदेशी बैंक, 12 लघु वित्त बैंक, छह भुगतान बैंक, 43 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और दो स्थानीय क्षेत्र बैंक (एलएबी) शामिल थे।
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