कोच्चि,14 जुलाई : केरल उच्च न्यायालय ने प्राचीन वस्तुओं की खरीद फरोख्त करने वाले डीलर मोनसन मावुनकल की ओर से दुष्कर्म के दो मामलों में दाखिल जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया और कहा कि उसके खिलाफ आरोपों की गंभीरता और उसका आपराधिक इतिहास उसे किसी भी प्रकार की राहत का पात्र नहीं बनाते. न्यायमूर्ति बेचू कुरियन थॉमस ने कहा कि अभियोजन ने आशंका जताई है कि आरोपी पीड़ितों तथा गवाहों को प्रभावित कर सकता है, साथ ही साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ कर सकता है और जमानत पर उसकी रिहाई मामले की सुनवाई को पक्षपातपूर्ण बना सकती है.
एक मामले में अभियोजन ने आरोप लगाया कि पीड़िता जो कि आरोपी की कर्मचारी थी, उसके साथ उसने 11 जनवरी 2020 से 24 सितंबर 2021 के बीच कई बार दुष्कर्म किया . अभियोजन ने कहा कि दूसरे मामले में आरोपी ने पीड़िता के साथ एक अप्रैल 2018 से 30 जून 2019 के बीच कई बार दुष्कर्म किया. महिला उसकी कर्मचारी थी और आरोपी ने उसे मादक पदार्थ मामले में फंसाने की धमकी दी और उसे गर्भपात कराने के लिए भी मजबूर किया. इस पर मावुनकल के वकील ने कहा कि दोनों ही मामलों में आरोप झूठें हैं और यौन संबंध सहमति से बने थे. यह भी पढ़ें : अमरनाथ में बाढ़ के बाद चला बचाव अभियान खत्म, कोई लापता नहीं: सिन्हा
उन्होंने कहा कि ,‘‘याचिकाकर्ता (आरोपी) को लगातार हिरासत में रखने की जरूरत नहीं है और याचिकाकर्ता उन सभी शर्तों का पालन करने का इच्छुक है जो अदालत उस पर लगाएगी.’’ उच्च न्यायालय ने दोनों ही मामलों में जमानत याचिका खारिज कर दी.
न्यायमूर्ति थॉमस ने एक जमानत याचिका पर कहा ,‘‘ कथित तौर पर किए गए अपराध की प्रकृति को और इर्द गिर्द की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए मेरा मानना है कि यह उस प्रकार का मामला नहीं है जहां याचिकाकर्ता को जमानत पर रिहा किया जा सके. इन पर गौर करते हुए ,मुझे यह जमानत याचिका उचित नहीं लगती और इसलिए इसे खारिज किया जाता है.