प्रयागराज, एक सितंबर इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रामपुर की डूंगरपुर टाउनशिप में 2016 में मकान पर कब्जा करने और उसे बुलडोजर से ढहाने के एक आपराधिक मामले में समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान, पूर्व पुलिस क्षेत्राधिकारी आले हसन और दो अन्य की सजा निलंबित करने और जमानत देने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज कर दिया।
आरोप है कि इन आरोपियों ने डूंगरपुर टाउनशिप को खाली कराने का प्रयास किया और शिकायतकर्ता के खिलाफ आपराधिक तत्वों को लगाकर उसका मकान ढहा दिया।
आजम खान, आले हसन और दो अन्य आरोपियों ने रामपुर के अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) डॉ. विजय कुमार द्वारा 18 मार्च, 2024 को दिए गए निर्णय को चुनौती देते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी।
सुनवाई अदालत ने मोहम्मद आजम खान, आले हसन खान, बरकत अली ठेकेदार उर्फ फकीर मोहम्मद और अजहर खान को दोषी करार दिया था और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत उन्हें सजा सुनाई थी।
न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने शनिवार को दिए अपने निर्णय में सजा निलंबित करने और जमानत देने का अनुरोध करने वाली याचिका खारिज कर दी।
रामपुर की एमपी/एमएलए अदालत ने आजम खान को मकान में अतिक्रमण करने (आईपीसी की धारा 452) और आपराधिक षड़यंत्र (आईपीसी की धारा 120बी) के तहत सात साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। वहीं आले हसन और दो अन्य को पांच साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई थी।
सुनवाई अदालत के निर्णय के बाद अपीलकर्ताओं को हिरासत में ले लिया गया था। इसके बाद उन्होंने सीआरपीसी की धारा 389(1) के तहत आवेदन दिया और अपील लंबित रहने के दौरान सजा निलंबित करने और जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया।
एहतेशाम खान नामक व्यक्ति ने 25 जुलाई, 2019 को रामपुर जिले के गंज पुलिस थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उसने आरोप लगाया कि तीन फरवरी, 2016 को आजम खान, आले हसन और दो अन्य व्यक्तियों के साथ ही 20-25 अज्ञात पुलिसकर्मी डूंगरपुर टाउनशिप आए और उसके मकान में जबरदन दाखिल हो गए और उन्हें भद्दी भद्दी गालियां दीं और जान से मारने की धमकी दी।
प्राथमिकी में आगे आरोप लगाया गया कि एहतेशाम खान और उनके परिजनों को घर से बाहर निकाल दिया गया और बहुमूल्य सामान तोड़ दिए गए और अंततः उनके मकान को बुलडोजर से ढहा दिया गया।
राजेंद्र
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