नयी दिल्ली, आठ जुलाई नीराली देवी (72) के लिए आयुष्मान भारत- स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र ने स्वास्थ्य सेवाएं उनके घर के द्वार तक पहुंचा दी हैं। इससे न केवल वह डॉक्टर के पास जाने के लिए 15-20 किलोमीटर के सफर से बच गयीं बल्कि उन्हें बीमारियों से बचने के लिए योग की कक्षाएं भी मिल जाती हैं।
इस बुजुर्ग महिला ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ पहले डॉक्टर से मिलने और दवा लेने के लिए मुझे 15-20 किलोमीटर सफर करना पड़ता था। पहले मुझे डॉक्टर के पास जाने के लिए एक साथी ढूंढ़ना होता था और फिर यात्रा पर पैसे खर्च करने पड़ते थे।’’
उन्होंने कहा कि लेकिन अपने घर के पास ही आयुष्मान -स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र (एचडब्ल्यूसी) हो जाने के चलते वह चंद कदम चलकर क्लीनिक पहुंच जाती हैं और टेली परामर्श के जरिए जिला अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टरों से सलाह ले लेती हैं तथा उन्हें वहीं केंद्र में ही दवाइयां भी मिल जाती हैं।
नीराली देवी की भांति कई अन्य भी इन स्वास्थ्य एवं कल्याण केंद्र से काफी लाभान्वित हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में मेरठ जिले के मोउद्दिनपुर स्थित एक ऐसे ही केंद्र में लोगों को योग की कक्षा में शामिल होते देखा गया। एचडब्ल्यूसी केसामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारी (सीएचओ) ने सूचित किया कि बीमारियों के रोकथाम और संपूर्ण कल्याण के लिए हर सप्ताह चार-पांच योग कक्षाएं लगती हैं।
उन्होंने कहा कि मोउद्दिनपुर एचडब्ल्यूसी में प्रतिमाह करीब 500 लोग पहुंचते हैं जिनकी जांच की जाती है तथा उन्हें उच्च रक्तचाप, मधुमेह तथा अन्य बीमारियों की दवाएं दी जाती हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें मुंह, छाती और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के मरीजों की जांच का प्रशिक्षण दिया गया है। ’’
उनकी तरह देश में इन एचडब्ल्यूसी में करीब 1.29 लाख सीएचओ कार्यरत हैं।
स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि देश में पहले एचडब्ल्यूसी की स्थापना 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की थी तथा उसके बाद तेज रफ्तार से इनकी संख्या बढ़ी एवं लोगों के बीच स्वीकार्यता मिली जिसका सबूत गत पांच साल में इन केंद्रों पर आए 179 करोड़ मरीज हैं।
अधिकारियों ने बताया कि एबीएचडब्ल्यूसी पर समुदायों को उनके नजदीक ही विशेषज्ञ चिकित्सकों की सेवा मुहैया कराने के लिए ई-संजीवनी के माध्यम से टेली परामर्श दी जा रही है। फलस्वरूप दूर-दराज के क्षेत्रों में लाभार्थियों तक ये सेवाएं बेरोक-टोक पहुंच रही हैं। ई संजीवन के माध्यम से 30 जून, 2023 तक 12.23 करोड़ मरीजों ने ऑनलाइन परामर्श की सुविधा प्राप्त की।
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