नयी दिल्ली, 27 जुलाई अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) महासचिव कुशाल दास ने कहा कि देश फुटबॉल विकास के अगले स्तर पर पहुंचने की दहलीज पर है और इसे हासिल करने में कोचों की भूमिका महत्वपूर्ण है।
एआईएफएफ और भारतीय खेल प्राधिकरण (साइ) द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित कोच शिक्षा पाठ्यक्रम के आनलाइन सत्र की शुरुआत पर दास ने कहा कि हाल के वर्षों में भारतीय फुटबॉल ने अपने स्तर में सुधार किया है।
दास ने कहा, ‘‘कोचों के बिना राष्ट्रीय स्तर पर खेल में सुधार नहीं किया जा सकता। भारत इसे अगले स्तर पर ले जाने की दहलीज पर है। हाल के समय में हमारे युवा विकास, फीफा रैंकिंग में काफी सुधार हुआ है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘खेल विज्ञान पर ध्यान देने वाले एनआईएस पटियाला की जानकारी और एआईएफएफ कोर्स एक साथ मिलकर कोचों की प्रगति के लिए शानदार मौका है। एआईएफएफ जरूरी सहयोग मुहैया कराने के लिए हमेशा तैयार रहेगा।’’
चार दिवसीय विशेष पाठ्यक्रम सोमवार को शुरू हुआ जो साइ के कोचों को एशियाई फुटबॉल परिषद (एएफसी)-एआईएफएफ कोच शिक्षा प्रणाली की प्रक्रिया को समझाने के लिए एआईएफएफ की योजना का हिस्सा है।
दास ने आगे आने और पाठ्यक्रम में साझेदार बनने के लिए साइ की सराहना की।
भारतीय फुटबॉल के तकनीकी निदेशक इसाक दोरू ने जोर देते हुए ‘जीतने की मानसिकता’ तैयार करने को कहा जो श्रेष्ठ बनने के लिए महत्वपूर्ण है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें जीत की मानसिकता तैयार करनी होगी। हमें इसे युवाओं के दिमाग में डालना होगा। हमें जीतने के लिए प्रशिक्षण लेना होगा, सिर्फ प्रतिनिधित्व के लिए नहीं। जीत से हमें आत्मविश्वास मिलता है। इसे चैंपियन की मानसिकता तैयार होती है। ’’
दोरू ने कहा, ‘‘हम आपको (कोचों को) मछली नहीं दे रहे, इसकी जगह हम आपको सिखा रहे हैं कि मछली कैसे पकड़ी जाती है। भारत प्रतिभा से भरा है जो तरल सोने की तरह है। कोचों के बिना आप जेवरात नहीं बना सकते।’’
राष्ट्रीय टीम के निदेशक अभिषेक यादव का मानना है कि इस पाठ्यक्रम से कई कोचों को फायदा होगा जिससे भारतीय फुटबॉल के विकास में मदद मिलेगी।
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