नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल (West Bengal) विधानसभा चुनाव (Assembly Election) में टीएमसी (TMC) के शानदार प्रदर्शन के बाद राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata banerjee) ने बीजेपी (BJP) को हराकर अपना वर्चस्व बरकरार रखा है. वहीं दूसरी ओर बीजेपी के चुनाव हारे जाने के बाद दिल्ली (Delhi) की सीमाओं पर बैठे किसानों (Former) ने मिठाई बाट जश्न मनाया. West Bengal Election Results 2021: पश्चिम बंगाल में फिर चला ममता बनर्जी का जादू
बीजेपी के चुनाव में हार जाने पर संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर कहा कि, "राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी के खिलाफ जनादेश का हम स्वागत करते हैं, जिसके आज परिणाम सामने आए. पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और केरल में, यह स्पष्ट है कि जनता ने भाजपा की विभाजनकारी सांप्रदायिक राजनीति को खारिज कर दिया है."
"ऐसे गंभीर संकट के समय में जब देश अपने स्वास्थ्य सेवा संबंधी बुनियादी ढांचे के मामले में आपदा का सामना कर रहा है, अनेक योजनाओं के अभाव के कारण बहुत से निर्दोष नागरिक इस सरकार की घोर उपेक्षा के शिकार हो रहे हैं."
"ऐसे समय में जब लोगों को आजीविका के बड़े संकट का सामना करना पड़ रहा है. बीजेपी ने अपने सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के एजेंडे को फैलाने की कोशिश की."
किसान संगठनों के नेताओं द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि, "चुनाव आयोग पर संस्थागत हमले व मिलीभगत कर बीजेपी ने चुनाव जीतना चाहा. चुनाव आयोग से अनैतिक व गैरकानूनी सहायता और चुनाव अभियानों में भारी संसाधनों को खर्च करने के बावजूद इन राज्यों में भाजपा की हार होना यह दर्शाता है कि नागरिकों ने बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के इस एजेंडे को खारिज कर दिया है."
एसकेएम ने कहा कि, "प्रदर्शनकारी किसान पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि बीजेपी का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण एजेंडा अस्वीकार्य है, यह नागरिकों का एक सांझा संघर्ष है, जो अपनी आजीविका की रक्षा करने के साथ साथ देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को बचाने के लिए भी है."
किसानों ने बंगाल और अन्य राज्यों के नागरिकों का धन्यवाद भी दिया और पूरे भारत के किसानों से अपील करते हुए कहा है कि, "वे अपने प्रतिरोध को मजबूत करें, और अधिक से अधिक संख्या में आंदोलन में शामिल हों. यह आंदोलन उन लोकतांत्रिक मूल्यों को प्रसारित करना जारी रखेगा, जो हमारे संविधान की सुरक्षा करते हैं व उद्देश्यों को पूरा करते हैं. किसान अपनी मांगें पूरी होने तक खुद को और मजबूत करेंगे."
किसान संगठनों के अनुसार, अब बीजेपी की नैतिक जिम्मेदारी है कि आज के परिणामों को स्वीकार करे व किसानों से बातचीत कर तीन कृषि कानून रद्द करें व एमएसपी की कानूनी गांरटी दें. हम एक बार पुन: स्पष्ट कर रहे हैं कि किसानों का यह आंदोलन तब तक खत्म नहीं होगा जब तक मांगे नहीं मानी जाती. साथ ही बीजेपी व सहयोगी दलों का बॉयकॉट भी जारी रहेगा. सरकार किसानों मजदूरो को अपना दुश्मन बनाने की बजाय कोरोना महामारी व अन्य आर्थिक संकट से लड़े.