मुंबई, 11 दिसंबर संजय मल्होत्रा ने भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के 26वें गवर्नर के रूप में बुधवार को कार्यभार संभाल लिया और कहा कि भरोसा, वृद्धि बढ़ाने के साथ स्थिरता सुनिश्चित करने पर उनका ध्यान होगा।
मल्होत्रा (56) ने ऐसे महत्वपूर्ण समय में केंद्रीय बैंक के गवर्नर का पद संभाला है, जब मुद्रास्फीति आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर चली गई है जबकि आर्थिक वृद्धि दर सात तिमाहियों के निचले स्तर पर आ गई है। साथ ही अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया अबतक के सबसे निचले स्तर पर है।
उन्होंने गवर्नर के रूप में संवाददाताओं के साथ पहली बातचीत में कहा, ‘‘मैं आश्वस्त कर सकता हूं कि देश की जनता जो उम्मीद करती है, जो भरोसा है और नीतियों के स्तर पर जो एक निश्चितता है, उसे पूरा करने के लिए हम सार्वजनिक हित में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेंगे।’’
मल्होत्रा सुबह 10 बजे बजे मुंबई में मिंट स्ट्रीट स्थित आरबीआई मुख्यालय पहुंचे और कार्यभार संभालने की औपचारिकताएं पूरी कीं। इस मौके पर डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव, टी रबी शंकर और स्वामीनाथन जे उपस्थित थे।
आरबीआई के महत्वपूर्ण कार्य मौद्रिक नीति के प्रभारी डिप्टी गवर्नर माइकल देबब्रत पात्रा मौजूद नहीं थे।
मल्होत्रा ने कहा, ‘‘हम इस समय एक बहुत ही गतिशील दुनिया में हैं जो वैश्विक तनाव, जलवायु परिवर्तन के जोखिम और राजनीतिक अनिश्चितताओं से जूझ रही है। आरबीआई चुनौतियों का सामना करने के लिए ‘सतर्क और सजग’ रहेगा।
मल्होत्रा ने विशेष रूप से अपने पूर्ववर्ती शक्तिकान्त दास का जिक्र करते हुए कहा कि आरबीआई एक प्रतिष्ठित संस्थान है और इसकी समृद्ध विरासत है। इस संस्थान ने कर्मचारियों और वरिष्ठ अधिकारियों की कड़ी मेहनत के साथ सराहनीय कार्य किया है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं आरबीआई की समृद्ध विरासत को बनाये रखने के साथ उसे आगे ले जाने के लिए काम करूंगा।’’
वृद्धि का जिक्र करते हुए मल्होत्रा ने कहा कि यह सुनिश्चित करना बड़ी जिम्मेदारी है कि आर्थिक गतिविधियों में विस्तार जारी रहे।
हालांकि, उन्होंने मुद्रास्फीति का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया लेकिन यह जरूर कहा कि उनका ध्यान ‘स्थिरता’ और ‘विश्वास’ पर होगा।
मल्होत्रा ने कहा कि नीतिगत स्तर पर भरोसा उन कारकों में से एक है जो स्थिरता सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि राजस्व सचिव के रूप में उनका ध्यान नीतिगत स्थिरता पर था।
उन्होंने कहा कि एक संस्था के रूप में आरबीआई को लेकर लोगों में ‘भरोसा’ है और इसका कारण जनता के हित में किये गये कार्य हैं। इसे और मजबूत करने का उनका प्रयास होगा।
मल्होत्रा ने कहा कि जो भी फैसले होंगे, वे जनहित को ध्यान में रखकर लिए जाएंगे।
हालांकि, उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब देने से इनकार कर दिया। उन्होंने क्रिकेट की शब्दावली में अपनी बात रखते हुए कहा कि वह पहले दिन से ही अपने ‘शॉट्स’ खेलना शुरू नहीं कर सकते।
नये गवर्नर ने कहा कि वह आरबीआई के अधिकारियों से विभिन्न मुद्दों को समझने के बाद मीडिया के सवालों का जवाब देंगे।
अगली मौद्रिक नीति समीक्षा फरवरी के पहले सप्ताह में होगी। इसमें प्रमुख ब्याज दर और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपना पहला निर्णय लेने से पहले मल्होत्रा को लगभग दो महीने का समय मिलेगा।
मंगलवार तक वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव रहे मल्होत्रा ने कहा कि अतीत में हासिल की गई सफलताओं के बावजूद वित्तीय समावेश उनके लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होगा।
उन्होंने कहा कि आरबीआई वित्तीय समावेश के लाभ को आगे बढ़ाने के लिए वित्तीय नियामकों, राज्य सरकारों और केंद्र सहित सभी पक्षों के साथ मिलकर काम करेगा। साथ ही केंद्रीय बैंक लागत कम करने और बैंक सेवाओं को अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रौद्योगिकी का सर्वोत्तम उपयोग करेगा।
उन्होंने कहा कि नवोन्मेष को बढ़ावा दिया जाएगा और आरबीआई आवश्यक सुरक्षा उपाय करेगा क्योंकि वह इसमें शामिल जोखिमों से अवगत है।
मल्होत्रा ने कहा कि सभी ज्ञान और सूचना पर हमारा एकाधिकार नहीं है, इसको देखते हुए नीति निर्माण में वह सलाह-मशिवरे का रुख बनाये रखेंगे।
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