मुंबई, 29 जून भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने अधिक विवेकपूर्ण निर्णय लिए जाने के लिए आंकड़ों की उचित व्याख्या की जरूरत पर बल देते हुए बुधवार को कहा कि इससे निर्णय-निर्माताओं की तरफ से संचार में स्पष्टता आएगी।
दास ने आरबीआई के वार्षिक 'सांख्यिकी दिवस सम्मेलन' को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सार्वजनिक नीति में आंकड़ों का बहुत महत्व है। कोविड-19 महामारी के कारण बहुत अधिक अनिश्चितता का माहौल बना है, ऐसे में सांख्यिकी पर जोर बढ़ा है। इस अभूतपूर्व वैश्विक परिघटना ने विभिन्न रूपों में मानवीय प्रयासों का परीक्षण किया है।’’
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि भारत समेत विभिन्न देशों में लॉकडाउन लगने के कारण महामारी के प्रकोप और विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर उसके असर से संबंधित आंकड़ों की उपलब्धता और संग्रह को लेकर गंभीर चुनौतियां आईं। दुनिया को ऐसी समस्या के समाधान की तुरंत जरूरत है जिसका सामना उसने पहले कभी नहीं किया।
आंकड़े जुटाने के भारत के अनुभव के बारे में उन्होंने कहा कि सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय 2020 में कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर के दौरान लगातार दो महीने तक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के अनुमानित आंकड़े प्रकाशित करने को मजबूर हुआ।
उन्होंने कहा कि महामारी के कारण पैदा हुए व्यवधानों से सांख्यिकीय नवोन्मेष हुए हैं जिसके दीर्घकालिक लाभ होंगे।
दास ने कहा, ‘‘आंकड़ों के प्रवाह को अनुकूलित करने के आरबीआई के प्रयास, प्रौद्योगिकी में निवेश और नियमित प्रतिष्ठानों से निरंतर सरोकार के लाभ मिले।’’
उन्होंने आरबीआई का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक ने अपने मिशन को जारी रखने के लिए महामारी के दौरान सांख्यिकीय प्रयासों को नए सिरे से निर्धारित किया।
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