नयी दिल्ली, 26 अप्रैल सरकार ने जनता से कोविड-19 महामारी से नहीं घबराने की अपील करते हुए कहा कि वह चिकित्सीय ऑक्सीजन की आपूर्ति संबंधी दिक्कतों को दूर करने का प्रयास कर रही है।
साथ ही कोरोना वायरस की दूसरी लहर के कारण देशभर में बढ़ते संक्रमण के मामलों के बीच सरकार ने यह भी कहा कि अब ऐसा समय आ गया है कि लोगों को घर के भीतर भी मास्क पहनकर रहना चाहिए और मेहमानों को अपने घरों में आमंत्रित नहीं करना चाहिए।
सरकार ने एक ही दिन में सर्वाधिक 3,52,991 नए मामले सामने आने और 2,812 मरीजों की मौत के बीच सशस्त्र बलों के सेवानिवृत्त चिकित्सा कर्मियों को कोविड-19 अस्पतालों में तैनात करने की भी घोषणा की।
इस बीच, कोविड-19 के बढ़ते मामलों को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत कर्नाटक सरकार ने मंगलवार की रात से राज्य भर में 14 दिनों के लिए ‘लॉकडाउन’ लगाने की घोषणा सोमवार को की जबकि कई अन्य राज्यों में रात्रिकालीन कर्फ्यू समेत लॉकडाउन जैसे अन्य प्रतिबंध पहले ही लागू हैं।
कई अन्य राज्यों की तरह ही दिल्ली और कर्नाटक ने 18 से 45 साल आयु वर्ग के लोगों को सरकारी अस्पतालों में कोविड-19 का टीका नि:शुल्क उपलब्ध कराने का निर्णय लिया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस. येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे। कल रात से अगले 14 दिनों के लिए पूरे राज्य में लॉकडाउन रहेगा।’’
मंत्रिमंडल की तीन घंटे चली बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि आवश्यक वस्तुएं बेचने वाली दुकानों को सुबह छह से दस (6 से 10) बजे तक खोलने की अनुमति होगी।
उधर, नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी के पॉल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि यदि घर में कोई संक्रमित व्यक्ति है, तो उसे मास्क पहनना ही चाहिए, ताकि घर के अन्य लोग उसके कारण संक्रमित न हों।
उन्होंने कहा, ‘‘ बल्कि मैं तो यह कहूंगा कि अब समय आ गया है कि हम सामान्य तौर पर भी घर के भीतर मास्क पहनना शुरू करें। हम घर के बाहर मास्क लगाने के बारे में बात करते थे, लेकिन संक्रमण जिस तरह फैल रहा है, उसे देखते हुए यदि हम घर के भीतर किसी के भी पास बैठे हैं, तो भी हम मास्क पहनें।’’
एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अस्पताल की सुविधाओं के इष्टतम उपयोग के लिए सामुदायिक भागीदारी अहम है और लोगों में अनावश्यक घबराहट के कारण लाभ के बजाए नुकसान हो रहा है।
उन्होंने कहा कि सामान्य ऑक्सीजन स्तर और मामूली लक्षण वाले लोग भी अस्पतालों में भर्ती होना चाहते हैं, जिसके कारण वास्तव में जरूरतमंद मरीजों को अस्पतालों के बाहर इंतजार करना पड़ रहा है और उन्हें उचित उपचार नहीं मिल पा रहा।
देश में पिछले 24 घंटे में कोविड-19 के 3,52,991 नए मामले सामने आने के बाद संक्रमितों की कुल संख्या बढ़कर 1,73,13,163 हो गई जबकि उपचाराधीन मरीजों की संख्या 28 लाख को पार कर गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
मंत्रालय द्वारा सोमवार सुबह आठ बजे तक अद्यतन की गई जानकारी के अनुसार, संक्रमण से 2,812 लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 1,95,123 हो गई है।
वहीं, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि देश में चिकित्सीय ऑक्सीजन का पर्याप्त भंडार है, लेकिन भारी मांग वाले क्षेत्रों में इनकी आपूर्ति करने का मुद्दा है जिसका समाधान करने का प्रयास किया जा रहा है।
मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल ने यह भी कहा कि भारतीय वायुसेना के परिवहन विमान की मदद से ऑक्सीजन लाने वाले टैंकरों के गंतव्य स्थल तक पहुंचने के समय को चार-पांच दिन से घटाकर एक-दो घंटे कर दिया गया है।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे पास ऑक्सीजन का पर्याप्त भंडार है। मुद्दा ढुलाई का है जिसका समाधान करने का प्रयास हम कर रहे हैं।’’
देश में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के बीच गोयल ने कहा, ‘‘ऑक्सीजन को लेकर घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि हम उत्पादक राज्यों से भारी मांग वाले इलाकों में ऑक्सीजन की ढुलाई करने के मुद्दे को सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।’’
उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार जीपीएस के माध्यम से ऑक्सीजन लाने वाले टैंकरों को लाने-ले जाने की स्थिति पर नजर बनाए हुए है तथा अस्पतालों को कम से कम समय में ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है।
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कई लोग डर से अस्पतालों में भर्ती हो रहे हैं। उन्होंने जोर दिया कि डॉक्टरों की सलाह पर ही अस्पताल में भर्ती होना चाहिए।
चिकित्सीय ऑक्सीजन की कमी पर सरकार ने कहा है कि भारत में पर्याप्त चिकित्सकीय ऑक्सीजन उपलब्ध हैं लेकिन इसे अस्पतालों तक पहुंचाना चुनौती है।
सरकार ने अस्पतालों से तर्कसंगत तरीके से ऑक्सीजन का इस्तेमाल करने को कहा है। मरीजों को रेमडेसिविर और टोसिलिजुमाब जैसी दवा भी तार्किक तरीके से लिखने पर जोर दिया गया है।
सरकार ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति सामाजिक दूरी के नियम का पालन नहीं करे तो वह 30 दिन में 406 लोगों को संक्रमित कर सकता है। अगर संक्रमित व्यक्ति की गतिविधि 50 प्रतिशत तक थम जाए तो इस अवधि में केवल 15 लोग संक्रमित होंगे। वहीं गतिविधि 75 प्रतिशत तक घटने पर एक व्यक्ति 30 दिनों में 2.5 लोगों को संक्रमित कर सकता है।
अग्रवाल ने कहा कि देश में अब तक कोविड-19 रोधी टीके की 14.19 करोड़ खुराकें दी गयी हैं। इनमें से 45 साल से अधिक उम्र के 9.79 करोड़ लोगों को पहली खुराक और 1.03 करोड़ लोगों को दूसरी खुराक दी गयी है।
वहीं, प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण ने देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से उत्पन्न खतरे के मद्देनजर शीर्ष अदालत में ग्रीष्मावकाश पहले करने के बारे में बार संगठनों के प्रतिवेदनों का सोमवार को संज्ञान लिया और इस मामले को सभी न्यायाधीशों के समक्ष विचारार्थ रखने का निर्णय लिया।
इससे पहले, उच्चतम न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह तथा उच्चतम न्यायालय एडवोकेट्स आन रिकार्ड एसोसिएशन ने बताया कि उच्चतम न्यायालय में ग्रीष्मावकाश 14 मई की बजाये आठ मई से शुरू करने का निश्चय किया गया है। न्यायालय में अब 27 जून तक ग्रीष्मावकाश रहेगा।
इस बीच, देश में तेजी से बढ़ते कोविड-19 मामलों के मद्देनजर पिछले दो साल में सेवानिवृत्त या समय पूर्व सेवानिवृत्ति लेने वाले सशस्त्र बलों के सभी चिकित्साकर्मियों को उनके संबंधित निवास स्थान के आसपास कोविड-19 केन्द्रों में काम करने के लिये वापस बुलाया जा रहा है।
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सोमवार को मुलाकात की और उन्हें इस निर्णय की जानकारी दी। साथ ही उन्होंने सशस्त्र बलों द्वारा इस महामारी से निपटने की दिशा में तैयारी और संचालन की जानकारी प्रधानमंत्री को दी।
प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘रक्षा प्रमुख ने प्रधानमंत्री को जानकारी दी कि पिछले दो वर्षों में सेवानिवृत्त या समय से पहले सेवानिवृत्ति लेने वाले सशस्त्र बलों के सभी चिकित्साकर्मियों को उनके वर्तमान निवास स्थान के निकट स्थित कोविड अस्पतालों में कार्य करने के लिए वापस बुलाया जा रहा है।’’
बयान में कहा गया, ‘‘और पहले सेवानिवृत्त हुए अन्य चिकित्सा अधिकारियों से भी अनुरोध किया गया है कि वह परामर्श के लिए अपनी सेवाएं चिकित्सा आपातकालीन हेल्पलाइन के माध्यम से उपलब्ध कराएं।’’
प्रधानमंत्री ने भारतीय वायुसेना द्वारा भारत और विदेशों में ऑक्सीजन एवं अन्य आवश्यक वस्तुओं के परिवहन के लिए चलाए जा रहे अभियानों की भी समीक्षा की।
गृह मंत्रालय ने सोमवार को कहा कि देश में चिकित्सीय ऑक्सीजन की बढ़ती मांग के बीच ऑक्सीजन के परिवहन के लिए दुबई से दो टैंकर मंगाए गए हैं। इससे पहले, शनिवार को सिंगापुर से ऑक्सीजन लाने और ले जाने के लिए चार क्रायोजेनिक (कम तापमान बनाए रखने में सक्षम) टैंकर मंगाए गए थे।
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने ट्वीट किया, “भारतीय वायु सेना का सी-17 विमान आज दुबई पहुंचा जो कोविड-19 की मौजूदा लहर में ऑक्सीजन उपलब्धतता बढ़ाने के प्रयासों के तहत ऑक्सीजन के परिवहन के लिए जरूरी और खाली टैंकरों को लेकर आएगा। गृह मंत्रालय प्रयासों में समन्वय कर रहा है।”
दुनिया के सबसे बड़े टीकाकरण अभियान के तहत देश में अब तक कोविड-19 टीके की कुल 14.19 करोड़ खुराकें दी जा चुकी हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि 25 अप्रैल को अभियान का 100वां दिन पूरा हो गया।
मंत्रालय ने कहा कि देश में अब तक दिए गए कुल टीकों में से 58.7 प्रतिशत टीके महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और केरल में दिए गए हैं।
मंत्रालय ने यह भी बताया कि नये मामलों में से 70 प्रतिशत मामले महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, गुजरात और राजस्थान में हैं।
उधर, हरियाणा के हिसार में एक निजी अस्पताल में पांच कोविड-19 रोगियों की सोमवार को मौत हो गई, जिसके बाद मृतकों के संबंधी अस्पताल में चिकित्सीय ऑक्सीजन की कथित कमी को उनकी मौत का कारण बताकर विरोध प्रदर्शन करने लगे।
इससे पहले हरियाणा के रेवाड़ी और गुड़गांव में कथित रूप से ऑक्सीजन की कमी के कारण आठ मरीजों की मौत हो गई थी जिसके 24 घंटे के भीतर हिसार की घटना हुई है।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रेवाड़ी और गुड़गांव के दो निजी अस्पतालो में मरीजों की मौत के बारे में पूछने पर पानीपत में पत्रकारों से कहा कि इन घटनाओं की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए गए हैं। हालांकि उन्होंने इस बात से इनकार किया कि राज्य में ऑक्सीजन की कमी है।
आंध्र प्रदेश के विजयनगरम में सरकारी अस्पताल में उच्च प्रवाह ऑक्सीजन के साथ वेंटिलेटर पर रहे कोविड-19 के तीन मरीजों की ऑक्सीजन आपूर्ति में तकनीकी दिक्कतों की वजह से रविवार देर रात मौत हो गयी।
मद्रास उच्च न्यायालय ने सोमवार को निर्वाचन आयोग की तीखी आलोचना करते हुए उसे देश में कोविड-19 की दूसरी लहर के लिए 'अकेले' जिम्मेदार करार दिया और कहा कि वह ''सबसे गैर जिम्मेदार संस्था'' है।
अदालत ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि निर्वाचन आयोग के अधिकारियों के खिलाफ हत्या के आरोपों में भी मामला दर्ज किया जा सकता है।
इसने कहा कि निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक दलों को रैलियां और सभाएं करने की अनुमति देकर महामारी को फैलने के मौका दिया।
मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी तथा न्यायमूर्ति सेंथिलकुमार राममूर्ति की पीठ ने छह अप्रैल को हुए विधानसभा चुनाव में करूर से अन्नाद्रमुक उम्मीदवार एवं राज्य के परिवहन मंत्री एम आर विजयभास्कर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
इस याचिका में अधिकारियों को यह निर्देश दिए जाने का आग्रह किया गया है कि दो मई को करूर में कोविड-19 रोधी नियमों का पालन करते हुए निष्पक्ष मतगणना सुनिश्चित की जाए।
न्यायाधीशों ने मौखिक रूप से चेतावनी दी कि वे दो मई को होने वाली मतगणना रोकने से भी नहीं हिचकिचाएंगे।
तीन राज्यों-तमिलनाडु, केरल, असम तथा केन्द्रशासित प्रदेश पुडुचेरी में हाल ही में विधानसभा चुनाव संपन्न हुआ है जबकि पश्चिम बंगाल में दो चरणों का मतदान बाकी है। इन राज्यों के विधानसभा चुनाव की मतगणना दो मई को होगी।
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