नयी दिल्ली, 14 जून दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में आजीवन कारारावास की सजा काट रहे एक अभियुक्त के स्वास्थ्य के संबंध में पुलिस से स्थिति रिपोर्ट देने को कहा। अभियुक्त ने चिकित्सा आधार पर 90 दिनों के लिए सजा को अंतरिम रूप से स्थगित किए जाने का अनुरोध किया है।
न्यायमूर्ति नवीन चावला और न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ ने पुलिस को अभियुक्त नरेश सहरावत की स्वास्थ्य स्थिति के बारे में सुनवाई की अगली तारीख पांच जुलाई से पहले ताजा रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
सहरावत की ओर से पेश वकील धर्म राज ओहलान ने अदालत से कहा कि वह कोविड के प्रसार को रोकने के लिए जेलों में भीड़भाड़ कम करने की खातिर गठित उच्चाधिकार समिति द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार 90 दिनों के पैरोल या सजा अंतरिम रूप से स्थगित करने का अनुरोध कर रहे हैं।
ओहलान ने दलील दी कि उनका मुवक्किल किडनी और लीवर की बीमारियों से गंभीर रूप से पीड़ित है तथा प्रत्यारोपण ही एकमात्र विकल्प रह गया है। उन्होंने कहा कि जब तक अंग प्रत्यारोपण नहीं हो जाता, तब तक विशेष आहार की जरूरत है जो जेल में संभव नहीं होगा। वकील ने पीठ से यह भी कहा कि सहरावत के स्वास्थ्य को देखते हुए उसके कोविड-19 से संक्रमित होने का भी खतरा है।
विशेष जांच दल (एसआईटी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता आर एस चीमा ने
याचिका का विरोध करते हुए पीठ से कहा कि सहरावत को पहले ही कोविड टीके की दो खुराकें लग चुकी हैं और देखभाल की जा रही है। इस पर ओहलान ने कहा कि टीकाकरण कोविड-19 संक्रमण से पूर्ण बचाव की गारंटी नहीं है। चीमा ने अदालत से कहा कि अभियुक्त को सभी आवश्यक इलाज मुहैया कराया जा रहा है।
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