नयी दिल्ली, 18 जून कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में मणिपुर संकट पर नहीं बोलने के लिए प्रधानमंत्री की आलोचना की और पूछा कि वह पूर्वोत्तर राज्य में जारी ‘‘अंतहीन हिंसा’’ के बारे में कब कुछ कहेंगे या करेंगे।
प्रधानमंत्री की ‘‘चुप्पी’’ की आलोचना करते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मणिपुर में शांति की अपील ‘‘45 दिनों के बाद’’ जारी करने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा और पूछा कि क्या प्रधानमंत्री ने उस संगठन के जरिये अपील की है, जिसने ‘‘उन्हें तराशा’’ है।
कांग्रेस ने मणिपुर की स्थिति को लेकर मोदी पर निशाना साधा और कहा कि एक और ‘मन की बात’, लेकिन ‘‘मणिपुर पर मौन’’ हैं।
मणिपुर में करीब एक महीने पहले मेइती और कुकी समुदाय के बीच भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की जान चली गई है।
प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘तो एक और ‘मन की बात’ लेकिन ‘मणिपुर पर मौन’। आपदा प्रबंधन में भारत की जबरदस्त क्षमताओं के लिए प्रधानमंत्री ने खुद की पीठ थपथपाई। पूरी तरह से मानव निर्मित उस मानवीय आपदा का क्या, जिसका सामना मणिपुर कर रहा है।’’
रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘अभी भी उनकी (प्रधानमंत्री) ओर से शांति की अपील नहीं की गई है। एक गैर-लेखापरीक्षा योग्य ‘पीएम-केयर फंड’ है, लेकिन क्या प्रधानमंत्री को मणिपुर की भी परवाह है, यही असली सवाल है।’’
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने भी प्रधानमंत्री पर कटाक्ष करते हुए कहा कि वह इतने ‘‘व्यस्त’’ हैं कि मणिपुर जाने के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं।
चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘‘मेरे पास एक व्यावहारिक सुझाव है : प्रधानमंत्री का विशेष विमान वाशिंगटन के रास्ते में इंफाल में एक अनिर्धारित पड़ाव ले सकता है, जिससे माननीय प्रधानमंत्री को मणिपुर का ‘दौरा’ करने का मौका मिल सके। इस तरह, वह अपने सभी विरोधियों को प्रभावी रूप से चुप करा सकते हैं।’’
रमेश ने कहा कि आरएसएस ने 45 दिनों की ‘‘अंतहीन हिंसा’’ के बाद आखिरकार मणिपुर में शांति और सद्भाव की सार्वजनिक अपील जारी की है।
कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया, ‘‘आरएसएस का जाना-पहचाना दोहरा चरित्र पूरी तरह से सामने आ गया है, क्योंकि इसकी विभाजनकारी विचारधारा और ध्रुवीकरण की गतिविधियां विविधता युक्त पूर्वोत्तर की प्रकृति को बदल रही हैं, मणिपुर जिसका एक दुखद उदाहरण है।’’
मोदी पर निशाना साधते हुए उन्होंने पूछा, ‘‘लेकिन, इसके चर्चित पूर्व प्रचारक का क्या, जो अब केंद्र और राज्य में प्रशासनिक तंत्र को नियंत्रित करते हैं?’’
रमेश ने कहा, ‘‘भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी मणिपुर पर कब कुछ कहेंगे या करेंगे? क्या वह सिर्फ प्रचार मंत्री हैं, प्रधानमंत्री नहीं?’’
आरएसएस ने मणिपुर में जारी हिंसा की रविवार को निंदा की और स्थानीय प्रशासन, पुलिस, सुरक्षा बलों तथा केंद्रीय एजेंसियों सहित सरकार से तत्काल शांति बहाल करने के लिए हरसंभव कदम उठाने की अपील की।
एक बयान में आरएसएस के महासचिव दत्तात्रेय होसबाले ने सरकार से पूर्वोत्तर राज्य में ‘‘शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए आवश्यक कार्रवाई’’ के साथ-साथ हिंसा के कारण विस्थापित हुए लोगों को राहत सामग्री की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया।
आरएसएस ने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में घृणा और हिंसा के लिए कोई स्थान नहीं है। बयान में कहा गया कि दोनों पक्षों को विश्वास की कमी को दूर करना चाहिए, जो वर्तमान संकट का कारण है और शांति बहाल करने के लिए बातचीत शुरू करनी चाहिए।
इससे पहले रविवार को रेडियो पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं पर किसी का नियंत्रण नहीं है, लेकिन आपदा प्रबंधन की जो ताकत भारत ने वर्षों से विकसित की है, वह आज मिसाल बन रही है।
कांग्रेस के नेतृत्व में मणिपुर के 10 विपक्षी दलों ने शनिवार को पूर्वोत्तर राज्य में जारी हिंसा पर प्रधानमंत्री मोदी की ‘‘चुप्पी’’ को लेकर सवाल उठाया था और प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय देने तथा शांति की अपील करने का आग्रह किया था।
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