देश की खबरें | कृषि कानून वापस लेने की घोषणा: किसान खुश, अन्य मांगें पूरी होने का इंतजार बाकी

नयी दिल्ली/चंडीगढ़, 19 नवंबर तीन विवादास्पद कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा गुरु नानक जयंती पर शुक्रवार को अचानक की गई घोषणा का किसानों ने गर्मजोशी से स्वागत किया और इसे लेकर खुशी व्यक्त की, लेकिन उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी को लेकर कानून बनाए जाने की मांग पूरी होने का अब भी इंतजार है।

प्रधानमंत्री मोदी ने तीन विवादास्पद कृषि कानूनों पर आखिरकार अपनी सरकार के कदम वापस खींच लिये और देश से ‘‘क्षमा’’ मांगते हुए इन्हें निरस्त करने एवं एमएसपी से जुड़े मुद्दों पर विचार करने के लिए समिति बनाने की शुक्रवार को घोषणा की।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर राष्ट्र के नाम संबोधन में ये घोषणाएं कीं। उन्होंने कहा कि इन कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पूरी कर ली जाएगी।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आज देशवासियों से क्षमा मांगते हुए सच्चे मन से और पवित्र हृदय से कहना चाहता हूं कि शायद हमारी तपस्या में ही कोई कमी रही होगी, जिसके कारण दीपक के प्रकाश जैसा सत्य कुछ किसान भाइयों को हम समझा नहीं पाए हैं।’’

उन्होंने कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) कानून, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत, अश्वासन और कृषि सेवा करार कानून और आवश्यक वस्तु संशोधन कानून, 2020 के खिलाफ पिछले लगभग एक साल से राजधानी दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर आंदोलन कर रहे किसानों से अपने घर वापस लौट जाने की अपील भी की।

संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने मोदी की घोषणा का स्वागत करते हुए कहा कि उनका आंदोलन केवल ‘‘तीन काले कानूनों’’ के खिलाफ नहीं था, बल्कि यह सभी कृषि उत्पादों और सभी किसानों के लिए लाभकारी मूल्य की वैधानिक गारंटी दिए जाने के लिए भी था।

देश के करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधि समूह एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘किसानों की महत्वपूर्ण मांग अब भी पूरी नहीं हुई है।’’ उसने यह भी कहा कि एसकेएम घटनाक्रम का संज्ञान लेगा और जल्द ही बैठक कर आगे के निर्णयों की घोषणा करेगा।

एसकेएम ने एक बयान में कहा, ‘‘संयुक्त किसान मोर्चा इस फैसले का स्वागत करता है। हम संसदीय प्रक्रिया के माध्यम से इस घोषणा के क्रियान्वयन की प्रतीक्षा करेंगे।’’

किसान संगठन ने कहा कि यदि कृषि कानूनों को औपचारिक तौर पर निरस्त किया जाता है, तो यह भारत में किसानों के एक साल लंबे संघर्ष की ऐतिहासिक जीत होगी।

इस अनपेक्षित ‘‘जीत’’ पर कई स्थानों पर ढोल बजाए गए और मिठाइयां बांटी गईं।

इस बीच, भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) के नेता राकेश टिकैत ने कहा कि संसद में विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के बाद ही किसान कृषि विरोधी कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को वापस लेंगे। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि सरकार को फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और दूसरे मुद्दों पर भी किसानों से बात करनी चाहिए।

प्रधानमंत्री ने गुरु पर्व के अवसर पर और अगले वर्ष उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनाव से पहले अपने संबोधन में कहा, ‘‘आज गुरु नानक देव जी का पवित्र प्रकाश पर्व है। यह किसी को भी दोष देने का समय नहीं है। आज मैं आपको... पूरे देश को... यह बताने आया हूं कि हमने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का निर्णय लिया है। इस महीने के अंत में शुरू होने जा रहे संसद सत्र में, हम इन तीनों कृषि कानूनों को निरस्त करने की संवैधानिक प्रक्रिया को पूरा कर देंगे।’’

उन्होंने आंदोलनरत किसानों से गुरु पर्व का हवाला देते हुए आग्रह किया, ‘‘अब आप अपने-अपने घर लौटें। अपने खेतों में लौटें। अपने परिवार के बीच लौटें। आइए...एक नयी शुरुआत करते हैं। नए सिरे से आगे बढ़ते हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पांच दशक लंबे सार्वजनिक जीवन में किसानों की मुश्किलों और चुनौतियों को बहुत करीब से अनुभव किया है और इसी के मद्देनजर उनकी सरकार ने कृषि विकास एवं किसान कल्याण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी।

उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित कृषि समिति के सदस्य अनिल घनवट ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने के केंद्र सरकार के फैसले को पीछे की ओर ले जाने वाला कदम बताया। घनवट ने ‘पीटीआई-’ से कहा, ‘‘यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उठाया गया सबसे प्रतिगामी कदम है, क्योंकि उन्होंने किसानों की बेहतरी के बजाय राजनीति को चुना। हमारी समिति ने तीन कृषि कानूनों पर कई सुधार और समाधान सौंपे, लेकिन गतिरोध को सुलझाने के लिए इसका इस्तेमाल करने के बजाय मोदी और भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) ने कदम पीछे खींच लिए। वे सिर्फ चुनाव जीतना चाहते हैं और कुछ नहीं।’’

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