देश की खबरें | स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की भूमिका बताने के लिये अमित शाह की जरूरत नहीं : तुषार गांधी

कोझिकोड, 15 जनवरी राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने कहा है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को देश के स्वतंत्रता आंदोलन में सशस्त्र क्रांतिकारियों के योगदान के बारे में बात करने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि ‘बापू’ ने खुद उनकी भूमिका को स्वीकार किया था।

अमित शाह ने हाल ही में कहा था कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अहिंसक आंदोलन के केवल एक प्रकार के आख्यान को ही ‘‘शिक्षा, इतिहास और दंतकथाओं के माध्यम से लोगों पर थोपा गया है’’, जबकि भारत की स्वतंत्रता सशस्त्र क्रांतिकारियों के योगदान सहित सामूहिक प्रयासों का परिणाम थी।

तुषार गांधी ने शुक्रवार को केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) के छठे संस्करण में अपने संबोधन में कहा, ‘‘ हमें ये बातें कहने के लिए किसी अमित शाह की जरूरत नहीं है। अमित शाह को ये बातें इसलिए कहने की ज़रूरत है, क्योंकि उनके पास अपने बारे में या अपनी विचारधारा के बारे में कहने के लिए कुछ भी नहीं है। बापू ने स्वयं स्वीकार किया था कि केवल उनके प्रयत्नों से ही स्वतंत्रता प्राप्त नहीं हुई थी। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ महात्मा गांधी ने सभी को श्रेय दिया था, यहां तक कि क्रांतिकारियों के पहले के प्रयासों को भी। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस के योगदान को भी स्वीकार किया था। ’’

महात्मा गांधी के प्रपौत्र ने अपनी नवीनतम पुस्तक ‘द लॉस्ट डायरी ऑफ कस्तूर, माई बा’ के बारे में कहा कि बापू किसी और व्यक्ति की तरह एक साधारण इंसान थे और इसीलिए उन्होंने राष्ट्रपिता को किताब में ‘महात्मा’ नहीं कहा।

एशिया के सबसे बड़े साहित्य सम्मेलनों में से एक के रूप में विख्यात केरल साहित्य महोत्सव (केएलएफ) साहित्य और संस्कृति के प्रतीक के एक उदार मिश्रण की मेजबानी कर रहा है, जिसमें नोबेल पुरस्कार विजेता, बुकर पुरस्कार विजेता, वरिष्ठ राजनेता से लेकर इतिहासकार, फिल्मी हस्तियां, राजनयिक और कलाकार शामिल हो रहे हैं।

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