देश की खबरें | भारत-पाक सैन्य संघर्ष के बीच जयशंकर ने अपने ब्रिटिश समकक्ष से फोन पर बात की

नयी दिल्ली, नौ मई भारत और पाकिस्तान के मध्य जारी सैन्य संघर्ष के बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड लैमी से फोन पर बात की और उनसे कहा कि आतंकवाद के खिलाफ “कतई बर्दाश्त न करने वाली नीति” होनी चाहिए।

जयशंकर-लैमी की बातचीत नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच तनातनी कम करने की भारत के रणनीतिक साझेदारों की कोशिशों की पृष्ठभूमि में हुई।

जयशंकर ने सोशल मीडिया पर जारी एक पोस्ट में कहा, “हमारी चर्चा आतंकवाद का मुकाबला करने पर केंद्रित थी, जिसके खिलाफ कतई बर्दाश्त न करने वाली नीति होनी चाहिए।”

विदेश मंत्री ने इससे पहले बृहस्पतिवार को अमेरिकी समकक्ष मार्को रूबियो, इटली के उप प्रधानमंत्री एंटोनियो तजानी और यूरोपीय संघ (ईयू) के विदेश एवं सुरक्षा नीति मामलों की उच्च प्रतिनिधि काजा कलास से फोन पर बातचीत की थी।

अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता टैमी ब्रूस ने कहा कि रूबियो ने दोनों देशों के बीच तनाव को तत्काल कम करने की आवश्यकता पर जोर दिया।

उन्होंने कहा, “रूबियो ने भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत के लिए अमेरिकी समर्थन व्यक्त किया और संवाद में सुधार के लिए लगातार प्रयास किए जाने का आह्वान किया।”

ब्रूस ने कहा, “विदेश मंत्री ने पहलगाम में हुए जघन्य आतंकवादी हमले के लिए अपनी संवेदना दोहराई और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ काम करने की अमेरिका की प्रतिबद्धता की पुष्टि की।”

कलास के साथ फोन पर हुई बातचीत को लेकर जयशंकर ने कहा, “ईयू की विदेश और सुरक्षा नीति मामलों की उच्च प्रतिनिधि के साथ वर्तमान घटनाक्रमों पर चर्चा की। भारत ने नपी-तुली कार्रवाई की है। बहरहाल, स्थिति बिगाड़ने वाली किसी भी हरकत के खिलाफ कड़ी प्रतिक्रिया दी जाएगी।”

भारत-पाकिस्तान में सैन्य संघर्ष पर यूरोपीय संघ ने कहा कि वह “क्षेत्र में बढ़ते तनाव और अधिक लोगों की जान जाने की आशंका सहित अन्य परिणामों पर बारीकी से और बड़ी चिंता के साथ नजर बनाए हुए है।”

उसने कहा, “ईयू दोनों पक्षों से संयम बरतने, तनाव कम करने और नागरिकों के जीवन की रक्षा के लिए हमलों से बचने का आह्वान करता है।”

ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने बुधवार को कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच मौजूदा तनाव गंभीर चिंता का विषय है।

उन्होंने कहा, “ब्रिटेन सरकार भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने और त्वरित एवं कूटनीतिक समाधान खोजने के लिए सीधी बातचीत करने का आग्रह करती है।”

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