देश की खबरें | कोविड-19 की पाबंदियों के बीच उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार, बीएमसी से व्यवसायियों के लिए राहत पर जवाब मांगा
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मुंबई, 25 मई बंबई उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र सरकार और मुंबई नगर निकाय से एक व्यावसायिक संगठन की याचिका पर जवाब मांगा जिसने राज्य में जारी लॉकडाउन जैसी पाबंदियों के दौरान कई तरह के राहत देने का आग्रह किया है।

न्यायमूर्ति आर. डी. धनुका और न्यायमूर्ति एम. जे. जमदार की पीठ ने फेडरेशन ऑफ रिटेल ट्रेडर्स वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर महाराष्ट्र सरकार और मुंबई नगर निकाय से जवाब मांगा है।

याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से कहा कि पाबंदियों के दौरान राज्य सरकार ने आवश्यक सामग्री नहीं बेचने वाले दुकानों एवं खुदरा विक्रेताओं को काम करने से रोक दिया है जिससे उनको काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है और वित्तीय समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।

पीठ ने राज्य सरकार को अपने हलफनामे में स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि पाबंदियों से प्रभावित ठेले-खोमचे वालों को जिस तरह की वित्तीय राहत दी गई है क्या वैसी सहायता याचिकाकर्ताओं को दी जा सकती है।

याचिकाकर्ताओं ने याचिका में यह भी कहा कि राज्य में ई-कॉमर्स वेबसाइट को भी गैर आवश्यक सामग्री की आपूर्ति करने से रोका गया है, लेकिन वे नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं और राज्य के अधिकारी इस तरह के उल्लंघनों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं।

बहरहाल, राज्य सरकार के वकील ज्योति चव्हाण ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की तरफ से जारी प्रस्ताव में ई-कॉमर्स सहित सभी खुदरा विक्रेताओं और दुकानों को पाबंदियों के दौरान गैर आवश्यक सामान की बिक्री या आपूर्ति करने से रोका गया है।

अदालत ने राज्य को हलफनामा दाखिल कर यह स्पष्ट करने का निर्देश दिया कि ई-कॉमर्स द्वारा सरकार के मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) का उल्लंघन नहीं करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

याचिकाकर्ताओं ने व्यवसाय शुरू होने तक लाइसेंस शुल्क और निगम कर भी माफ किए जाने का आग्रह किया है।

अदालत ने बृहन्मुंबई महानगरपालिका को अपने हलफनामे में मुद्दे का समाधान करने का निर्देश दिया।

अदालत ने राज्य और बीएमसी को दो हफ्ते के अंदर हलफनामे दायर करने के निर्देश दिये।

अदालत याचिकाओं पर अगली सुनवाई 21 जून को करेगी।

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