नयी दिल्ली, 13 नवंबर एल्युमिनियम उद्योग ने सरकार से प्राथमिक, ‘डाउनस्ट्रीम’ एल्युमिनियम पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग की है।
साथ ही उसने, देश में कम गुणवत्ता वाले कबाड़ (स्क्रैप) के प्रवाह पर अंकुश लगाने के लिए ‘एल्युमिनियम स्क्रैप’ पर सीमा शुल्क बढ़ाने की भी मांग की है।
प्राथमिक एल्युमिनियम तथा निम्न-श्रेणी के कबाड़ के आयात में वृद्धि (खासकर चीन जैसे अधिक क्षमता वाले देश से) ने न केवल घरेलू बाजार को बल्कि स्थानीय उत्पादन में निवेश को भी बाधित किया है।
सरकार को दी गई अपनी बजट-पूर्व सिफारिश में एल्युमिनियम एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एएआई) ने प्राथमिक एल्युमिनियम पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने, ‘डाउनस्ट्रीम’ एल्युमिनियम पर आयात शुल्क 7.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने तथा एल्युमिनियम कबाड़ पर शुल्क 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.5-10 प्रतिशत करने का सुझाव दिया है।
इस बीच, भारतीय खनिज उद्योग महासंघ (फिमी) ने भी सरकार से प्राथमिक/डाउनस्ट्रीम एल्युमिनियम आयात शुल्क को बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने तथा एल्युमिनियम ‘स्क्रैप’ शुल्क को 2.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7.5 प्रतिशत या उससे अधिक करने की मांग की है।
उद्योग ने कहा कि आवश्यक कच्चे माल पर उच्च शुल्कों ने एक उलटा शुल्क ढांचा तैयार कर दिया है, जिससे घरेलू एल्युमिनियम उत्पादकों की लागत बढ़ गई है।
इसे कम करने के लिए उद्योग ने कई सामग्रियों पर सीमा शुल्क कम करने की सिफारिश की है।
कोयले पर 400 रुपये प्रति मीट्रिक टन के माल एवं सेवा कर (जीएसटी) क्षतिपूर्ति उपकर के कारण एल्युमिनियम उद्योग भी उच्च ऊर्जा लागत से प्रभावित है।
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