नयी दिल्ली, 31 मार्च देश में आयातित खाद्यतेलों की कम आपूर्ति रहने के बीच बीते सप्ताह देश के तेल-तिलहन बाजारों में सभी तेल-तिलहनों में सुधार आया तथा सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल मजबूती के साथ बंद हुए।
बाजार के जानकार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताह के दौरान मंडियों में सरसों के नये फसल की आवक अपने पूर्व सप्ताह के लगभग 16 लाख बोरी से घटकर समीक्षाधीन सप्ताहांत में लगभग साढ़े छह लाख बोरी रह गई। हालांकि यह आवक ज्यादातर छोटी जोत वाले किसानों की हो रही है लेकिन सरकार की ओर से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर सरसों की खरीद होने के इंतजार में बड़े किसानों ने अपनी ऊपज को रोक रखा है।
सूत्रों ने कहा कि सरसों की खरीद के मामले में हरियाणा सरकार ने सराहनीय कदम उठाया है। छिटपुट आवक शुरु होने के बीच वहां प्रदेश सरकार ने 5,650 रुपये प्रति क्विन्टल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर किसानो की सरसों खरीद शुरु कर दी है। इससे देशी तेल मिलें भी चल रही हैं और पेराई के बाद सरसों खाद्यतेल का वितरण राशन की दुकानों से करने से उपभोक्ताओं को भी सस्ते दाम पर सरसों तेल उपलब्ध होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद है कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश में भी एमएसपी पर सरकारी खरीद शुरु होगी।
सूत्रों ने कहा कि आगामी नवरात्र और शादी विवाह के सत्र को देखते हुए खाद्यतेलों की आपूर्ति (शॉर्ट सप्लाई) की दिक्कत बढ़ने के पूरे आसार दिख रहे हैं। शॉर्ट सप्लाई की वजह पाम एवं पामोलीन तेल का सूरजमुखी से महंगा होना है। इस महंगे दाम के कारण पाम, पामोलीन का आयात प्रभावित हुआ है जिस तेल की पूरे तेल आयात में लगभग 65 प्रतिशत की हिस्सेदारी होती है और कमजोर आयवर्ग के लोग इस तेल का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। पाम, पामोलीन जब सूरजमुखी से सस्ता होगा तभी इसका आयात बढ़ेगा और आपूर्ति लाईन दुरुस्त होगी।
उन्होंने कहा कि लगभग 65 प्रतिशत पाम, पामोलीन की कमी को किसी साफ्ट आयल से पूरा करना लगभग असंभव है। पाम, पामोलीन के दाम महंगे होने से सॉफ्ट आयल कीमतों पर भी दवाब बढ़ गया है। इससे सभी तेल तिलहन के दाम मजबूत होते जा रहे हैं।
मौजूदा समय में सोयाबीन और मूंगफली तिलहन दोनों ही अपने एमएसपी से 5-7 प्रतिशत कम दाम पर बाजार में मुश्किल से खप रहे हैं। मुश्किल इसलिए हो रही है कि आयातित खाद्यतेलों का थोक भाव सस्ता होने की वजह से पेराई के बाद इन तेलों (मूंगफली एवं सोयाबीन) का भाव महंगा बैठने से इन तेलों के लिवाल नहीं मिलते।
उन्होंने कहा कि मंडियों में जिस कपास की आवक कुछ ही समय पहले लाख- सवा लाख गांठ की हो रही थी वह समीक्षाधीन सप्ताह में घटकर लगभग 50 हजार गांठ रह गई है। इसके कारण बिनौले खल का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है जिसे नकली खल से पूरा किया जा रहा है। नकली बिनौला खल को लेकर कुछेक संगठनों ने शिकायत भी की है। यह नकली खल मवेशियों के लिए नुकसानदेह हो सकता है, इस ओर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
पिछले सप्ताहांत के मुकाबले बीते सप्ताह सरसों दाने का थोक भाव 100 रुपये की तेजी के साथ 5,375-5,415 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों दादरी तेल का भाव 250 रुपये बढ़कर 10,350 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। सरसों पक्की और कच्ची घानी तेल का भाव क्रमश: 40-40 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 1,750-1,850 रुपये और 1,750-1,865 रुपये टिन (15 किलो) पर बंद हुआ।
समीक्षाधीन सप्ताह में सोयाबीन दाने और लूज का भाव क्रमश: 80-80 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 4,635-4,655 रुपये प्रति क्विंटल और 4,435-4,475 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
इसी तरह सोयाबीन दिल्ली, सोयाबीन इंदौर और सोयाबीन डीगम तेल का भाव क्रमश: 50 रुपये, 50 रुपये और 25 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 10,550 रुपये और 10,350 रुपये और 9,025 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
आम तेजी के रुख के बीच समीक्षाधीन सप्ताह में मूंगफली तिलहन के दाम 50 रुपये की तेजी के साथ 6,130-6,405 रुपये क्विंटल पर बंद हुए। मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव भी क्रमश: 50 रुपये और 25 रुपये की तेजी के साथ क्रमश: 14,850 रुपये क्विंटल और 2,250-2,525 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
समीक्षाधीन सप्ताह में कच्चा पाम तेल (सीपीओ) 25 रुपये की तेजी के साथ 9,125 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। पामोलीन दिल्ली का भाव 200 रुपये की तेजी के साथ 10,500 रुपये प्रति क्विंटल तथा पामोलीन एक्स कांडला तेल का भाव 300 रुपये की तेजी के साथ 9,600 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
तेजी के आम रुख के अनुरूप बिनौला तेल भी 250 रुपये मजबूत होकर 9,550 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ।
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