जरुरी जानकारी | चार साल में 80,000 करोड़ रुपये पर पहुंच सकता है कृषि रसायन निर्यात : रिपोर्ट

नयी दिल्ली, नौ सितंबर भारत का कृषि रसायन निर्यात अगले चार साल में 80,000 करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है, बशर्ते उद्योग को अनुकूल माहौल मिले। एएफसीआई और ईवाई की एक रिपोर्ट में यह अनुमान लगाया गया है।

उद्योग निकाय एग्रो केम फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) और ईवाई की 'भारतीय कृषि रसायन उद्योग: कहानी, चुनौतियां और आकांक्षाएं' शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2022-23 में कृषि रसायनों का निर्यात 43,223 करोड़ रुपये रहा था।

हाल ही में आयोजित एसीएफआई की 7वीं सालाना आमसभा में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत का कृषि रसायन निर्यात इसकी घरेलू खपत से अधिक है। हाल के दिनों में कृषि रसायन उद्योग द्वारा भारतीय निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है।’’

एसीएफआई ने कहा कि सरकार को अनुकूल माहौल बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जिसमें लाइसेंसिंग मानदंडों को सुव्यवस्थित करना और भंडारण और बिक्री के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार करना, जैव कीटनाशक उत्पादन को प्रोत्साहित करना, नए अणुओं (मॉल्युकूल) के लिए पंजीकरण प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना, अधिक शिथिल एमआरएल मानदंडों वाले देशों के साथ व्यापार समझौते करना, वैश्विक कारोबारियों से निवेश आकर्षित करने के लिए पीएलआई जैसी योजना शुरू करना शामिल है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भारत के कृषि रसायन उद्योग की खासियत उनकी गुणवत्ता और सस्ती कीमतें हैं, जो उनके उत्पादों को 130 देशों के लाखों किसानों की पहली पसंद बनाती हैं। अगर अनुकूल माहौल की सुविधा दी जाए, तो यह क्षेत्र अगले चार वर्षों में 80,000 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात स्तर हासिल करने की क्षमता दिखाता है।’’

उद्योग निकाय ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को 18 प्रतिशत से घटाकर पांच प्रतिशत करने की भी वकालत की।

एसीएफआई के चेयरमैन परीक्षित मुंद्रा ने कहा, ‘‘जेनेरिक अणुओं पर निर्भरता, कम कृषि रसायन उपयोग, नए अणुओं के लिए जटिल पंजीकरण प्रक्रिया और आयात पर भारी निर्भरता कुछ ऐसी चुनौतियां हैं, जिन्हें ‘मेक इन इंडिया’ पहल के माध्यम से अवसरों में बदलना होगा।’’

कृषि उत्पादकता और निर्यात क्षमता को बढ़ाने में इसकी भूमिका को देखते हुए उन्होंने कहा कि कृषि रसायन उद्योग भारत के वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की खोज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा, जिसके चलते देश अंततः वर्ष 2025 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाएगा।

एसीएफआई के महानिदेशक कल्याण गोस्वामी ने कहा, ‘‘भारत का कृषि रसायन उद्योग इसकी कृषि सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, फसल की पैदावार बढ़ाने और खाद्य सुरक्षा की रक्षा करता है। वैश्विक स्तर पर कृषि रसायनों के चौथे सबसे बड़े उत्पादक के रूप में, भारत एक विरोधाभास का सामना कर रहा है, जबकि इसकी उत्पादन क्षमता काफी है, फिर भी यह मुख्य रूप से चीन से काफी मात्रा में कृषि रसायनों का आयात करता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘मेक इन इंडिया’’ पहल इन चुनौतियों को अवसरों में बदलने के लिए समय पर रूपरेखा प्रदान करती है, जिससे भारत कृषि रसायनों के लिए वैश्विक विनिर्माण और निर्यात केंद्र बन सकता है।

भारतीय बाजार में कृषि रसायनों का उपयोग (किलोग्राम/हेक्टेयर) कम है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘भारत केवल 400 ग्राम प्रति हेक्टेयर कृषि रसायनों का उपयोग करता है जो वैश्विक औसत 2.6 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से काफी कम है।’’

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