मुंबई, 25 नवंबर महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता नवाब मलिक ने बृहस्पतिवार को एनसीबी के क्षेत्रीय निदेशक समीर वानखेड़े और उनके परिवार पर आरोप लगाया कि 2015 में वानखेड़े की मां की मृत्यु के बाद दो अलग-अलग प्रमाण पत्र बनवाए गए जिसमें उन्हें मुस्लिम और हिंदू बताया गया।
मलिक ने यहां सुबह संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि वानखेड़े की मां जाहिदा की मृत्यु 16 अप्रैल, 2015 को हुई और उन्हें ओशिवारा के कब्रिस्तान में दफनाने के लिए मुस्लिम महिला बताने वाला एक प्रमाण पत्र ले जाया गया था। उन्होंने कहा, "लेकिन अगले दिन, उसके परिवार ने एक और मृत्यु प्रमाण पत्र प्राप्त किया जिसमें उन्हें हिंदू बताया गया था।"
मलिक ने मीडिया से बात करने से पहले अपने दावे के समर्थन में इन प्रमाणपत्रों को अपने ट्विटर हैंडल पर भी पोस्ट किया। उन्होंने आरोप लगाया, ''एक परिवार की दोहरी पहचान कैसे हो सकती है? मैं मुंबई नगर निकाय से सत्यापित दस्तावेज लेने के बाद इस बारे में सार्वजनिक तौर पर बोल रहा हूं।’’
मलिक आरोप लगाते रहे हैं कि समीर वानखेड़े जन्म से मुस्लिम थे लेकिन उन्होंने अनुसूचित जाति (एससी) वर्ग से होने का दावा करते हुए केंद्र सरकार की नौकरी हासिल की थी। हालांकि वानखेड़े ने अपने ऊपर लगे आरोपों से इनकार किया है।
पिछले महीने एक क्रूज जहजा पर स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) की छापेमारी के बाद से वह वानखेड़े पर निशाना साधते रहे हैं। उस छापे के बाद अभिनेता शाहरुख खान के पुत्र आर्यन खान सहित करीब 20 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। आर्यन खान और कुछ अन्य आरोपियों को बाद में जमानत पर रिहा कर दिया गया था।
बृहस्पतिवार को मलिक के वकील ने बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि मलिक नौ दिसंबर तक समीर वानखेड़े, उनके पिता या उनके परिवार के किसी सदस्य के खिलाफ कोई ट्वीट या कोई सार्वजनिक बयान नहीं देंगे। उनके इस आश्वासन से पहले उच्च न्यायालय ने मंत्री से सवाल किया कि क्या उन्होंने वानखेड़े की जाति के खिलाफ अपने आरोपों के संबंध में संबंधित समिति के पास शिकायत दर्ज करायी है। अदालत ने कहा कि यदि उन्होंने ऐसा नहीं किया है तो "मीडिया में प्रचार" के पीछे उनका क्या इरादा है और यह किसी मंत्री के लिए शोभनीय नहीं है।
मलिक ने महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरटीसी) के कर्मचारियों की हड़ताल का जिक्र करते हुए विपक्षी भारतीय जनता पार्टी पर कर्मियों को गुमराह करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ''राज्य सरकार के साथ विलय संभव नहीं है। सरकारी स्वामित्व वाले अन्य निगमों के कर्मचारी इसी तरह की मांग करेंगे और सातवें वेतन आयोग के अनुसार वेतन मांगेंगे। सरकार कर्ज लेने के बाद भी इतना वेतन नहीं दे पाएगी। लेकिन वह एमएसआरटीसी की स्थिति में सुधार लाने के लिए हरसंभव प्रयास करेगी।"
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)