तोक्यो, 4 अगस्त : सेमीफाइनल में मिली हार को भुलाते हुए भारतीय पुरूष हॉकी टीम को 41 साल बाद ओलंपिक में पदक जीतने का सपना पूरा करने के लिये गुरूवार को रियो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता जर्मनी के खिलाफ तीसरे चौथे स्थान के प्लेआफ मुकाबले में अपने डिफेंस को मजबूत रखना होगा . दुनिया की तीसरे नंबर की टीम भारत को सेमीफाइनल में विश्व चैम्पियन बेल्जियम ने 5 . 2 से हराया . बेल्जियम का फोकस पेनल्टी कॉर्नर बनाने पर था और टूर्नामेंट में सर्वाधिक गोल कर चुके अलेक्जेंडर हेंडरिक्स ने हैट्रिक लगाई . भारत पर शुरू ही से दबाव बनाते हुए उन्होंने भारतीय रक्षण को भी छितर बितर कर दिया . पूरे मैच में भारत ने 14 पेनल्टी कॉर्नर गंवाये जिनमें से आठ आखिरी क्वार्टर में गए .
आठ बार की चैम्पियन भारतीय हॉकी टीम ने ओलंपिक में आखिरी पदक 1980 में मॉस्को में जीता था . भारतीय डिफेंडरों को अब जर्मनी के खिलाफ ऐसी गलती करने से बचना होगा जो उन्होंने बेल्जियम के खिलाफ की . टीम में चार विश्व स्तरीय ड्रैग फ्लिकर रूपिंदर पाल सिंह, उपकप्तान हरमनप्रीत सिंह, वरूण कुमार और अमित रोहिदास के होते हुए भी भारतीय टीम पांच में से एक ही पेनल्टी कॉर्नर तब्दील कर सकी . भारतीय टीम को सर्कल के भीतर अनावश्यक भिड़ंत से भी बचना होगा . कप्तान मनप्रीत सिंह को चौथे क्वार्टर में कार्ड मिला और बेल्जियम को दो पेनल्टी कॉर्नर भी . यह भी पढ़ें : Tokyo Olympics 2020: रेसलर रवि कुमार ने मेडल किया पक्का, सेमी फाइनल में सनायव नूरिस्लाम को दी शिकस्त, फाइनल में बनाई जगह
रैंकिंग के आधार पर दोनों टीमों में ज्यादा फर्क नहीं है . भारत तीसरे और जर्मनी चौथे स्थान पर है लेकिन जर्मनी को हराना भारत के लिये आसान नहीं होगा . सेमीफाइनल में आस्ट्रेलिया से हारी जर्मन टीम यहां खुद को साबित करने के इरादे से उतरेगी . भारत ने 2017 हॉकी विश्व लीग फाइनल्स के कांस्य पदक के मुकाबले में जर्मनी को 2 . 1 से हराया था लेकिन उस समय जर्मनी के शीर्ष खिलाड़ी उस टीम में नहीं थे . भारत के बाद जर्मनी ने सबसे ज्यादा चार ओलंपिक स्वर्ण जीते हैं . दोनेां के बीच ओलंपिक में 11 बार मुकाबला हुआ है और दोनों टीमों ने चार चार मैच जीते हैं . तीन मैच ड्रॉ रहे .