संयुक्त राष्ट्र प्रमुख गुतारेस ने तालिबान से महिलाओं को काम करने की अनुमति देने और लड़कियों को शिक्षा हासिल करने देने के अपने वादे पर कायम रहने की अपील भी की. उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान की 80 प्रतिशत अर्थव्यवस्था अनौपचारिक (जिसका कोई रिकॉर्ड दर्ज नहीं है) है, जिसमें महिलाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं और ‘‘उनके बिना अफगान अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने का कोई रास्ता नहीं है.’’ उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र दुनिया के अन्य देशों से अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था में तत्काल नकदी मुहैया कराने की अपील कर रहा है. अफगानिस्तान की अर्थव्यवस्था अगस्त में तालिबान के अधिग्रहण से पहले अंतरराष्ट्रीय सहायता पर निर्भर थी. देश का 75 प्रतिशत खर्च अंतरराष्ट्रीय सहायता से मिलता था.
देश एक नकदी संकट से जूझ रहा है, क्योंकि अमेरिका और अन्य देशों में उसकी सम्पत्तियां जब्त हैं और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से मिलने वाली सहायता को रोक दिया गया है. संयुक्त राष्ट्र के न्यूयॉर्क स्थित मुख्यालय में गुतारेस ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ अभी, उनकी सम्पत्ति जब्त है और विकास सहायता रुकी हुई है, इसलिए अर्थव्यवस्था चरमरा रही है. बैंक बंद हो रहे हैं और कई जगहों पर स्वास्थ्य देखभाल जैसी आवश्यक सेवाएं भी बंद कर दी गई हैं.’’ संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा कि अफगानिस्तान के आर्थिक पतन को रोकने के लिए नकदी का प्रवाह बढ़ाना और तालिबान को मान्यता देना दोनों अलग-अलग मामले हैं. यह भी पढ़ें : Maharashtra: दुष्कर्म के बाद गर्भवती हुई किशोरी, युवक गिरफ्तार
गुतारेस ने कहा कि ‘‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों या समझौता सिद्धांतों का उल्लंघन किए बिना’’ अफगान अर्थव्यवस्था में नकदी का प्रवाह किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम द्वारा संचालित ‘ट्रस्ट फंड’ के साथ-साथ देश में संचालित गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से ऐसा किया जा सकता है.