नयी दिल्ली, पांच अक्टूबर फरीदाबाद नगर निगम ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने वन भूमि पर बने छह फार्म हाऊस सहित कई ढांचों को ढहा दिया है।
फरीदाबाद में खोरी गांव के मामले पर सुनवाई के दौरान नगर निकाय ने उच्चतम न्यायालय से कहा कि वन भूमि पर अनधिकृत निर्माण के खिलाफ कार्रवाई करने से पहले उचित प्रक्रिया का पालन किया जा रहा है। अरावली जंगल क्षेत्र में स्थित इस गांव से अनधिकृत निर्माण को हटाया गया है।
निगम की तरफ से पेश वकील ने न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति दिनेश माहेश्वरी की पीठ से कहा कि उन्होंने दो स्थिति रिपोर्ट दायर की है जिसमें एक निर्माण ढहाने से संबंधित ब्यौरा है।
इसने कहा, ‘‘कुछ ढांचों को ढहाया गया जो सभी पहलू से बिल्कुल स्पष्ट थे और उनके मालिकों ने न तो कोई आपत्ति की या न ही कोई स्थगन आदेश दिखाया।’’
स्थिति रिपोर्ट के ब्यौरे के मुताबिक, इस वर्ष अगस्त और सितंबर में नौ ढांचों के खिलाफ कार्रवाई की गई जिसमें छह फार्म हाऊस और तीन विवाह भवन थे।
पीठ ने वकील से कहा, ‘‘कुछ ढांचों के संबंध में आपने ढहाने का ब्यौरा दिया है और अधिकतर ढांचे नहीं ढहाए गए क्योंकि मुद्दे लंबित हैं।’’
वकील ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया था कि ढांचों के मालिक वन विभाग को आवेदन देंगे जो जांच करेगा कि ढांचा वन भूमि पर है अथवा नहीं, या यह अनधिकृत है या नहीं, और इस पर निर्णय करेगा।
हरियाणा की तरफ से पेश हुए सोलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वन विभाग ने इन आवेदनों पर निर्णय किया है और उन्होंने पंजाब भूमि संरक्षण कानून में संशोधन का जिक्र किया।
इन हलफनामों पर सुनवाई करते हुए पीठ ने हरियाणा राज्य से कहा कि स्पष्ट रूप से हलफनामा दायर कर तथ्यात्मक आधार बताएं कि किस तरह से इलाके को वन भूमि के रूप में अधिसूचित किया गया है और मामले पर सुनवाई की अगली तारीख आठ अक्टूबर तय की।
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