देश की खबरें | बंगाल स्थापना दिवस मनाने की तारीख पर विधानसभा में निर्णय लिया जाएगा : ममता

कोलकाता, 29 अगस्त पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को कहा कि 20 जून को राज्य का स्थापना दिवस मनाने का केंद्र का विचार गलत है और इसे मनाये जाने की तारीख के बारे में निर्णय विधानसभा में लिया जाएगा।

ममता ने राज्य के स्थापना दिवस पर चर्चा के लिए पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा बुलाई गई एक बैठक में यह बात कही।

सर्वदलीय बैठक में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) जैसे विपक्षी दलों की अनुपस्थिति पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ने नाराजगी जताई।

दोनों वाम दल और टीएमसी भी विपक्षी दलों के गठबंधन ‘इंडिया’ में शामिल हैं।

वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने बैठक का बहिष्कार किया।

बैठक में शामिल हुए ज्यादातर लोगों ने 15 अप्रैल को बंगाली नव वर्ष (पोइला बैसाख) को राज्य के स्थापना दिवस के रूप में मनाने की हिमायत की।

ममता ने बैठक के बाद कहा, ‘‘हमें आपके विचार प्राप्त हुए हैं। राज्य के स्थापना दिवस की तारीख पर निर्णय पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक प्रस्ताव लाकर चर्चा कराने के बाद लिया जाएगा।’’

टीएमसी प्रमुख ने आरोप लगाया कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) राज्य का इतिहास बदलने की कोशिश कर रही है और यदि 20 जून की तारीख का विरोध नहीं किया गया तो इसे राज्य स्थापना दिवस के रूप में स्थापित कर दिया जाएगा।

बंगाल विधानसभा में 20 जून 1947 को विधायकों के अलग-अलग समूहों की दो बैठकें हुई थीं। इनमें से एक में पश्चिम बंगाल को भारत का हिस्सा बनाने की मांग की गई थी, जिसके लिए सदन में हुए मतदान में ज्यादातर सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया था। दूसरा समूह उन क्षेत्रों के विधायकों का था, जिनसे बाद में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) बना।

मुख्यमंत्री की कड़ी आपत्तियों के बावजूद, केंद्र के निर्देश पर 20 जून को यहां राजभवन में और कई अन्य राज्यों में यह स्थापना दिवस मनाया गया।

ममता ने कहा, ‘‘वे (भाजपा) इतिहास को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। यदि हमने विरोध नहीं किया तो यह दिन (20 जून) राज्य स्थापना दिवस बना दिया जाएगा।’’

ममता ने कहा, ‘‘जब मैं ‘इंडिया’ गठबंधन का हिस्सा हूं, माकपा और भाकपा यह सवाल कर रही है कि राज्य के स्थापना दिवस पर यह बैठक क्यों बुलाई गई।’’

बैठक में पश्चिम बंगाल विधानसभा के अध्यक्ष बिमान बनर्जी ने कहा कि कई प्रस्ताव सौंपे गये हैं और विषय पर विधानसभा में विस्तार से चर्चा की जाएगी।

माकपा और कांग्रेस ने बैठक का बहिष्कार करते हुए कहा कि ऐसे कई ज्वलंत मुद्दे हैं जिन पर इस तरह की सर्वदलीय बैठक बुलाने की जरूरत है।

नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र एवं इतिहासकार सुगत बोस, और कवि सुबोध सरकार सहित कई गणमान्य लोगों ने 15 अप्रैल को राज्य स्थापना दिवस के तौर पर मनाने के पक्ष में बात रखी है। बांग्ला नववर्ष (पोइला बैसाख) 15 अप्रैल को मनाया जाता है।

सर्वदलीय बैठक बुलाने से कुछ दिन पहले, राज्य विधानसभा द्वारा गठित एक समिति ने 15 अप्रैल को बांग्ला दिवस मनाने की सिफारिश की थी।

अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश कार्यकारी प्रमुख चंद्रचूड़ गोस्वामी ने भी कहा, ‘‘राज्य का स्थापना दिवस ऐसे दिन नहीं मनाया जाना चाहिए, जो रक्तपात का पर्याय हो और हमें लगता है कि बंगाली नववर्ष स्थापना दिवस मनाने के लिए सर्वश्रेष्ठ दिन है।’’

इस बीच, राज्य के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस को लिखे एक पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा था कि विभाजन का दर्द और सदमा इतना है कि पश्चिम बंगाल के लोगों ने देश की आजादी के बाद से किसी भी दिन को ‘स्थापना दिवस’ के रूप में नहीं मनाया है।

सिलहट जिले में, जो उस समय असम का हिस्सा था, यह निर्णय लिया गया कि वहां जनमत संग्रह कराया जाएगा।

विभाजन बाद के दंगों में दोनों ओर के करीब 25 लाख लोग विस्थापित हुए थे और करोड़ों रुपये मूल्य की संपत्ति जला दी गई थी।

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