नयी दिल्ली, 26 जुलाई केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, केंद्रीय विश्वविद्यालयों, आईआईटी, आईआईएम, एनआईटी और आईआईएसईआर सहित उच्च शिक्षा संस्थानों में पिछले पांच वर्षों में 98 छात्रों ने आत्महत्या की है।
वर्ष 2023 में अब तक उच्च शिक्षा संस्थानों में छात्रों की आत्महत्या के 20 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें केंद्रीय विश्वविद्यालयों के नौ और आईआईटी के सात मामले शामिल हैं।
केंद्रीय शिक्षा राज्यमंत्री सुभाष सरकार ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
मंत्री ने बताया कि पिछले चार वर्षों में आत्महत्या के अधिकांश मामले इंजीनियरिंग संस्थानों से सामने आए हैं।
आंकड़ों के अनुसार, आत्महत्या से मरने वाले 98 छात्रों में से सबसे अधिक मामले आईआईटी (39), एनआईटी (25), केंद्रीय विश्वविद्यालयों (25), आईआईएम (4), आईआईएसईआर (3) और आईआईआईटी (2) के थे।
वर्षवार आंकड़ों के अनुसार, सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2023 में अब तक इन संस्थानों में 20, 2022 में 24, 2021 और 2020 में सात-सात, 2019 में 19 और 2018 में 21 छात्रों ने आत्महत्या की है।
श्रेणीवार आत्महत्या पर एक अलग सवाल में, आंकड़ों से पता चला है कि इस साल आईआईटी में सात मामलों में से दो छात्र अनुसूचित जाति (एससी) और एक अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से था।
केंद्रीय विश्वविद्यालयों में नौ मामलों में से छह एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक समुदायों से थे।
पिछले दो वर्षों में इन श्रेणियों के आईआईएम, एसपीए और आईआईएसईआर से आत्महत्या का कोई मामला सामने नहीं आया है।
सरकार ने कहा कि कोविड-19 के दौरान और उसके बाद मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण के मुद्दे को हल करने के लिए, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने विभिन्न कदम उठाए हैं और उच्च शिक्षा संस्थानों को सलाह जारी की है।
मंत्री सरकार ने कहा, ‘‘यूजीसी ने उच्च शिक्षा संस्थानों में शारीरिक फिटनेस, खेल, छात्रों के स्वास्थ्य, कल्याण, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक कल्याण को बढ़ावा देने के लिए भी दिशा-निर्देश जारी किए हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मंत्रालय ने अकादमिक तनाव को कम करने के लिए छात्रों के लिए क्षेत्रीय ओं में तकनीकी शिक्षा शुरू करने जैसे विभिन्न कदम उठाए हैं।’’
(यह सिंडिकेटेड न्यूज़ फीड से अनएडिटेड और ऑटो-जेनरेटेड स्टोरी है, ऐसी संभावना है कि लेटेस्टली स्टाफ द्वारा इसमें कोई बदलाव या एडिट नहीं किया गया है)