नयी दिल्ली, 13 मई टाटा समूह की दो एयरलाइन कंपनियों एयर इंडिया और विस्तारा की विलय प्रक्रिया के तहत उनके 7,000 से अधिक कर्मचारियों का मूल्यांकन कर लिया गया है और उनकी भूमिकाओं का निर्धारण जून में पूरा हो जाएगा। सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
एयर इंडिया के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने विस्तारा के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) विनोद कन्नन के साथ सोमवार को प्रस्तावित विलय के बारे में दोनों एयरलाइंस के कर्मचारियों के साथ डेढ़ घंटे लंबी चर्चा की। एयर इंडिया और विस्तारा में कुल मिलाकर 23,500 से अधिक कर्मचारी हैं।
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में कैंपबेल ने कहा कि 7,000 से अधिक कर्मचारियों का मूल्यांकन किया गया है और उनकी भूमिका एवं जिम्मेदारियों का निर्धारण जून में पूरा कर लिया जाएगा। इनमें चालक दल भी शामिल होंगे।
विस्तारा और एयर इंडिया के बीच करीब 120 पायलट पहले से ही प्रतिनियुक्ति पर हैं और प्रतिनियुक्ति के माध्यम से दोनों एयरलाइंस के बीच कर्मचारियों की आवाजाही जारी रहेगी।
सूत्रों ने कहा कि निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए एक वैश्विक परामर्श फर्म की मदद से संगठन संरचना को अंतिम रूप दिया गया है। संगठन संरचना तय करते समय अगले कुछ वर्षों में बेड़े के विस्तार, नेटवर्क विकास और बढ़ी हुई सेवा की योजनाओं को भी ध्यान में रखा गया है।
दोनों एयरलाइंस के प्रमुखों ने कर्मचारियों को आश्वासन दिया कि नई संरचना में उनकी नियुक्ति या कार्य-निर्धारण योग्यता और क्षमता के आधार पर किया जा रहा है।
इस विलय के लिए मुख्य एकीकरण अधिकारी बनाए गए कन्नन ने एकीकरण की प्रक्रिया और विलय की दिशा में अबतक किए गए कार्यों का उल्लेख किया।
सूत्रों ने कहा कि कर्मचारियों को विलय के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराने के लिए आने वाले दिनों में विभागवार बैठकें भी आयोजित की जाएंगी।
टाटा समूह के नियंत्रण वाली दोनों एयरलाइंस के विलय की घोषणा नवंबर, 2022 में की गई थी। सौदा पूरा होने के बाद सिंगापुर एयरलाइंस की एयर इंडिया में 25.1 प्रतिशत हिस्सेदारी होगी। विस्तारा, सिंगापुर एयरलाइंस और टाटा समूह का संयुक्त उद्यम है।
विलय को भारत में राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से मंजूरी का इंतजार है। इस साल मार्च में सिंगापुर के प्रतिस्पर्धा नियामक सीसीसीएस ने प्रस्तावित विलय को सशर्त मंजूरी दे दी थी। सितंबर, 2023 में सौदे को कुछ शर्तों के अधीन भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से भी मंजूरी मिल गई थी।
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