विदेश की खबरें | मंगल ग्रह से मिले 4.45 अरब वर्ष पुराने क्रिस्टल से खुलासा, ग्रह पर शुरू से ही था पानी
श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धने

पर्थ, 24 नवंबर (द कन्वरसेशन)पृथ्वी पर पानी सर्वत्र मौजूद है। पृथ्वी की सतह का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा पानी से ढका हुआ है। पानी हवा में, सतह पर और चट्टानों के अंदर मौजूद है। भूगर्भीय साक्ष्य बताते हैं कि लगभग 4.3 अरब साल पहले से पृथ्वी पर पानी मौजूद रहा है।

मंगल ग्रह पर पानी का इतिहास बहुत अनिश्चित है। यह निर्धारित करना कि पानी पहली बार कब, कहां और कितने समय तक दिखाई दिया, ये सभी ज्वलंत प्रश्न हैं जो मंगल ग्रह पर खोज को आगे बढ़ाते हैं। यदि मंगल ग्रह पर कभी जीवन संभव था, तो कुछ मात्रा में पानी की आवश्यकता वहां रही होगी।

हमने मंगल ग्रह से आए उल्कापिंड में मौजूद खनिज जिरकोन का अध्ययन किया और पाया कि 4.45 अरब साल पहले जब जिरकोन क्रिस्टल बना था, तब वहां पानी मौजूद था। साइंस एडवांसेज पत्रिका में आज प्रकाशित हमारे नतीजे मंगल ग्रह पर पानी के सबसे पुराने सबूत पेश कर सकते हैं।

लाल ग्रह था आद्र

यह लंबे समय से माना जाता रहा है कि मंगल ग्रह के आरंभिक इतिहास में पानी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। अपने परिणामों को व्यापक संदर्भ में रखने के लिए, आइए सबसे पहले विचार करें कि मंगल ग्रह के भूवैज्ञानिक समय-सीमा के संदर्भ में ‘‘प्रारंभिक मंगल’’ का क्या अर्थ है, और फिर मंगल ग्रह पर पानी की खोज के विभिन्न तरीकों पर विचार करें।

पृथ्वी की तरह मंगल ग्रह का निर्माण भी लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले हुआ था। मंगल ग्रह के इतिहास में चार भूवैज्ञानिक काल हैं। ये हैं अमेजोनियन (आज से तीन अरब वर्ष पहले तक), हेस्पेरियन (तीन अरब से 3.7 अरब वर्ष पहले), नोआचियन (3.7 अरब से 4.1 अरब वर्ष पहले) और प्री-नोआचियन (4.1 अरब से लगभग 4.5 अरब वर्ष पहले)।

मंगल ग्रह पर पानी के सबूत पहली बार 1970 के दशक में मिले थे, जब नासा के मेरिनर 9 अंतरिक्ष यान ने मंगल ग्रह की सतह पर नदी घाटियों की तस्वीरें खींची थीं। बाद में मार्स ग्लोबल सर्वेयर और मार्स एक्सप्रेस सहित ऑर्बिटल मिशन ने सतह पर ‘हाइड्रेटेड क्ले मिनरल्स’ की व्यापक मौजूदगी का पता लगाया। इनके लिए पानी की जरूरत होती है।

मंगल ग्रह की नदी घाटियां और मिट्टी के खनिज मुख्य रूप से नोआचियन इलाकों में पाए जाते हैं, जो मंगल के लगभग 45 प्रतिशत हिस्से को अच्छादित करते हैं। इसके अलावा, ऑर्बिटर्स ने हेस्पेरियन इलाकों में बड़ी बाढ़ नालियों का भी पता लगाया जिन्हें ‘आउटफ्लो चैनल’ कहा जाता है। ये सतह पर पानी की अल्पकालिक उपस्थिति का संकेत देते हैं, शायद भूजल से निकले जल से।

मंगल ग्रह पर पानी से संबंधित जल की अधिकतर रिपोर्ट में तीन अरब साल से भी पुरानी सामग्री या भूभाग में मौजूदगी के संकेत हैं। हाल ही में, मंगल ग्रह पर स्थिर तरल पानी के ज्यादा सबूत नहीं मिले हैं।

लेकिन प्री-नोआचियन के दौरान क्या हुआ? मंगल ग्रह पर पहली बार पानी कब दिखाई दिया? प्री-नोआचियन मंगल ग्रह की एक झलक।

मंगल ग्रह पर पानी की खोज के तीन तरीके हैं। पहला तरीका है सतह पर परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष यान द्वारा किए गए अवलोकनों का उपयोग करना। दूसरा तरीका है जमीन पर आधारित अवलोकनों का उपयोग करना, जैसे कि मंगल रोवर द्वारा किए गए अवलोकन।

तीसरा तरीका है पृथ्वी पर गिरे मंगल ग्रह के उल्कापिंडों का अध्ययन करना, जो हमने किया।

वास्तव में, हमारे पास अध्ययन के लिए उपलब्ध एकमात्र प्री-नोआचियन सामग्री मंगल ग्रह से आए उल्कापिंडों में पाई जाती है। पृथ्वी पर गिरे सभी उल्कापिंडों में से कुछ हमारे पड़ोसी ग्रह से आए हैं।

इन उल्कापिंडों का एक और भी छोटा समूह, जिसके बारे में माना जाता है कि वह मंगल ग्रह से एक ही क्षुद्रग्रह के टकराने के कारण निकले थे, में प्री-नोआचियन सामग्री मौजूद हैं।

इस समूह की सबसे चर्चित और असाधारण चट्टान को एनडब्ल्यूए7034 या ब्लैक ब्यूटी कहा जाता है।

ब्लैक ब्यूटी एक मंगल ग्रह से आया चर्चित उल्कापिंड है जो टूटी हुई सतह सामग्री या रेगोलिथ से बना है। चट्टान के टुकड़ों के अलावा, इसमें जिरकोन भी हैं जो 4.48 अरब से 4.43 अरब साल पहले बने थे। ये मंगल ग्रह के ज्ञात सबसे पुराने टुकड़े हैं।

इन प्राचीन जिरकोन में से एक में सूक्ष्म तत्वों का अध्ययन करते समय हमें हाइड्रोथर्मल प्रक्रियाओं के साक्ष्य मिले। इसका अभिप्राय है कि सुदूर अतीत में जब वे बने थे, तब वे गर्म पानी के संपर्क में थे।

उद्गम बताने वाले तत्व, जल और अयस्क भंडार से संबंध

हमने जिस जिरकोन का अध्ययन किया है वह 4.45 अरब वर्ष पुराना है। इसके अंदर लोहा, एल्युमीनियम और सोडियम प्याज की तरह संकेंद्रित परतों की तरह प्रचुर मात्रा में संरक्षित हैं।

यह पैटर्न को ऑसिलेटरी जोनिंग कहा जाता है। यह दर्शाता है कि इन तत्वों का समावेश जिरकोन में उसके आग्नेय इतिहास के दौरान, मैग्मा में हुआ था।

समस्या यह है कि लोहा, एल्युमीनियम और सोडियम सामान्यतः क्रिस्टलीय आग्नेय जिरकोन में नहीं पाए जाते। तो फिर ये तत्व मंगल ग्रह के जिरकोन में कैसे पहुंचे?इसका उत्तर गर्म पानी है।

पृथ्वी की चट्टानों में, लोहा, एल्युमीनियम और सोडियम जैसे तत्वों के लिए परतवार पैटर्न वाले जिरकोन का मिलना दुर्लभ है। एकमात्र स्थान जहां मिला है, वह दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में ओलंपिक डैम है, जो तांबे, यूरेनियम और सोने का एक विशाल भंडार है।

ओलंपिक डैम जैसे स्थानों में धातुओं का सांद्रण मैग्माटिज्म के दौरान चट्टानों के माध्यम से प्रवाहित होने वाली हाइड्रोथर्मल (गर्म पानी) प्रणालियों द्वारा किया गया था।

हाइड्रोथर्मल प्रणाली हर उस जगह बनती हैं जहां ज्वालामुखीय नलकर्म प्रणाली द्वारा गर्म किया गया गर्म पानी चट्टानों से होकर गुजरता है। अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क जैसी जगहों पर शानदार ‘गीजर’ तब बनते हैं जब पृथ्वी की सतह पर हाइड्रोथर्मल पानी का सोता फूटता है।

मंगल पर बने उष्ण जलीय जिरकोन की खोज से प्रारंभिक मंगल ग्रह पर अयस्क भंडार बनने की दिलचस्प संभावना पैदा होती है।

पिछले अध्ययनों ने एक आद्र प्री-नोआचियन मंगल की प्रस्तावना दी। 4.43 अरब वर्ष पुराने मंगल जिरकोन में असामान्य ऑक्सीजन समस्थानिक अनुपात को पहले एक प्रारंभिक जलमंडल के प्रमाण के रूप में व्याख्यायित किया गया था। यह भी संकेत किया गया था कि मंगल पर 4.45 अरब वर्ष पहले एक प्रारंभिक वैश्विक महासागर हो सकता है।

हमारे अध्ययन से वृहद तस्वीर यह है कि मैग्माटिक हाइड्रोथर्मल प्रणालियां 4.45 अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह की सतह के प्रारंभिक निर्माण के दौरान सक्रिय थीं।

यह स्पष्ट नहीं है कि इसका अभिप्राय यह है कि इस समय सतह पर पानी स्थिर था, लेकिन हमें लगता है कि यह संभव है। यह स्पष्ट है कि मंगल की सतह पर, पृथ्वी की तरह, इसके बनने के कुछ समय बाद ही पानी था - जो रहने के लिए एक आवश्यक घटक है।

(द कन्वरसेशन)

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