नयी दिल्ली, दो जनवरी सेना को तकनीकी रूप से उन्नत बल में बदलने के उद्देश्य से भारत द्वारा 2025 को ‘रक्षा सुधारों का वर्ष’ घोषित करने के एक दिन बाद, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि डीआरडीओ निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने में ‘‘महत्वपूर्ण भूमिका’’ निभाएगा।
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि सिंह ने यहां रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के मुख्यालय का दौरा किया और इसके 67वें स्थापना दिवस के मौके पर वरिष्ठ वैज्ञानिकों और विभिन्न अधिकारियों के साथ बातचीत की।
उन्होंने डीआरडीओ से तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ तालमेल बैठाते हुए आगे बढ़ने और बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद तैयार करने का आह्वान किया।
रक्षा मंत्री ने 2025 को ‘सुधारों का वर्ष’ घोषित किए जाने पर कहा कि डीआरडीओ निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
भारत ने बुधवार को 2025 को रक्षा सुधारों का वर्ष घोषित किया था और कहा था कि इसका उद्देश्य सेना के तीनों अंगों के बीच तालमेल बढ़ाने के लिए एकीकृत सैन्य कमान शुरू करना तथा सेना को तकनीकी रूप से उन्नत और युद्ध के लिए तैयार बल में बदलना है।
रक्षा मंत्रालय ने जिन सुधारों की योजना बनाई है उनका व्यापक उद्देश्य रक्षा अधिग्रहण प्रक्रियाओं को सरल और समयबद्ध बनाना, प्रमुख हितधारकों के बीच गहन सहयोग सुनिश्चित करना, बाधाओं को दूर करना, अक्षमताओं को समाप्त करना और संसाधनों का अधिक से अधिक उपयोग करना है।
सिंह ने बुधवार को कहा था कि ये सुधार देश की रक्षा तैयारियों में ‘‘अभूतपूर्व’’ प्रगति की नींव रखेंगे और 21वीं सदी की चुनौतियों के बीच भारत की सुरक्षा एवं संप्रभुता सुनिश्चित करेंगे।
रक्षा मंत्री ने बृहस्पतिवार को डीआरडीओ से तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ तालमेल बैठाते हुए आगे बढ़ने और बदलते समय की आवश्यकताओं के अनुरूप उत्पाद तैयार करने का आह्वान किया।
मंत्रालय के एक बयान के अनुसार सिंह ने कहा कि डीआरडीओ की प्रत्येक प्रयोगशाला को 2-3 महत्वपूर्ण परियोजनाओं की पहचान करनी चाहिए और उन्हें 2025 तक पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘अगले स्थापना वर्ष तक, हमारे पास ऐसी 100 परियोजनाएं होनी चाहिए जो पूरी की जा चुकी हों।”
सिंह ने निजी क्षेत्र के साथ सहयोग बढ़ाने की दिशा में डीआरडीओ के प्रयासों की सराहना की, जिसमें संगठन द्वारा अपनी तकनीकें प्रदान करना और अपने पेटेंट तक मुफ्त पहुंच प्रदान करना शामिल है।
उन्होंने संगठन से ऐसे और क्षेत्रों की पहचान करने का आग्रह किया, जो निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ा सकते हैं और साथ ही इस बात पर जोर दिया कि एक राष्ट्र तभी प्रगति कर सकता है जब सभी हितधारक मिलकर काम करें।
रक्षा मंत्री ने डीआरडीओ से अपने अनुसंधान एवं विकास प्रयासों में ‘स्टार्ट-अप’ को शामिल करने की संभावना तलाशने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि इससे विचारों के बहुमूल्य आदान-प्रदान को बढ़ावा मिलेगा और भारतीय रक्षा क्षेत्र को बदलते समय के हिसाब से नवीन तकनीकों के साथ आगे आने का अवसर मिलेगा।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक प्रयोगशाला को उद्योग जगत के लोगों के साथ बातचीत के लिए हर महीने दो दिन का समय तय करना चाहिए। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्रयोगशालाएं डीआरडीओ द्वारा किए जा रहे कार्यों के बारे में जागरूकता बढ़ा सकती हैं और युवाओं को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
बाद में सिंह ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘आज नई दिल्ली में डीआरडीओ के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और अधिकारियों के साथ शानदार बातचीत हुई। भारत की स्वदेशी क्षमताओं को विकसित करने की दिशा में उनके प्रयासों की सराहना की। उन्होंने डीआरडीओ टीम को तेजी से विकसित हो रहे तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र के साथ आगे बढ़ते रहने और विशिष्ट उत्पाद लाते रहने के लिए प्रोत्साहित किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा, उनके साथ कुछ दूरदर्शी विचार भी साझा किए गए, जो रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास को मजबूत करने में मदद करेंगे।’’
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