लखनऊ, 19 नवम्बर उत्तर प्रदेश पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने अवैध रूप से कॉल सेंटर का संचालन करके अमेरिका के नागरिकों के साथ कथित रूप से ठगी करने वाले संगठित गिरोह का पर्दाफाश कर पांच महिलाओं समेत 16 लोगों को गिरफ्तार किया है।
एसटीएफ के सूत्रों ने रविवार को बताया कि बल की एक टीम ने अवैध रूप से कॉल सेंटर चलाकर अमेरिका के दो नागरिकों से ठगी के मामले में शनिवार को गौतमबुद्ध नगर पुलिस की मदद से ठग गिरोह की पांच महिला सदस्यों समेत कुल 16 लोगों को जिले के फेज-1 थाना क्षेत्र से गिरफ्तार किया।
इनमें दिव्य शर्मा उर्फ लवकुश, दीपू कुमारी, श्रेया, सोनी कुमारी, काजल मिश्रा, तमन्ना, उपासना, तुषार, देवेन्द्र सिंह, वीरेश माथुर, विपुल कुमार, सुमित नेहरा, उद्दयान, शबी अहमद, सुहैल रजा और अमित कुमार शामिल हैं।
सूत्रों ने बताया कि पकड़े गये लोगों के कब्जे से 40 से ज्यादा अमेरिकी नागरिकों के दस्तावेज और डेटा भी बरामद किया गया है।
उन्होंने बताया कि अमेरिकी नागरिक डेवन मिशेल ने ई-मेल के जरिये शिकायत की थी कि नितिन श्रीवास्तव नामक व्यक्ति द्वारा चलाये जा रहे कॉल सेंटर के माध्यम से कॉल कर उसके बैंक ऑफ अमेरिका के खाते से धनराशि हांगकांग के एचएसबीसी बैंक के खाते में स्थानांतरित की गयी है। इस शिकायत पर कार्रवाई करते हुए एसटीएफ की एक टीम गठित कर जांच की जा रही थी।
सूत्रों ने बताया कि तफ्तीश के दौरान एसटीएफ की टीम को पता चला कि नितिन श्रीवास्तव का साझेदार दिव्य शर्मा फेज-1 थाना क्षेत्र स्थित एक इमारत की तीसरी मंजिल पर फर्जी कॉल सेंटर चलाकर अमेरिकी नागरिकों के साथ ठगी कर रहा है। इस सूचना को स्थानीय पुलिस से साझा किया गया जिसकी मदद से शर्मा समेत गिरोह के 16 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया।
गिरफ्तार अभियुक्त दिव्य शर्मा (28) ने पूछताछ में बताया कि 2012 में वह अपनी मां लीना शर्मा के साथ प्रॉपर्टी का काम करता था और इसी दौरान वह नितिन श्रीवास्तव के सम्पर्क में आया। उसने बताया कि नितिन पहले से ही फर्जी कॉल सेंटर चलाता था और वह पांच साल पहले नितिन के गिरोह में शामिल हुआ था।
सूत्रों के मुताबिक, शर्मा ने पूछताछ में बताया कि उसका गिरोह अमेरिका के नागरिकों का डेटा जिसमें नाम, पता, फोन नम्बर एवं सोशल सिक्योरिटी नम्बर होता है, को खरीद लेता है और फिर 'व्हाइट पेजेज' वेबसाइट से इन मोबाइल नम्बरों के अमेरिकी सेवा प्रदाता का पता लगा लिया जाता है और फिर अपने कॉल सेंटर से मोबाइल धारक को उसी सेवा प्रदाता की तरफ से फर्जी कॉल किया जाता और धारक से उसका पिन नम्बर ले लिया जाता। शर्मा ने बताया कि इसके बाद फिर इसी कॉल सेंटर से सेवा प्रदाता को धारक बनकर फोन करते और धारक का पिन नम्बर सेवा प्रदाता को देते और उससे नया फोन बुक करा लेते।
सूत्रों ने बताया कि इस नये फोन को डिलीवर करने के लिए एक फर्जी एड्रेस से जाली ड्राइविंग लाइसेंस और पासपोर्ट वगैरह बनाकर अपलोड कर दिए जाते और दिये हुए पते पर फोन की डिलीवरी हो जाती थी जिसे अमेरिका में उनसे जुड़े एजेन्ट प्राप्त कर लेते थे और उसके बदले अमेरिकी एजेन्ट उस धन को हांगकांग स्थित विभिन्न बैकों के खाते में जमा करा देते थे। उसके बदले में ‘लोकल बिटक्वाइन पेज’ के जरिये कमीशन दिया जाता है।
सूत्रों के मुताबिक, गिरफ्तार अभियुक्तों के विरूद्ध थाना फेज-1 में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही की जा रही है।
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