भुवनेश्वर, 20 अक्टूबर ओडिशा में निजी बस मालिकों के शीर्ष संघ ने कुछ मार्गों पर बस चलाने की राज्य सरकार की नीति के विरोध में शुक्रवार को 'अनिश्चितकालीन' हड़ताल की शुरुआत कर दी, जिससे राज्य भर में बस सेवाएं प्रभावित हुईं।
अधिकारियों ने बताया कि संघ और सरकार के बीच मुद्दे का समाधान नहीं निकलने के बाद सुबह छह बजे शुरू हुई हड़ताल के कारण करीब 14,000 बसें सड़कों से नदारद रहीं।
हड़ताल के चलते ओडिशा से दुर्गा पूजा महोत्सव के लिए अपने घर जाने वाले सैकड़ों यात्री सुबह से ही विभिन्न बस अड्डों और टर्मिनल पर लंबी कतारों में इंतजार करते हुए दिखे।
ओडिशा निजी बस मालिकों के संघ के महासचिव देवेंद्र साहू ने कहा कि नौ अक्टूबर को एक बैठक के दौरान राज्य सरकार ने आश्वस्त किया था कि लोकेशन ऐक्सेसिबल मल्टीमोडल इनिशिएटिव (एलएसीसीएमआई) के तहत बसें ब्लॉक से जिलों तक नहीं चलेंगी, ‘‘लेकिन इसे पूरा नहीं किया गया।’’
अधिकारियों ने बताया कि ओडिशा के परिवहन मंत्री तुकुनी साहू ने निजी बस मालिकों से दुर्गा पूजा उत्सव के मद्देनजर हड़ताल वापस लेने की अपील की थी, लेकिन संघ अपनी मांग पर अड़ा रहा और प्रशासन से लिखित आश्वासन मांगा।
मंत्री ने कहा,"संघ का फैसला पूरी तरह से एकतरफा है। हमने उन्हें 26 अक्टूबर को फिर से चर्चा के लिए बुलाया है। लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए और बस मालिकों को सरकार के साथ सहयोग करना चाहिए।" उन्होंने कहा कि एलएसीसीएमआई बस सेवा जारी रहेगी।
देवेंद्र साहू ने कहा कि बस मालिकों का दुर्गा पूजा के दौरान यात्रियों को असुविधा पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था, लेकिन उन्हें "हड़ताल के लिए मजबूर होना पड़ा"।
उन्होंने बृहस्पतिवार को कहा,'' हमें बताया गया था कि एलएसीसीएमआई बसें केवल पंचायतों से ब्लॉक तक चलेंगी, ना कि जिला मुख्यालयों तक। इसके चलते हमने 10 अक्टूबर को होने वाली अपनी हड़ताल को स्थगित कर दिया था। दुर्भाग्य से, ओडिशा सरकार द्वारा संचालित बसें अभी भी जिलों में चल रही हैं। प्रशासन अपनी बात पर अटल नहीं रहा।''
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने इस महीने की शुरुआत में एलएसीसीएमआई के तहत किफायती बस सेवा की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य सभी ग्राम पंचायतों को जिला मुख्यालयों और राज्य की राजधानी से जोड़ना था।
परिवहन विभाग के सूत्र ने बताया कि ओडिशा के लोग काफी हद तक आवाजाही के लिए निजी बसों पर आश्रित हैं। राज्य में सरकारी बसों की संख्या केवल 2,000 है, जबकि इसके मुकाबले निजी बसों की संख्या 14,000 है।
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