Punjab Politics: पंजाब के 10 कांग्रेस विधायकों ने लिखा पार्टी हाईकमान को पत्र, कैप्टन अमरिंदर सिंह को बताया सबसे बड़ा नेता
अमरिंदर सिंह और सिद्धू का विभिन्न मुद्दों पर टकराव रहा है. यह बयान उन खबरों के बीच आया है, जिनमें नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किए जाने की संभावना जतायी गयी है. कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने 10 विधायकों की ओर से संयुक्त बयान जारी किया. कांग्रेस के सात विधायकों में कुलदीप सिंह वैद, फतेहजंग बाजवा और हरमिंदर सिंह गिल हैं.
चंडीगढ़: कांग्रेस (Congress) की पंजाब (Punjab) इकाई में संभावित फेरबदल के पहले 10 विधायकों (MLA) ने रविवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) के समर्थन में एक संयुक्त बयान जारी किया और पार्टी आलाकमान से उन्हें ‘निराश’ नहीं करने का आग्रह किया. कांग्रेस के सात विधायकों और पाला बदलकर हाल में सत्तारूढ़ दल में आए आम आदमी पार्टी (AAP) के तीन विधायकों ने भी कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू (Navjot Singh Sidhu) एक ‘सेलिब्रिटी’ हैं और निस्संदेह पार्टी के लिए वह एक संपत्ति हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से अपनी ही पार्टी और सरकार की निंदा और आलोचना कर उन्होंने ‘‘कार्यकर्ताओं में असंतोष बढ़ाया है और पार्टी को कमजोर किया है.’’ Punjab: कलह के बीच पंजाब कांग्रेस के सांसदों की दिल्ली में बैठक
अमरिंदर सिंह और सिद्धू का विभिन्न मुद्दों पर टकराव रहा है. यह बयान उन खबरों के बीच आया है, जिनमें नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किए जाने की संभावना जतायी गयी है. कांग्रेस नेता सुखपाल सिंह खैरा ने 10 विधायकों की ओर से संयुक्त बयान जारी किया. कांग्रेस के सात विधायकों में कुलदीप सिंह वैद, फतेहजंग बाजवा और हरमिंदर सिंह गिल हैं.
खैरा के अलावा, बयान जारी करने वाले आप के दो बागी विधायक जगदेव सिंह कमलू और पीरमल सिंह खालसा हैं. तीनों जून के महीने में कांग्रेस में शामिल हो गए थे. बयान में विधायकों ने पार्टी आलाकमान से यह कहते हुए अमरिंदर सिंह को ‘‘निराश’’ नहीं करने का आग्रह किया कि उनके अथक प्रयासों के कारण पार्टी पंजाब में अच्छी तरह से स्थापित है. उन्होंने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रमुख की नियुक्ति पार्टी आलाकमान का विशेषाधिकार है, लेकिन सार्वजनिक रूप से ‘बयानबाजी’ से पिछले कुछ महीनों के दौरान पार्टी पर असर पड़ा है.
बयान में विधायकों ने कहा कि सिंह का राज्य में समाज के विभिन्न वर्गों, विशेष रूप से उन किसानों के बीच अपार सम्मान है, जिनके लिए उन्होंने 2004 के जल समझौते की समाप्ति कानून को पारित करते हुए मुख्यमंत्री के रूप में अपनी कुर्सी को खतरे में डाल दिया था. उन्होंने सिद्धू से तब तक नहीं मिलने के सिंह के फैसले का समर्थन किया जब तक कि वह सार्वजनिक रूप से उनके खिलाफ अपने ‘‘अपमानजनक’’ ट्वीट के लिए माफी नहीं मांग लेते. उन्होंने कहा कि सिद्धू को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए ताकि पार्टी और सरकार मिलकर काम कर सके.
संयुक्त बयान में विधायकों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि पार्टी आलाकमान उनके सुझावों का संज्ञान लेगा और पार्टी के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेते समय अमरिंदर सिंह के योगदान और पृष्ठभूमि को निश्चित रूप से ध्यान में रखेगा.
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