दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा (Cyril Ramphosa) ने एक साप्ताहिक संवाद पत्र में नई दवा के बारे में बताते हुए कहा कि यह दवा इंजेक्शन से दी जाएगी और लंबे समय तक काम करेगी. इससे एचआईवी (HIV) के खिलाफ उपचार में ज्यादा सहयोग मिलने की संभावना है. यूएनएड्स (UN AIDS) के मुताबिक, यह क्षेत्र एचआईवी से बुरी तरह से प्रभावित है. दक्षिण अफ्रीका में 77 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हैं. इस साल के शुरू में पुरुषों और महिलाओं पर अलग –अलग किए गए अध्ययन से पता चला है कि "कैबोटेग्रेवीर " नाम की दवाई परीक्षण में कामयाब रही है. पीआरईपी की रोजाना एक गोली लेने की तुलना में हर दो महीने पर लगाया गया इंजेक्शन 90 फीसदी ज्यादा प्रभावी रहा.
रामफोसा ने संदेश में कहा कि कोरोना वायरस महामारी के कारण एचआईवी के खिलाफ दक्षिण अफ्रीका की मुहिम प्रभावित हुई है और यही स्थिति उन सभी देशों में है जहां एचआईवी/एड्स के मामले अधिक हैं. विश्व एड्स दिवस के मौके पर संयुक्त राष्ट्र एड्स की कार्यकारी निदेशक विन्नी बयानीमा ने कहा कि 1.2 करोड़ों से ज्यादा लोगों को अब भी एचआईवी के इलाज का इंतजार है जबकि 2019 में 17 लाख लोग एचआईवी से संक्रमित हुए. उन्होंने कंपनियों से अनुरोध किया कि वे अपनी प्रौद्योगिकी को साझा करें एवं बौद्धिक संपदा के अधिकार को छोड़ें ताकि विश्व कोविड-19 समेत टीकों का उस स्तर पर उत्पादन कर सके जिसकी जरूरत है.
उन्होंने कहा कि कोविड-19 के आने से पहले ही एड्स के खिलाफ वैश्विक स्तर पर उदासीनता आ गई थी और अगर विश्व 2030 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे के तौर पर एचआईवी/एड्स को खत्म करने के लक्ष्य को हासिल करना चाहता है तो उसे अपने लक्ष्य फिर से तय करने होंगे.
"कैबोटेग्रेवीर " का क्लिनिकल परीक्षण दक्षिण अफ्रीका, यूगांडा (Uganda), केन्या (Kenya), मालावी (Malavi), बोत्सवाना (Botswana) और जिम्बाब्वे (Zimbabwe) आदि के अनुसंधान केंद्रों में 3200 से ज्यादा महिलाओं पर किया गया था. वीव हेल्थकेयर "कैबोटेग्रेवीर" को विकसित कर रही है.
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