परमाणु हथियार बेलारूस में तैनात क्यों करना चाहते हैं पुतिन

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सामरिक परमाणु हथियारों को बेलारूस में तैनात करने की बात कही है.

प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सामरिक परमाणु हथियारों को बेलारूस में तैनात करने की बात कही है. ये परमाणु हथियार युद्ध के मैदान में इस्तेमाल होते हैं. पुतिन के इन हथियारों का नाम लेने के क्या मायने हैं.रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बेलारूस में टैक्टिकल यानी मरिक परमाणु हथियार तैनात करने का इरादा जताया है. इन इरादों से यूक्रेन युद्ध के खतरे और ज्यादा बढ़ गए हैं. इसके बाद पुतिन ने यह चेतावनी भी दी कि रूसी इलाके में हमलों को रोकने के लिए उनका देश "सभी उपलब्ध विकल्पों" का इस्तेमाल करने को तैयार है.

पुतिन के इन बयानों का क्या मतलब है और इनका दुनिया पर क्या असर हो सकता है?

पुतिन ने अपने इरादों के बारे में क्या कहा है?

राष्ट्रपति पुतिन का कहना है कि बेलारूस के राष्ट्रपति आलेक्सांडर लुकाशेंको लंबे समय से परमाणु हथियारों को उनके देश में तैनात करने का आग्रह कर रहे हैं. बेलारूस के साथ रूस के करीबी सैन्य संबंध हैं. पड़ोसी देश यूक्रेन पर 24 फरवरी, 2022 को शुरू हुए हमलों में बेलारूस की जमीन का भी इस्तेमाल हुआ.

रूस ने बेलारूस के जंगी जहाजों को आधुनिक बनाने में मदद दी है और उन्हें इस काबिल बनाया है कि वो परमाणु हथियार ढो सकें. बेलारूसी राष्ट्रपति बार-बार इसका जिक्र करते हैं.

शनिवार को प्रसारित भाषण में पुतिन ने कहा रूसी सामरिक परमाणु हथियारों की तैनाती का तात्कालिक कारण ब्रिटेन का यूक्रेन को आर्मर पियर्सिंग शेल मुहैया कराना है, जिसमें यूरेनियम होता है. बाद में पुतिन ने अपना लहजा नरम किया क्योंकि पहले उन्होंने इनमें नाभिकीय घटक होने की बात कही थी, जो गलत है. हालांकि पुतिन ने इस बात पर जोर दिया है कि ये गोले आम लोगों के लिए अतिरिक्त खतरा हैं और वातावरण को खराब कर सकते हैं.

पुतिन का कहना है कि परमाणु हथियारों को बेलारूस में रख कर रूस वही कर रहा है जो अमेरिका ने कई दशकों से बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड्स और तुर्की में परमाणु हथियारों को रख कर किया है. पुतिन ने यह भी कहा कि रूस का कदम नाभिकीय हथियारों के संवर्धन से जुड़ी किसी अंतरराष्ट्रीय संधि की अवहेलना नहीं करता. पुतिन ने यह भी कहा कि अमेरिका ने नाटो सहयोगियों के इलाके में हथियार तैनात कर संधि का उल्लंघन किया है.

पुतिन का बयान पिछले हफ्ते चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात के बाद जारी संयुक्त बयान से उलटा है. तब इन दोनों नेताओं ने परमाणु हथियारों को अपने इलाके से बाहर तैनात करने के विरुद्ध बयान दिया था.

परमाणु हथियारों को लेकर पुतिन के दिमाग में क्या चल रहा है

सामरिक परमाणु हथियार है क्या?

सामरिक या टैक्टिकल परमाणु हथियार युद्ध के मैदान में दुश्मन सैनिकों और हथियारों को खत्म करने के लिए होते हैं. आमतौर पर इनकी रेंज कम होती है और लंबी दूरी की रणनीतिक मिसाइलों की तुलना में भी परमाणु हथियार की ताकत कम होती है. लंबी दूरी के बड़े हथियार तो आमतौर पर पूरे शहर को बर्बाद करने की क्षमता रखते हैं.

रणनीतिक हथियारों पर नियंत्रण के लिए उन्हें रूस और अमेरिका के बीच हुई संधियों में बांधा गया है, लेकिन सामरिक हथियार कभी भी इस तरह की संधियों में शामिल नहीं रहे हैं. रूस ने ना तो उनकी कभी संख्या बताई है ना ही उनसे जुड़ा कोई और ब्योरा दिया है.

अमेरिकी सरकार का मानना है कि रूस के पास 2,000 सामरिक परमाणु हथियार हैं. इनमें विमानों से ले जाये जा सकने वाले बम, छोटी दूरी की मिसाइलों पर लगाये जाने वाले वॉरहेड और टैंकों से दागे जाने वाले गोले शामिल हैं.

दूसरी तरफ रणनीतिक हथियार जमीन या फिर पनडुब्बियों से दागी जाने वाली अंतरमहाद्वीपीय मिसाइलों पर लगाई जाती हैं, जो हमेशा दागे जाने के लिए तैयार रहती हैं. सामरिक हथियारों को अत्यधिक सुरक्षित ठिकानों पर रखा जाता है और उन्हें युद्धक टुकड़ियों तक पहुंचाने में वक्त लगता है.

वास्तव में रूस करेगा क्या?

पुतिन ने कहा है कि रूस ने पहले ही 10 बेलारूसी विमानों को परमाणु हथियार ढोने के लिए सक्षम बनाने में मदद दी है. अब 3 अप्रैल से इन विमानों के क्रू इनका इस्तेमाल करने की ट्रेनिग शुरू करेंगे. पुतिन ने ध्यान दिलाया है कि रूस बेलारूस को इसकांदर शॉर्ट रेंज मिसाइल सिस्टम देने जा रहा है. इन्हें पारंपरिक या परमाणु वॉरहेड के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है.

पुतिन का कहना है कि बेलारूस में परमाणु हथियारों को रखने की जगह बनाने का काम इसी साल 1 जुलाई को पूरा हो जायेगा. पुतिन ने यह नहीं बताया है कि कितने हथियार तैनात होंगे और कब. पुतिन का यह भी कहना है कि जैसे अमेरिका नाटो सहयोगियों के यहां तैनात हथियारों पर नियंत्रण रखता है उसी तरह रूस भी इन हथियारों का नियंत्रण अपने पास रखेगा.

अगर रूस परमाणु हथियारों को बेलारूस भेजता है, तो 1990 के शुरूआती दशकों के बाद पहली बार ये हथियार रूसी सीमा के बाहर जायेंगे. सोवियत संघ टूटने के बाद बेलारूस, यूक्रेन और कजाखस्तान को भारी मात्रा में परमाणु हथियार मिले थे, लेकिन उन्होंने इन्हें बाद के सालों में रूस भेजने पर सहमति जताई.

पुतिन के संभावित कदमों का क्या नतीजा होगा?

ताजा बयानों से पुतिन परमाणु धमकी का संकेत दे कर यूक्रेन में चल रही जंग को और आगे ले जाने की अपनी तैयारी दिखा रहे हैं. बेलारूस की यूक्रेन के साथ 1,084 किलोमीटर लंबी सीमा रेखा है. अगर बेलारूस में हथियार तैनात हुए तो रूसी मिसाइलों और विमानों के लिए अपने संभावित निशानों तक पहुंचना आसान और जल्दी होगा. रूस यहां से पूर्वी और मध्य यूरोप के कई नाटो सदस्यों को भी निशाना बना सकता है.

रूस ने यह कदम तब उठाने की बात की है, जब यूक्रेन की सेना रूसी कब्जे वाले इलाकों में जवाबी हमले की तैयारी में है. यूक्रेनी सैन्य विश्लेषक ओलेह झदानोव का कहना है कि पुतिन का लक्ष्य यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों को जवाबी हमले से पहले और ज्यादा हथियार देने से रोकना है. झदानोव का मानना है कि पुतिन, "परमाणु ब्लैकमेलिंग का इस्तेमाल जंग के मैदान को प्रभावित करने के लिए करना चाहते हैं और परमाणु विस्तार के डर से पश्चिमी सहयोगियों के हथियार और उपकरणों की सप्लाई को घटाना चाहते हैं."

यूक्रेन और पश्चिमी देशों ने क्या कहा?

यूक्रेन ने पुतिन के कदम का जवाब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की आपातकालीन बैठक बुलाने की मांग से दिया है. हालांकि सुरक्षा परिषद ने अब तक किसी बैठक की घोषणा नहीं की है. नाटो ने पुतिन के इस दावे को खारिज किया है कि रूस वही कर रहा है जो अमेरिका दशकों से करता आया है. नाटो का कहना है कि पश्चिमी सहयोगी अंतरराष्ट्रीय बाध्यताओं का सम्मान रखते हुए कदम उठाते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के प्रवक्ता जॉन किर्बी का कहना है कि अभी बेलारूस में ऐसी कोई गतिविधी नहीं दिखाई दी है जिससे पता चले कि रूस अपने हथियार वहां तैनात कर रहा है. अमेरिका की परमाणु प्रतिरक्षा में फिलहाल कोई बदलाव करने की जरूरत नहीं है.

एनआर/एसएम (एपी)

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