इस्लामाबाद: पहले से ही आर्थिक बदहाली से कराह रहे पाकिस्तान (Pakistan) के लिए अब कोरोना वायरस एक नया संकट लेकर आया है. पाकिस्तान की इमरान सरकार को इस संकट से उबरने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ सकता है. हालांकि इस नामुमकिन काम को करने के लिए पाकिस्तान को अमेरिका और चीन से मदद मिलने की उम्मीद नहीं के बराबर है. क्योकि दोनों देशों के बीच ट्रेड वॉर और कोविड-19 को लेकर घमासान मचा हुआ है.
एक रिपोर्ट में अनुमान लगाया है कि कोरोना वायरस के प्रकोप के कारण पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 1.6 से 6.1 करोड़ डॉलर तक का नुकसान उठाना पड़ सकता है. एशियाई विकास बैंक (एडीबी) द्वारा मार्च महीने में जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि कोविड-19 के बढ़ते संक्रमण के चलते 'संभावित सबसे बुरे परिदृश्य' में हालात ऐसे ही बने रहने पर पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पांच अरब डॉलर का नुकसान होगा और देश की जीडीपी 1.57 प्रतिशत से घटेगी. साथ ही पाकिस्तान में 94,60,00 लोग बेरोजगार हो जाएंगे. कोरोना संकट के बीच US-चीन में फिर छिड़ सकता है ट्रेड वॉर, डोनाल्ड ट्रंप ने दी व्यापार सौदा रद्द करने की धमकी
पाकिस्तान को सबसे अच्छे हालात होने पर भी कम से कम 1.623 करोड़ डॉलर का नुकसान उठाना पड़ेगा. इसमें कृषि और खनन क्षेत्र में 55 लाख डॉलर, बिजनेस ट्रेड-पर्सनल एंड पब्लिक सर्विस में 55.4 लाख डॉलर, होटल्स एंड रेस्टोरेंट्स में 6.7 लाख डॉलर, लाइट एंड हेवी मैन्युफैक्चरिंग में 36 लाख डॉलर और ट्रांस्पोर्ट सर्विस में 9.2 लाख डॉलर का नुकसान होने का अनुमान जताया गया है. जबकि मध्यम परिदृश्य में पाकिस्तान को होने वाला अनुमानित नुकसान 3.42 करोड़ डॉलर है. वहीं कोरोना से सबसे बुरे हालत में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 6.08 करोड़ डॉलर का नुकसान उठाना पड़ सकता है.
पाकिस्तान के स्टेट बैंक ने भी ऐसा ही कुछ संकेत दिया है. पाकिस्तान की शीर्ष बैंक ने कहा है कि कोरोना संकट के कारण पाकिस्तान की इस साल आर्थिक विकास दर निगेटिव रहेगी. जबकि आने वाले वर्षों में भी हालत सुधरने की उम्मीद कम नजर आ रही है. पाकिस्तान में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 31674 हुए
इमरान सरकार ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) व पूरी दुनिया से पाकिस्तान की खस्ताहाल अर्थव्यवस्था को सहारा देने की अपील की है. हालांकि अब तक किसी भी देश ने इसमें रूचि नहीं दिखाई है. जबकि आईएमएफ ने पाकिस्तान पर आगामी बजट के लिए कुछ बेहद सख्त लक्ष्य निर्धारित कर भारी दबाव बना दिया है. यह चुनौती दे दी गई है कि लक्ष्य पूरे नहीं हुए तो कर्ज कार्यक्रम का आगे जारी रहना मुश्किल हो जाएगा.
पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक आईएमएफ ने साफ कर दिया है कि वह अगले वित्तीय साल के लिए 5100 अरब पाकिस्तानी रुपये की टैक्स वसूली चाहता है. बजट में इस लक्ष्य को निर्धारित करना ही होगा. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए पाकिस्तान सरकार को 800 अरब रुपये के और टैक्स लगाने पड़ेंगे. जो कि कोरोना संकट के कारण आम लोगों और कारोबारियों से वसूलना बेहद मुश्किल है.
गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के फैलने से पहले ही आर्थिक तबाही पर खड़े पाकिस्तान ने किसी तरह आईएमएफ और अन्य अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं व मित्र राष्ट्रों के और अधिक कर्ज की मदद से खुद को दिवालिया होने से बचाया था. कंगाल पाकिस्तान ने कोरोना से निपटने के लिए फिर मांगा IMF से लोन, मगर इस बार अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने रखी कड़ी शर्ते
इसके अलावा इमरान सरकार ने जी-20 सदस्य देशों से कर्जदेने की अपील की है और जल्द राहत पैकेज देने के लिए औपचारिक तौर पर निवेदन किया है. लेकिन यहां भी पाकिस्तान को निराशा हाथ लगती नजर आ रही है. उधर, चीन और अमेरिका में तनाव के चलते पाकिस्तान को दोनों देशों से भी मदद की उम्मीद नहीं है. ऐसे में इमरान सरकार के लिए आगे कुआं पीछे खाई वाली स्थिति बन गई है.
इस बीच, पाकिस्तान में कोरोना वायरस के मामले बढ़कर 31,674 हो गए है. भारत के पड़ोसी देश में इस वैश्विक महामारी से 706 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि संक्रमितों का आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है. जबकि मौजूदा आर्थिक संकट से मजबूर होकर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान को लॉकडाउन में भी ढील देनी पड़ी है.