ICJ On Genocide in Gaza: इजरायल और हमास के बीच जारी युद्ध के दौरान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. इंटरनेशनल कोर्ट ने इजरायल से कहा है कि वह गाजापट्टी में अपने हमले में हुई मौतों और नुकसान का पूरा हवाला दें और किसी भी तरह की गंभीर चोट या नुकसान को रोकें.
मामला दाखिल करने वाले दक्षिण अफ्रीका ने अदालत से इजराइल को अपना सैन्य अभियान रोकने का आदेश देने का आग्रह किया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह उस मामले को खारिज नहीं करेगी जिसमें इजराइल पर गाजा में नरसंहार का आरोप लगाया गया है.
सत्रह न्यायाधीशों की एक पीठ द्वारा दिए गए बहुप्रतीक्षित निर्णय में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय ने मामले को खारिज नहीं करने का निर्णय लिया. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (आईसीजे) की अध्यक्ष जोन ई. डोनॉग्यू ने कहा, ‘‘न्यायालय इस क्षेत्र में सामने आ रही मानवीय त्रासदी से भली-भांति अवगत है और लगातार हो रही जानमाल की हानि को लेकर चिंतित है.’’
शुक्रवार का निर्णय हालांकि केवल अंतरिम आदेश है जबकि दक्षिण अफ़्रीका द्वारा लाए गए पूरे मामले पर विचार करने में वर्षों लग सकते हैं. इजराइल ने नरसंहार के आरोप को खारिज किया है और अदालत से भी इन आरोपों को खारिज करने का आग्रह किया था.
दक्षिण अफ्रीका ने न्यायाधीशों से गाजा में फलस्तीनी लोगों की सुरक्षा के लिए कदम उठाये जाने का आग्रह किया है. अदालत से यह भी अनुरोध किया गया कि इजराइल को ‘‘गाजा में अपने सैन्य अभियानों को तुरंत रोकने का आदेश दे.’’
इजरायल सरकार के प्रवक्ता इलोन लेवी ने बृहस्पतिवार को कहा कि इजराइल को उम्मीद है कि अदालत ‘‘फर्जी आरोपों’’ को खारिज कर देगी. हमास आतंकवादियों द्वारा सात अक्टूबर को इजराइल पर हमला करने के बाद इजराइल ने जवाबी कार्रवाई करते हुए गाजा पर बड़े पैमाने पर हवाई और जमीनी हमले किये थे जिनमें लगभग 1,200 लोग मारे गए थे.
हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को कहा कि 26,000 से अधिक फलस्तीनी लोग मारे गए हैं. मंत्रालय ने मृतकों की संख्या में लड़ाकों और नागरिकों के बीच अंतर नहीं किया है, लेकिन कहा है कि मारे गए लोगों में से लगभग दो-तिहाई महिलाएं और बच्चे शामिल हैं.
इजराइली सेना का दावा है कि लगभग चार महीने के संघर्ष में मारे गए लोगों में से कम से कम 9,000 हमास आतंकवादी हैं. संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने कहा है कि बीमारी से भी लोगों की मौत होने की आशंका है और कम से कम एक-चौथाई आबादी भुखमरी का सामना कर रही है.
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