Turkiye President on Kashmir Issue: तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन का पाकिस्तान प्रेम, UNGA में फिर उठाया कश्मीर मुद्दा, जानें क्या कहा
Recep Tayyip Erdoğan (Photo Credit: @NewsIADN/X)

संयुक्त राष्ट्र, 20 सितंबर: तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने एक बार फिर कश्मीर मुद्दा उठाते हुए कहा है कि भारत और पाकिस्तान द्वारा बातचीत के जरिए इसे सुलझाने से क्षेत्र में स्थिरता आएगी. उन्होंने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र आम सभा में कहा, " भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत एवं सहयोग के माध्यम से कश्मीर में न्यायसंगत और स्थायी शांति की स्थापना से ही दक्षिण एशिया में क्षेत्रीय शांति, स्थिरता और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा." यह भी पढ़ें: Hardeep Singh Nijjar killing: निज्जर की हत्या मामले में कनाडा ने भारत पर लगाया आरोप, अमेरिका के बाद ऑस्ट्रेलिया का भी मिला साथ, जानें विदेश मंत्री पेनी वोंग ने क्या कहा- VIDEO

उन्होंने कहा, "तुर्की इस दिशा में उठाए जाने वाले कदमों का समर्थन करना जारी रखेगा." उनकी नवीनतम टिप्पणी पिछले दो वर्षों की तरह ही हल्की थी और संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों या सीधे मध्यस्थता की पेशकश के संदर्भ से बचते हुए, यह भारत की स्थिति के करीब थी कि कश्मीर विवाद एक द्विपक्षीय मामला है.

एर्दोगन ने 2020 में कश्मीर की स्थिति को "ज्वलंत मुद्दा" बताते हुये कश्मीर के लिए विशेष दर्जा समाप्त करने की आलोचना की थी. पिछले साल, उन्होंने जोर देकर कहा था कि "(संयुक्त राष्ट्र) संकल्पों द्वारा अपनाए जाने के बावजूद, कश्मीर पर अभी भी कब्‍जा है और 80 लाख लोग वहां फंसे हुए हैं".

पिछले साल, केवल एर्दोगन और तत्कालीन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में कश्मीर मुद्दे का उल्लेख किया था.

एर्दोगन ने इस्लाम के नाम पर महिलाओं और लड़कियों को शिक्षा और अधिकांश काम से वंचित करने वाले तालिबान शासन को संकेत दिया कि अगर वह प्रतिबंध हटा लेता है तो उसके शासन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार किया जाएगा.

उन्होंने कहा, "अंतरिम (अफगानिस्तान) सरकार का एक समावेशी प्रशासन में परिवर्तन, जिसमें समाज के सभी वर्गों को उचित प्रतिनिधित्व मिले, अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अफगानिस्तान को सकारात्मक रूप से स्‍वीकार करने का मार्ग प्रशस्त करेगा."

उन्होंने उइघुर अल्पसंख्यकों, जो ज्यादातर मुस्लिम हैं, के साथ व्यवहार के लिए चीन की आलोचना की. उन्होंने कहा, "हम उइघुर तुर्कों के मौलिक अधिकारों और स्वतंत्रता की सुरक्षा के संबंध में अपनी संवेदनशीलता व्यक्त करना जारी रखेंगे, जिनके साथ हमारे मजबूत ऐतिहासिक और मानवीय संबंध हैं."

एर्दोगन ने कहा कि सुरक्षा परिषद "विश्व सुरक्षा की गारंटर नहीं रह गई है और केवल पांच देशों की राजनीतिक रणनीतियों के लिए युद्ध का मैदान बन गई है".