ट्रंप ने भारतवंशी तुलसी गबार्ड को बनाया नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर, पाकिस्तान को बताया था आतंकियों का घर!
Tulsi Gabbard, National Intelligence Director

Tulsi Gabbard National Intelligence Director: अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने बताया कि भारतीय मूल की तुलसी गबार्ड को अमेरिका की नई राष्ट्रीय खुफिया निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है. यह नियुक्ति ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के साथ जनवरी में प्रभावी होगी. तुलसी गबार्ड, जो एक प्रमुख राजनीतिज्ञ और बाइडेन प्रशासन की कट्टर आलोचक रही हैं, अब अमेरिका के खुफिया विभाग का नेतृत्व करेंगी.

पाकिस्तान के खिलाफ देती रहीं हैं बयान

तुलसी गबार्ड वैश्विक मुद्दों पर अक्सर अपने विचार व्यक्त करती रही हैं, विशेष रूप से आतंकवाद और पाकिस्तान के साथ इसके संबंधों को लेकर. उन्होंने पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान ने न केवल ओसामा बिन लादेन को पनाह दी, जो 9/11 हमलों का मास्टरमाइंड था, बल्कि पाकिस्तान ने एक ऐसे आतंकवादी को भी मुक्त किया, जिसका $10 मिलियन का अमेरिकी इनाम था – हाफिज सईद, जो मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड था. गबार्ड का कहना था कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवादियों को सुरक्षित आश्रय देने के कारण, अमेरिका और पाकिस्तान के बीच तनाव लगातार बना रहेगा.

इसके अलावा, गबार्ड ने अमेरिकी सरकार की सऊदी अरब के प्रति नीतियों की भी आलोचना की, यह कहते हुए कि सऊदी अरब दुनिया भर में उग्रवादी वहाबी सलाफी विचारधारा का प्रचार कर रहा है, जो ISIS और अल-कायदा जैसे आतंकवादी समूहों को बढ़ावा देता है, और फिर भी आतंकवाद से लड़ने की बात करता है. गबार्ड ने पाकिस्तान के नेताओं से अपील की कि वे आतंकवादियों और उग्रवादियों के खिलाफ कड़ा कदम उठाएं और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में एक मजबूत और सैद्धांतिक दृष्टिकोण अपनाएं.

43 वर्षीय तुलसी गबार्ड की पृष्ठभूमि 

तुलसी गबार्ड का राजनीतिक करियर बहुत ही दिलचस्प और बदलावों से भरा रहा है. 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी थी और इसके बाद वह एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में भी उतरी थीं. गबार्ड के बारे में यह कहा जा रहा था कि वह ट्रंप के उप-राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में भी चुनी जा सकती थीं. अब वह अवरील हेन्स की जगह लेंगी, जो वर्तमान में अमेरिका की राष्ट्रीय खुफिया निदेशक हैं. गबार्ड की नियुक्ति सीनेट में बिना किसी बड़ी चुनौती के मंजूरी प्राप्त कर सकती है, क्योंकि ट्रंप के रिपब्लिकन पार्टी के सदस्य अगले साल सीनेट में बहुमत में होंगे.

तुलसी गबार्ड की नियुक्ति पर ट्रंप का बयान 

ट्रंप ने एक बयान में कहा, "मुझे विश्वास है कि तुलसी गबार्ड अपने साहसी स्वभाव को हमारी इंटेलिजेंस कम्युनिटी में लाएंगी, हमारे संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करेंगी और शक्ति के माध्यम से शांति को बढ़ावा देंगी." इस बयान से यह साफ है कि ट्रंप को गबार्ड की नेतृत्व क्षमता पर पूरा भरोसा है, और वह अमेरिका के सुरक्षा तंत्र को और मजबूत करने के लिए उनके दृष्टिकोण को समर्थन दे रहे हैं.

तुलसी गबार्ड का इंटेलिजेंस में अनुभव और सैन्य सेवा 

हालांकि, तुलसी गबार्ड का इंटेलिजेंस के क्षेत्र में अनुभव बहुत ज्यादा नहीं है, लेकिन उन्होंने 2004 से 2005 के बीच इराक में हवाई नेशनल गार्ड में मेजर के रूप में सेवा की थी. इसके अलावा, वह अब यूएस आर्मी रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर हैं. उनकी सैन्य पृष्ठभूमि उन्हें रक्षा और सुरक्षा मामलों में एक मजबूत दृष्टिकोण देने वाली है.

2020 में गबार्ड ने डेमोक्रेटिक पार्टी से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवारी पेश की थी, हालांकि यह चुनाव जो बाइडेन ने जीत लिया. इसके बाद गबार्ड ने बाइडेन का समर्थन किया, लेकिन जैसे ही उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ी, वह बाइडेन प्रशासन की आलोचक बन गईं. गबार्ड ने अक्सर रूढ़िवादी मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी राय रखी और अपनी "वोकनेस" विरोधी विचारधारा के कारण काफी लोकप्रियता हासिल की.

गबार्ड का नई भूमिका में संभावित योगदान 

तुलसी गबार्ड का नया पद अमेरिका के खुफिया तंत्र को एक नई दिशा दे सकता है. हालांकि उनका इंटेलिजेंस के क्षेत्र में सीमित अनुभव है, लेकिन उनकी सैन्य पृष्ठभूमि और स्वतंत्र विचारधारा उन्हें इस जिम्मेदारी के लिए सक्षम बनाती है. इस नियुक्ति के साथ वह अमेरिकी खुफिया एजेंसियों के बीच विश्वास और समन्वय को बढ़ावा देने में सक्षम हो सकती हैं, जो कि वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में महत्वपूर्ण है.