Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में फिर शुरू हुआ बवाल! अब राष्ट्रपति शाहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारी, बंगा भवन का किया घेराव (Watch Video)
बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद, देश में फिर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने बंगा भवन (राष्ट्रपति भवन) को घेर लिया और राष्ट्रपति मोहम्मद शाहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की.
Bangladesh Crisis: बांग्लादेश में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के सत्ता से हटने के बाद, देश में फिर से बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने बंगा भवन (राष्ट्रपति भवन) को घेर लिया और राष्ट्रपति मोहम्मद शाहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग की. देर रात जब प्रदर्शनकारी बंगा भवन की ओर बढ़े, तो सेना ने उन्हें रोकने के लिए बैरिकेड्स लगा दिए. इसके बाद प्रदर्शनकारी छात्र बंगा भवन के बाहर जमा हो गए और राष्ट्रपति शाहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग को लेकर नारेबाजी करने लगे.
इससे पहले, मंगलवार दोपहर को ढाका के शहीद मीनार में आयोजित एक रैली में "एंटी-डिस्क्रिमिनेशन स्टूडेंट मूवमेंट" ने 5-सूत्रीय मांगें रखीं, जिसमें राष्ट्रपति के इस्तीफे की प्रमुख मांग शामिल थी. इस संगठन ने शेख हसीना के सत्ता से हटने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.
अब राष्ट्रपति शाहाबुद्दीन के इस्तीफे की मांग पर अड़े प्रदर्शनकारी, बंगा भवन का किया घेराव
प्रदर्शनकारियों की मांगें
प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति शाहाबुद्दीन को शेख हसीना की "तानाशाही सरकार" का करीबी बताया और कहा कि उन्हें तुरंत इस्तीफा देना चाहिए. इसके अलावा, उन्होंने 1972 में लिखे गए संविधान को समाप्त करने और 2024 के संदर्भ में एक नया संविधान तैयार करने की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने शेख हसीना की पार्टी "बांग्लादेश छात्र लीग" पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की. प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 2018 और 2024 में शेख हसीना के शासन के दौरान हुए चुनाव अवैध हैं. इसलिए इन चुनावों में जीतने वाले सांसदों को अयोग्य घोषित किया जाना चाहिए. इसके अलावा, उन्होंने "जुलाई-अगस्त विद्रोह" की भावना के साथ गणराज्य की उद्घोषणा करने की भी मांग की.
प्रदर्शन क्यों भड़के?
बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन जुलाई में शुरू हुए थे, जब सरकारी नौकरियों के लिए आरक्षण प्रणाली के खिलाफ छात्र सड़कों पर उतरे थे. धीरे-धीरे, यह विरोध प्रदर्शन शेख हसीना सरकार के खिलाफ बड़े आंदोलन में बदल गया. अंततः 5 अगस्त को शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और देश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ. शेख हसीना ने इस्तीफे के बाद भारत में शरण ले ली. इसके बाद 8 अगस्त को नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया.