भारत-रूस के डील से सुलगा पाकिस्तान, नकल करने के लिए चीन से लेगा हाई तकनीक वाले मिलिटरी ड्रोन
भारत और रूस के बीच एस-400 सुपरसोनिक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा होने के बाद पाकिस्तान सुलगा हुआ है. दरअसल एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली एक बार में 36 निशाने भेद सकती है और एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है.
इस्लामाबाद: भारत और रूस के बीच एस-400 सुपरसोनिक एयर मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सौदा होने के बाद पाकिस्तान सुलगा हुआ है. दरअसल एस-400 ट्रायम्फ वायु रक्षा प्रणाली एक बार में 36 निशाने भेद सकती है और एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है. भारत ने रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार करते हुए हाल ही में इस प्रणाली की खरीद के लिए रूस के साथ समझौता किया. जिसकी वजह से ना केवल पाकिस्तान बल्कि चीन भी बौखलाया हुआ है. इसके जवाब में पाकिस्तान और चीन के बीच मिलिटरी ड्रोन की डील हुई है.
चीन की सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने पाकिस्तान को 48 हाई क्वॉलिटी मिलिटरी ड्रोन बेचने का फैसला किया है. बताया जा रहा है कि पाकिस्तान और चीन के बीच यह अपनी तरह की सबसे बड़ी डील है. हालांकि इस डील में खर्च होने वाली कीमत को लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया है.
ग्लोबल टाइम्स में छपी रिपोर्ट में कहा, 'चीन इस्लामाबाद का सबसे बड़ा सहयोगी है. जो पाकिस्तान आर्मी का सबसे बड़ा हथियार सप्लायर भी है.' दोनों देश मिलकर सिंगल इंजन मल्टि-रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट जेएफ थंडर मैन्युफैक्चर कर रहे हैं.
भारत में पांच अरब डॉलर से ज्यादा कीमत की मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति 24 महीने बाद शुरू हो जाएगी. इसके हासिल करने से भारत को अपने दुश्मनों खासकर पाकिस्तान और चीन के हवाई हमलों का मुकाबला करने में मदद मिलेगी. सौदे पर हस्ताक्षर करना काफी महत्व रखता है क्योंकि चीन ने भी यह मिसाइल प्रणाली खरीदने के लिए रूस के साथ सौदे पर हस्ताक्षर किया है.
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एस-400 मिसाइल तकनीक दुनिया में सबसे मारक हथियार प्रणाली है और यह चार अलग अलग तरह का वायु रक्षण मुहैया कराती है. विशेषज्ञों ने बताया कि वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली में एक युद्धक नियंत्रण चौकी, हवाई लक्ष्यों का पता लगाने के लिए तीन कॉर्डिनेट जैम-रेजिस्टेंट फेज्ड एैरे रडार, छह-आठ वायु रक्षा मिसाइल कांप्लेक्स (12 तक ट्रांसपोर्टर लांचर के साथ) और साथ ही एक बहुपयोगी फोर-कॉर्डिनेट इल्यूमिनेशन एंड डिटेक्शन रडार), एक तकनीकी सहायक प्रणाली सहित अन्य लगे हैं. यह प्रणाली 600 किलोमीटर तक की दूरी तक लक्ष्यों का पता लगा सकती है.