इस्लामाबाद: पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बरकरार है. इस बीच पाकिस्तान का एक और झूठ बेनकाब हुआ है. दरअसल पाकिस्तान की इमरान सरकार ने केन्द्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) पर हमले के बाद दुनिया को दिखाने के लिए 2008 में हुए मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के दो संगठनों पर बैन लगाने का ऐलान किया था. इसमें हाफिज के जमात-उद-दावा और उसकी परमार्थ संस्था फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगाया गया था.
पाकिस्तान सरकार के राष्ट्रीय आतंकवाद रोधी प्राधिकरण (एनसीटीए) की वेबसाइट के मुताबिक जमात-उद-दावा (जेयूडी) और फलह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) को केवल निगरानी सूची में रखा गया है. यह वेबसाइट सोमवार को ही अपडेट हुई है. जेयूडी और एफआईएफ को निगरानी में रखने वाले संगठनों की सूची में डालने की अधिसूचना 21 फरवरी को जारी की गई है. बहरहाल, उससे पहले वेबसाइट कहती थी कि जेयूडी और एफआईएफ को जनवरी 2017 में निगरानी सूची में रखा गया था.
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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकवादी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों के शहीद होने के बाद पाकिस्तान पर कार्रवाई करने को लेकर लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव बन रहा था. पाकिस्तान की ओर से ऐसा बताया गया था कि प्रधानमंत्री इमरान खान की अध्यक्षता में हुई राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में इन संगठनों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया गया था.
पिछले साल अक्टूबर महीने में चैरिटी के नाम पर आतंकवाद फैलाने वाले दोनों संगठन प्रतिबंधित संगठनों की सूची से बाहर आ गए थे. इन दोनों संगठनों को संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के तहत प्रतिबंधित करने वाला पाकिस्तान सरकार का अध्यादेश निष्प्रभावी हो गया था. दरअसल आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा के संस्थापक हाफिज सईद को संयुक्त राष्ट्र ने आतंकी घोषित करते हुए 10 मिलियन डॉलर के इनाम की घोषणा की.