PAK Scared of Indian News channels: भारत के समचार चैनलों से घबराया पाकिस्तान, प्रसारण बंद करने का दिया आदेश

पाकिस्तान की इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था ने शुक्रवार को देशभर में स्थानीय केबल टीवी ऑपरेटरों को भारतीय चैनलों का प्रसारण बंद करने का आदेश दिया और इसका उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी.

India and Pakistan (Photo; Pixabay)

इस्लामाबाद, 21 अप्रैल: पाकिस्तान की इलेक्ट्रोनिक मीडिया पर नजर रखने वाली संस्था ने शुक्रवार को देशभर में स्थानीय केबल टीवी ऑपरेटरों को भारतीय चैनलों का प्रसारण बंद करने का आदेश दिया और इसका उल्लंघन होने पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी.

पाकिस्तान इलेक्ट्रोनिक मीडिया नियामक प्राधिकरण (पीईएमआरए) ने एक बयान में कहा कि विभिन्न ऑपरेटर पहले भी उसके और उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित नियमों का उल्लंघन करते पाए गए हैं.

शुक्रवार को प्राधिकरण ने अपने स्थानीय कार्यालयों को आदेश दिया था कि वे केबल ऑपरेटरों द्वारा भारतीय चैनलों का प्रसारण कर नियमों का उल्लंघन किए जाने की खबरों की पड़ताल करें.

प्राधिकरण ने बयान में कहा, “प्राधिकरण के लाइसेंस प्राप्त चैनलों के अलावा किसी भी चैनल को केबल टीवी नेटवर्क पर प्रसारण की अनुमति नहीं दी जाएगी और यदि कोई ऑपरेटर आदेशों की अवहेलना करता पाया गया तो उसके खिलाफ प्राधिकरण के कानून के अनुसार सख्त कार्रवाई की जाएगी.”

कराची क्षेत्रीय कार्यालय ने विभिन्न क्षेत्रों में औचक निरीक्षण किया और डिजिटल केबल नेटवर्क, होम मीडिया कम्युनिकेशंस (प्राइवेट) लिमिटेड, शाहजेब केबल नेटवर्क और स्काई केबल विजन जैसे केबल ऑपरेटरों पर छापा मारा.

बयान में कहा गया है कि प्राधिकरण की प्रवर्तन टीमों ने सिंध के हैदराबाद और पंजाब के मुल्तान क्षेत्र में इसी तरह छापे मारकर अवैध उपकरण जब्त किए और उल्लंघनकर्ताओं को कारण बताओ नोटिस जारी किए गए.

पाकिस्तान पहले भी कई बार भारतीय फिल्मों और टीवी चैनलों पर प्रतिबंध लगा चुका है. पहली बार, इसने 1965 के युद्ध के बाद भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगाया था, जो दशकों तक जारी रहा. हालांकि 2008 में द्विपक्षीय संबंधों में सुधार के बाद इसे हटा लिया गया.

कश्मीर मुद्दे पर दोनों देशों के बीच तनाव के बाद 2016 में पाकिस्तान में भारतीय कार्यक्रमों पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. लाहौर उच्च न्यायालय ने 2018 में प्रतिबंध के खिलाफ फैसला दिया, लेकिन अक्टूबर 2018 में उच्चतम न्यायालय ने उच्च न्यायालय का फैसला पलट दिया और फिर से प्रतिबंध लगा दिया.

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