इस्लामाबाद: कंगाल पाकिस्तान (Pakistan) को संवारने के लिए प्रधानमंत्री इमरान खान (Imran Khan) ने हाल ही में जो योजना बनाई थी वह अब नाकामयाब होती दिख रही है. पाकिस्तान में छिपे कालेधन (Black Money) से अर्थव्यवस्था (Economy) को वापस पटरी पर लाने के लिए इमरान खान ने 10 जून को एसेट डिक्लेरेशन स्कीम की घोषणा की थी. इसके जरिए पाकिस्तान की सरकार कालेधन की पहचान करती और उससे प्राप्त पैसे का उपयोग आर्थिक स्थिति को सुधारने में करती. लेकिन एसेट डिक्लेरेशन स्कीम फेल होती दिख रही है. यहीं वहज है कि पाकिस्तान की सरकार ने 3 जुलाई तक समय सीमा बढ़ा दी है.
इमरान खान के वित्त सलाहकार डॉ अब्दुल हफीज शेख ने खुद एसेट डिक्लेरेशन स्कीम के ज्यादा सफल नहीं होने की बात स्वीकार की है. पत्रकारों से बात करते हुए हफीज ने कहा, "एसेट डिक्लेरेशन स्कीम में बहुत रुचि है. उन्होंने कहा कि 3 जुलाई तक की समय सीमा इसलिए बढ़ाई गई है ताकि लोग इसका लाभ उठा सकें. उन्होंने आगे कहा," हम लोगों को एक अंतिम अवसर दे रहे हैं. अगर कुछ लोग अभी भी इस प्रक्रिया में हैं या कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं तो यह उनके लिए एक और मौका है."
हालांकि इमरान खान के एक मंत्री ने वित्त सलाहकार के दावे को गलत बताया है. उन्होंने कहा कि अब तक हजारों लोगों ने इस योजना का लाभ उठाया है और जल्द ही इसका विवरण पेश किया जाएगा.
गौरतलब हो कि मौजूदा समय में पाकिस्तान की आर्थिक हालत बेहद ख़राब स्थिति में है. हाल ही में पेश किए गए बजट में भी इमरान सरकार ने कई चीजों में पैसों की कटौती की. इसके साथ ही वहां की सरकार जनता से अधिक से अधिक टैक्स देने और कालाधन बताने की अपील कर रही है.
पाकिस्तान में मंहगाई भी चरम पर है. कुछ दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने अधिकारियों को उन लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के आदेश दिए थे, जो खाद्य सामग्री की जमाखोरी और अनुचित मूल्य वृद्धि जैसे काम कर रहे थे. बढ़ती मंहगाई के कारण पाकिस्तान की जनता भी काफी परेशान हैं. स्वतंत्र संगठनों द्वारा किए गए सर्वेक्षणों में खुलसा हुआ था कि मंहगाई की मार के चलते लोग स्वास्थ्य और शिक्षा जैसे विषयों पर कटौती करने को मजबूर हो गए हैं.