अब समुद्र में जहाजों के कार्बन उत्सर्जन पर भी लग सकता है टैक्स!
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

पहली बार इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाईजेशन ने समुद्र में चल रहे कमर्शियल जहाजों के कार्बन उत्सर्जन पर टैक्स लगाने की बात इतनी मजबूती के साथ कही है.आए दिन सूखा पड़ने, बाढ़ आने और असामान्य लू जैसी जलवायु परिवर्तन की नई घटनाओं ने देशों को बड़े कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है. इसलिए कई देश जल्द ही व्यापारिक पोतों के उत्सर्जन पर पहला वैश्विक कर यानी ग्लोबल टैक्स लगाने के बारे में सोच रहे हैं.

किस मुद्दे पर हो रही चर्चा?

इंटरनेशनल मैरीटाइम ऑर्गनाईजेशन यानी आईएमओ अंतरर्राष्ट्रीय शिपिंग को नियंत्रित करता है. उसने 2050 तक शिपिंग सेक्टर के लिए जीरो-ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लक्ष्य को हासिल करने की योजना बनाई है. इसलिए संगठन बिल्कुल शून्य या उससे थोड़े ज्यादा उत्सर्जन वाले ईंधन के इस्तेमाल पर जोर डाल रहा है.

सदस्य देशों ने 2023 में शिपिंग उद्योग से उत्सर्जन में कटौती करने पर सहमति व्यक्त की थी. हालांकि कई विशेषज्ञ और देश इस समझौते की आलोचना कर रहे थे क्योंकि इसमें 2050 को एक निश्चित तिथि के रूप में निर्धारित नहीं किया गया था, बस इस ‘पर चर्चा' होकर रह गई थी. आईएमओ अब 2023 में बनाए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इन नियमों को लागू करने की प्रक्रिया में है.

चर्चा का कारण क्या?

ऑर्गनाईजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के अनुसार, अनुमान है कि वैश्विक शिपिंग उद्योग ने 2022 में 858 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित किया.

पिछले दशक में शिपिंग से होने वाला उत्सर्जन काफी बढ़ गया है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यह वैश्विक उत्सर्जन का लगभग 3 फीसदी है - क्योंकि जहाज बहुत बड़े हो गए हैं. वे हर यात्रा में ज्यादा माल ले जा रहे हैं और ईंधन के रूप में तेल की अत्यधिक मात्रा का उपयोग कर रहे हैं.

कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस की हालिया मासिक रिपोर्ट के अनुसार इस साल मार्च का महीना यूरोप के इतिहास में सबसे गर्म मार्च का महीना साबित हुआ. इसके अलावा स्टडी में बताया गया कि पिछले महीने औसत वैश्विक तापमान पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में 1.6 डिग्री सेल्सियस ज्यादा था. यह समस्या भले ही इस फैसले से सीधी तरह से संबंधित ना हो लेकिन इस तेजी से हो रहा जलवायु परिवर्तन विभिन्न क्षेत्रों, विशेषज्ञों और संगठनों के फैसलों को प्रभावित कर ही रहा है.

कैसे करेंगे शिपिंग क्षेत्र में कार्बन उत्सर्जन कम?

इस समिति में आईएमओ के सदस्य देश शामिल हैं. इन देशों ने समुद्र में होने वाले ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन पर इन नए नियमों को लागू करने का बीड़ा उठाया है. इस फैसले से वो आगे चलकर उन ईंधनों पर धीरे धीरे निर्भरता बढ़ाएंगे जिनसे इन खतरनाक ग्रीनहॉउस गैसों का उत्सर्जन कम या ना के बराबर होता है.

आईएमओ के महासचिव आर्सेनियो डोमिनगुएज ने कहा कि नियम दुनियाभर में चल रहे जहाजों के लिए अनिवार्य हो जाएंगे. डोमिनगुएज को लगता है कि इंडस्ट्री को कार्बन प्रदूषण में कटौती के लिए अधिक और कठोर कदम उठाने चाहिए. उन्होंने गुरुवार को एक बयान में समाचार एजेंसी एपी से कहा, "यह समिति समुद्री क्षेत्र के लिए नेट-जीरो उत्सर्जन वाले भविष्य की दिशा तय करेगी.”

जलवायु परिवर्तन पर काम कर रहे एक एनजीओ अपॉर्चुनिटी ग्रीन में जलवायु डिप्लोमेसी की वरिष्ठ निदेशक ऐमा फेंटन ने कहा कि स्वच्छ शिपिंग का भविष्य अधर में लटका हुआ है. फेंटन का कहना है कि शिपिंग के उत्सर्जन पर ज्यादा टैक्स और उसपर एकसमान फ्लैट-रेट लगाकर ही इस क्षेत्र को कार्बन मुक्त किया जा सकता है.

शिपिंग क्षेत्र को ग्रीन ईंधन की ओर बढ़ने में कई अड़चनें

शिपिंग सेक्टर के साथ काम करने वाले एनजीओ ग्लोबल मैरीटाइम फोरम के अनुसार, अगर ग्रीन ईंधन के साथ एक जलवायु शुल्क की छूट दी जाए तो इससे जीवाश्म ईंधन और ग्रीन ईंधन जैसे हाइड्रोजन, मेथेनॉल और अमोनिया के बीच कीमतों का अंतर कम करने में मदद होगी.

फोरम के डीकार्बोनाइजेशन यानी क्षेत्रों को कार्बन मुक्त करने के प्रयासों का नेतृत्व करने वाली जेसी फाहनश्टॉक ने कहा कि शिपिंग का क्षेत्र जीवाश्म ईंधन पर काफी ज्यादा निर्भर है और इस क्षेत्र में इनका इस्तेमाल बहुत जल्द कम नहीं हो सकेगा. उन्होंने कहा कि रिन्यूएबल बिजली पर आधारित ई-ईंधन की सप्लाई में समय लगेगा, इसलिए निवेश अभी से करने की जरूरत है.

चर्चा का नतीजा क्या निकला

जलवायु परिवर्तन से जिन देशों का अस्तित्व सबसे ज्यादा खतरे में हैं वो हैं प्रशांत महासागर के द्वीपीय देश. यही वो देश हैं जो इस कवायद का नेतृत्व बढ़ चढ़कर कर रहे हैं. साठ से अधिक देश निष्पक्ष तरीके से नेट जीरो उत्सर्जन तक पहुंचने के लिए प्रति मीट्रिक टन उत्सर्जन पर एक समान शुल्क लाने की बात कर रहे हैं.

शिपिंग उद्योग भी शुल्क का समर्थन करता है. इंटरनेशनल चैंबर ऑफ शिपिंग दुनिया के 80 फीसदी से अधिक व्यापारिक बेड़े का प्रतिनिधित्व करता है. चैंबर के महासचिव गाइ प्लैटन ने कहा कि समुद्री कार्बन उत्सर्जन पर मूल्य निर्धारण तंत्र एक अच्छा समाधान है और शिपिंग में तेजी से ऊर्जा परिवर्तन को प्रोत्साहित करने का सबसे प्रभावी तरीका है.

कुछ देशों की अपनी शर्तें

कुछ देश, खास तौर पर चीन, ब्राजील, सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका, एक निश्चित शुल्क के बजाय क्रेडिट ट्रेडिंग मॉडल चाहते हैं, जहां जहाजों को अपने उत्सर्जन लक्ष्य के अंदर रहने के लिए क्रेडिट मिलता है और अगर वे उससे ऊपर जाते हैं तो जहाज क्रेडिट खरीदते हैं. अन्य देश दोनों मॉडलों के बीच समझौता चाहते हैं.

हालांकि अमेरिका ने शिपिंग क्षेत्र में डीकार्बोनाइजेशन को आगे बढ़ाने के लिए लंदन में हो रही इस वार्ता से खुद को अलग कर लिया है. एक राजनयिक नोट में कहा गया है कि वाशिंगटन अमेरिकी जहाजों पर लगाए जाने वाले किसी भी शुल्क की भरपाई के लिए "जवाबी उपायों” पर विचार करेगा.

कुछ लोगों को डर है कि सभी जहाजों पर मूल्य शुल्क लगाने की बजाय अगर कोई और तरीका अपनाया गया तो इससे जलवायु लक्ष्य हासिल करने में मुश्किल हो सकती है. दरअसल उनको लगता है कि यह तरीका अमीर जहाज मालिकों को प्रदूषण जारी रखते हुए क्रेडिट खरीदने की अनुमति दे देगा.

मार्शल आइलैंड्स के मरीन डीकार्बोनाइजेशन के एल्बोन इशोदा ने कहा कि टैक्स के बिना आईएमओ के जलवायु लक्ष्य "अर्थहीन" हैं. लेवी (टैक्स) से मिलने वाले राजस्व का उपयोग विकासशील देशों को हरित शिपिंग की ओर ले जाने में मदद करेगा. इससे वे गंदे ईंधन और पुराने जहाजों के साथ पीछे नहीं रह जाएंगे.

समिति से उम्मीदें

अगर समिति सहमत हो जाती है और नियमों को अंतिम रूप दे देती है, तो उन्हें औपचारिक रूप से अक्टूबर में अपनाया जा सकता है और 2027 में लागू किया जा सकता है. आईएमओ के अनुसार, यह एक मजबूत संदेश भेज सकता है कि अब हरित परिवर्तन हो रहा है और यह वैश्विक स्तर पर उद्योगों के लिए संभव है.

एसके/एनआर/एपी