उत्तर कोरिया ने पहली बार दिखाए सुसाइड ड्रोन
उत्तर कोरिया ने सुसाइड ड्रोन का परीक्षण किया है.
उत्तर कोरिया ने सुसाइड ड्रोन का परीक्षण किया है. इनका डिजाइन रूसी और ईरानी ड्रोन से मिलता जुलता है, जिससे दक्षिण कोरिया में चिंता है.रूस और ईरान के साथ अपने सैन्य सहयोग के जरिए हथियार हासिल करने वाले उत्तर कोरिया की सेना ने नए सुसाइड ड्रोन का परीक्षण किया तो देश के नेता किम जोंग उन वहां मौजूद रहे. उन्होंने अपने वैज्ञानिकों को इन मानव रहित वाहनों के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस विकसित करने का आग्रह किया.
किम जोंग उन ने शनिवार को रक्षा विज्ञान अकादमी के ड्रोन संस्थान का दौरा किया और ड्रोन द्वारा अलग-अलग पहले से तय रास्तों पर उड़ान भरने के बाद लक्ष्यों की सही पहचान और नष्ट करने के सफल परीक्षण को देखा. सरकारी समाचार एजेंसी केसीएनए ने कहा कि उत्तर कोरियाई नेता ने पैदल सेना और विशेष ऑपरेशन इकाइयों में इस्तेमाल होने वाले और ज्यादा विविध सुसाइड ड्रोन, जैसे पानी के नीचे के सुसाइड अटैक ड्रोन, और साथ ही टोही और बहुउद्देश्यीय अटैक ड्रोन के उत्पादन का आह्वान किया.
सूसाइड ड्रोन को लोएट्रिंग म्यूनिशन या कामीकाजे ड्रोन के रूप में भी जाना जाता है और यूक्रेन व मध्य पूर्व के युद्धों में इनका व्यापक इस्तेमाल हुआ है.
ये ड्रोन आमतौर पर तब तक हवा में रहते हैं और हमले के लिए तैयार रहते हैं जब तक कि एक विशिष्ट लक्ष्य का पता नहीं चल जाता. फिर वे एक लक्ष्य पर टकरा कर हमला करते हैं. इनके अंदर बारूद भी होता है, जिसमें विस्फोट से लक्ष्य नष्ट हो जाता है.
दक्षिण कोरिया के एकीकरण मंत्रालय ने कहा कि यह पहली बार है जब प्योंगयांग ने सुसाइड ड्रोन का खुलासा किया है.
रूसी और ईरानी डिजाइन से समानता
केसीएनए द्वारा जारी तस्वीरों में कम से कम चार विभिन्न प्रकार के ड्रोन दिखाए गए हैं. इनमें से कुछ को छोटे रॉकेट इंजनों की सहायता से लॉन्च किया गया था. ये ड्रोन वैसे ही हैं जैसे रूस की कंपनी जाला लांसेट और ईरान में बनाए गए ड्रोन 'शहीद' हैं.
जब इन समानताओं के बारे में पूछा गया, तो दक्षिण कोरिया के संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ ने कहा कि अधिक विश्लेषण की आवश्यकता है. जेसीएस के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम समझते हैं कि अतीत में उत्तर कोरिया और रूस के बीच कुछ उपहारों (ड्रोन) का आदान-प्रदान हुआ था. हमें यह देखने के लिए विभिन्न उपायों का विश्लेषण करने की आवश्यकता है कि क्या उन्होंने प्रदर्शन में सुधार किया है."
न्यूक्लियर हथियारों से लैस उत्तर कोरिया के रूस और ईरान के साथ करीबी संबंध हैं और दोनों के साथ सैन्य सहयोग का लंबा इतिहास है. इसी साल जून में पुतिन ने उत्तर कोरिया का दौरा किया था.
2022 में, उत्तर कोरियाई ड्रोन ने सीमा पार की थी और यहां तक कि सोल के राष्ट्रपति कार्यालय के आसपास के नो-फ्लाई जोन में भी प्रवेश कर लिया था. उसके बाद वह ड्रोन वापस मुड़ गए थे.
दक्षिण कोरिया ने कहा है कि वह इस साल उत्तर कोरियाई ड्रोन को मार गिराने के लिए लेजर हथियार तैनात करेगा. ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश होगा. सोल की कुछ ऊंची इमारतों की छतों पर एंटी-एयरक्राफ्ट गन लगाई गई हैं.
दक्षिण कोरिया और अमेरिका ने पिछले हफ्ते वार्षिक ग्रीष्मकालीन सैन्य अभ्यास शुरू किए, जिनमें उत्तर कोरिया से ड्रोन हमला होने पर जवाबी हमले का अभ्यास भी किया जा रहा है.
कैसे काम करती है तकनीक?
सुसाइड ड्रोन या कामीकाजे ड्रोन ऐसे हवाई हथियार हैं जो क्रूज मिसाइल और मानव रहित युद्धक हवाई वाहन (यूसीएवी) दोनों के तत्वों को मिलाता है.
जब ये ड्रोन लॉन्च किए जाते हैं तो इनका लक्ष्य तय नहीं होता. ये एक लक्ष्य क्षेत्र के चारों ओर लंबे समय तक मंडराने के लिए डिजाइन किए गए हैं. ये विशेष लक्ष्यों पर हमला करने का अवसर खोजते हैं. इन ड्रोन में एक वारहेड होता है जो किसी भी लक्ष्य पर गिरकर विस्फोट करता है. इस कारण ये पारंपरिक रेंज हथियार से अलग होते हैं.
1980 के दशक से यह तकनीक विकसित हो रही है, और इसे सबसे पहले दुश्मन की हवाई रक्षा को दबाने के लिए इस्तेमाल किया गया था. आज, इन ड्रोनों का विभिन्न सैन्य अभियानों में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया जा रहा है.
इस्राएल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज के बनाए सिस्टम जैसे कि हार्पी, हारोप और मिनी हार्पी बहुत घातक साबित हुए हैं. इन ड्रोन का प्रयोग विभिन्न प्रकार की परिस्थितियों में किया जा सकता है, जिनमें एंटी-टैंक मिशन शामिल हैं.
हाल के संघर्षों, जैसे यूक्रेन के युद्ध और मध्य पूर्व में, इनका व्यापक रूप से प्रयोग किया गया है, क्योंकि ये बहुत अहम ठिकानों पर सटीकता से हमला करने में सक्षम होते हैं, वह भी आसपास बहुत कम नुकसान करके.
यह तकनीक भी तेजी से विकसित हो रही है, जैसे उत्तर कोरिया अपने खुद के वेरिएंट विकसित कर रहा है और उनकी प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए एआई को शामिल कर रहा है.
रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)