लेबनान में हिज़बुल्लाह के सदस्यों पर हुए पेजर और वॉकी-टॉकी विस्फोट हमलों ने न केवल संगठन को, बल्कि पूरे विश्व को हिला कर रख दिया है. हिज़बुल्लाह की आंतरिक सैन्य खुफिया दस्तावेज़ों में दावा किया गया है कि इन विस्फोटों में 879 सदस्यों की मौत हुई, जिसमें 291 वरिष्ठ अधिकारी शामिल थे. इसके साथ ही 131 ईरानी और 79 यमनी नागरिक भी इस हमले का शिकार बने.
पेजर हमला: क्या एक छोटा उपकरण हो सकता है जानलेवा?
यह घटना इतनी गंभीर है कि लोग अब सोचने पर मजबूर हैं कि क्या एक छोटा पेजर या वॉकी-टॉकी किसी का जीवन समाप्त कर सकता है? इस हमले ने लोगों को हतप्रभ कर दिया है क्योंकि पेजर और वॉकी-टॉकी जैसे उपकरण आमतौर पर संचार के लिए उपयोग किए जाते हैं, न कि विस्फोटक के रूप में. हालांकि, इस हमले ने दिखाया कि किस तरह एक सरल दिखने वाला उपकरण भी युद्ध में घातक हथियार बन सकता है.
इज़राइल का साइबर हमला?
इस घटना को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, लेकिन अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि इज़राइल ही इस हमले के पीछे हो सकता है. हालांकि इज़राइल ने आधिकारिक तौर पर इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है, लेकिन समाचार एजेंसी रॉयटर्स के अनुसार, इज़राइल की साइबर खुफिया शाखा 'यूनिट 8200' ने इस ऑपरेशन को अंजाम दिया.
#BREAKING: Hezbollah’s Internal Military Intelligence Document claims 879 Hezbollah members were killed as a result of explosion of its internal communication network devices such as pagers and walkie-talkies. 131 Iranians, 79 Yemenis, of which 291 senior officials were killed. pic.twitter.com/bJADRz8Y9T
— Aditya Raj Kaul (@AdityaRajKaul) September 20, 2024
ऑपरेशन की गहराई: एक साल से ज्यादा समय का प्लान
रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिज़बुल्लाह ने अपने नेटवर्क के लिए लगभग 5,000 पेजर ऑर्डर किए थे. इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इन पेजरों के अंदर छोटे-छोटे विस्फोटक फिट कर दिए थे. इसके बाद, 'यूनिट 8200' ने इन पेजरों के माध्यम से साइबर हमले को अंजाम दिया. 'यूनिट 8200' इज़राइल की एक सैन्य साइबर एजेंसी है, जो मोसाद से अलग है और विशेष रूप से साइबर संचालन में माहिर है. इस ऑपरेशन को अंजाम देने में एक साल से अधिक का समय लगा, जो यह दर्शाता है कि यह एक बहुत ही योजनाबद्ध और उच्च तकनीकी हमला था.
हिज़बुल्लाह और उसके सहयोगियों पर प्रभाव
इस हमले ने हिज़बुल्लाह को भारी क्षति पहुंचाई है, खासकर इसलिए क्योंकि इसके कई वरिष्ठ अधिकारी इस विस्फोट में मारे गए. संगठन की आंतरिक सुरक्षा और उसकी तकनीकी क्षमताओं पर भी गंभीर सवाल उठे हैं. यह हमला संगठन के मनोबल को झटका देने वाला साबित हो सकता है, क्योंकि इसने संगठन की संचार व्यवस्था को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है.
इस हमले के बाद, विश्व के कई देशों में यह चर्चा का विषय बन गया है कि आधुनिक युद्ध में तकनीक किस हद तक महत्वपूर्ण हो गई है. पेजर और वॉकी-टॉकी जैसे सामान्य उपकरणों का उपयोग इतने बड़े पैमाने पर हमले के लिए किया जा सकता है, यह किसी ने सोचा भी नहीं था.
यह हमला न केवल हिज़बुल्लाह के लिए, बल्कि विश्व के हर सैन्य संगठन के लिए एक चेतावनी है कि तकनीकी युग में साइबर हमले और उपकरणों के माध्यम से होने वाली घातक घटनाएं अब आम बात हो सकती हैं. इज़राइल की 'यूनिट 8200' ने यह दिखा दिया है कि युद्ध के मैदान में अब केवल हथियारों से नहीं, बल्कि तकनीकी क्षमताओं से भी जीत हासिल की जा सकती है.