ईरान-इस्राएल युद्ध: रिपोर्टिंग को सेंसर करने वाले टूल्स
प्रतीकात्मक तस्वीर (Photo Credit: Image File)

इस समय ईरान में स्वतंत्र जानकारी पाना असंभव है. इस्राएल में सैन्य ठिकानों और तबाही को दिखाने वाले वीडियो को सेंसर किया जा रहा है. पर्यवेक्षकों की चेतावनी है कि इस्राएल में व्यापक संघर्ष की रिपोर्टिंग पर भी अंकुश हैं.इस्राएल और ईरान के बीच युद्ध के दूसरे हफ्ते की शुरुआत से ही संघर्ष के बारे में जानकारी पाना कई मायनों में और अधिक कठिन हो गया है. हुआ यह कि ईरान ने पहले तो इंटरनेट की स्पीड को कम किया और फिर आगे चलकर अपना इंटरनेट ही बंद कर दिया.

ईरान की सरकार ने दावा किया कि इस्राएली ड्रोन सिम कार्ड इंटरनेट कनेक्शन के जरिए काम कर रहे थे और इंटरनेट बंद करना इस्राएल की साइबर युद्ध छेड़ने की क्षमता को सीमित करने के लिए जरूरी था. नतीजतन, ईरान में वेबसाइट, मोबाइल ऐप और ऑनलाइन मैसेंजर उपलब्ध नहीं हैं. इसका मतलब है कि ईरानियों को युद्ध, मरने वालों की संख्या, विनाश या हाल ही में हुए अमेरिकी हमलों के बारे में जो भी खबरें मिलती हैं, वे केवल ईरान की सरकार और उसके सरकारी मीडिया से आती हैं.

ईरानी अधिकारियों ने डीडब्ल्यू के पत्रकारों समेत अंतरराष्ट्रीय संवाददाताओं पर भी जमीनी स्तर पर संघर्ष की रिपोर्टिंग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है. जर्मनी में रहने वाले एक ईरानी व्यक्ति ने डीडब्ल्यू को बताया, "मेरी मां ने मुझसे कहा कि मैं उन्हें बताऊं कि क्या हो रहा है." यह व्यक्ति वीकेंड पर कुछ मिनटों के लिए तेहरान में अपनी मां को फोन कर पाया था. अपने खिलाफ कार्रवाई की आशंका से उसने डीडब्ल्यू से अपना नाम प्रकाशित नहीं करने के लिए कहा है. वह कहते हैं, "उन्हें (मां को) इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि तेहरान के किस हिस्से पर हमला हुआ है."

उधर इस्राएल के भीतर चल रहे संघर्ष के बारे में भी न्यूज पाना संभव तो है, लेकिन पिछले हफ्ते इस्राएली सेंसर गाइडलाइंस को अपडेट कर नियमों को और सख्त करने पर चर्चा हुई. ये गाइडलाइंस स्थानीय पत्रकारों और अंतरराष्ट्रीय संवाददाताओं के लिए कानूनी रूप से बाध्यकारी हैं. जाहिर है कि नए नियम डीडब्ल्यू के येरुशलम स्टूडियो की प्रमुख तानिया क्रेमर पर भी असर डालते हैं. उन्होंने येरुशलम से बताया, "अब तक, सैन्य प्रतिष्ठानों या सैनिकों के किसी भी फुटेज को प्रकाशित करने से पहले मिलिट्री सेंसर से पास कराना होता था."

उन्होंने बताया कि आम तौर पर सेंसर ऑफिस वीडियो को काफी जल्दी रिलीज कर देता है लेकिन "सैनिकों के चेहरे को धुंधला करना पड़ता था." इस हफ्ते से नियमों में बदलाव किया गया है. क्रेमर ने कहा, "अब ऐसा लगता है कि हमें मिसाइलों के गिरने की लाइव लोकेशन दिखाने की अनुमति नहीं है."

इस्राएली समाचार पत्र हारेत्ज के अनुसार, इस्राएली राष्ट्रीय सुरक्षा मंत्री इतामार बेन-ग्वीर और संचार मंत्री श्लोमो कारही ने पुलिस को नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिसके तहत पुलिस को पत्रकारों को हटाने या गिरफ्तार करने की अनुमति दी गई है, अगर उन्हें लगे कि मीडिया संगठन किसी जगह का डॉक्यूमेंटेशन कर रहे हैं.

इस्राएल में कम होती प्रेस की आजादी

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) के क्राइसिस डेस्क के प्रमुख मार्टिन रूक्स ने कहा, "इस्राएल में, सभी मीडिया आउटलेट्स को सुरक्षा मुद्दों से संबंधित कोई भी लेख या रिपोर्ट सैन्य सेंसर को सौंपने के लिए कानून द्वारा बाध्य किया जाता है."

आरएसएफ एक अंतरराष्ट्रीय गैरसरकारी संगठन है जो प्रेस की स्वतंत्रता, विविधता और पत्रकारिता की आजादी की रक्षा के लिए काम करता है. आरएसएफ ने डीडब्ल्यू को बताया, "मीडिया को मिलिट्री सेंसरशिप के बारे में जनता को बताने की अनुमति नहीं है." उन्होंने कहा कि वैसे तो ऐसा कई सालों से होता आ रहा है, लेकिन 7 अक्टूबर 2023 को इस्राएल पर हमास के आतंकी हमलों के बाद से सेंसरशिप बढ़ गई है. रूक्स ने कहा, "इस्राएली सरकार के सदस्यों ने इन युद्धों पर रिपोर्टिंग करने वाले मीडिया संस्थानों के खिलाफ आक्रामक बयानबाजी की है, जो आधिकारिक कथन के विपरीत है."

स्वतंत्र इस्राएली ऑनलाइन आउटलेट +972 मैगजीन के कार्यकारी निदेशक हगाई मातर के अनुसार, इस्राएल के सैन्य सेंसर ने 2024 में 1,635 लेखों के प्रकाशन पर रोक लगा दी है. वेबसाइट पर हाल ही में लिखे एक लेख में उन्होंने लिखा, "यह 2011 के बाद से सेंसरशिप का सबसे चरम स्तर है."हालांकि उन्होंने रूक्स के इस विचार को दोहराया कि यह काम क्षेत्र में विभिन्न संघर्षों के कारण किया गया है, लेकिन सैन्य सेंसर ने आधिकारिक कारणों का खुलासा नहीं किया है.

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के नवीनतम प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 2025 में 180 देशों में से इस्राएल को 112वें स्थान पर रखा गया है. यह 2024 की तुलना में 11 रैंक की गिरावट है. अल जजीरा टीवी नेटवर्क पर प्रतिबंध जैसी अन्य घटनाओं ने इस्राएल के अन्यथा विविधतापूर्ण मीडिया परिदृश्य को और अधिक सीमित कर दिया है. इस्राएली सेना के अनुसार, मई 2024 में अल जजीरा टीवी को इस्राएल में बंद कर दिया गया था और उनके रामल्लाह स्टूडियो को "राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा" बताकर बंद कर दिया गया था. इस्राएल ने आरोप लगाया कि प्रसारक का एक कर्मचारी हमास का कमांडर था, जिसे व्यापक रूप से आतंकवादी संगठन के रूप में वर्गीकृत किया जाता है. तब से हमास के साथ संबंध बनाए रखने वाले अल जजीरा को इस्राएल में रिपोर्टिंग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया है.

कतर के धन से चलने वाले अल जजीरा की ही तरह, इस्राएली पब्लिक ब्रॉडकास्टिंग कॉर्पोरेशन कान सरकारी धन से चलता है. कान पर भी 2024 में सरकारी दबाव में आने के आरोप चले थे और मंत्रियों ने इसके निजीकरण की मांग की थी. उनका कहना था कि सार्वजनिक प्रसारण की कोई जरूरत या गुंजाइश नहीं है. हालांकि, 2025 की शुरुआत में इस फैसले को टाल दिया गया.

कितने संघर्षों का बोझ उठा सकती है इस्राएल की अर्थव्यवस्था?

फरवरी में, इस्राएल के सभी सरकार से धन लेने वाले संस्थानों को देश के स्थापित हारेत्ज अखबार के साथ संबंध तोड़ने पड़े, क्योंकि हारेत्ज के प्रकाशक अमोश शॉकेन ने प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू की सरकार की आलोचना की थी. +972 पत्रिका के संपादक मटर ने कहा कि इसके साथ ही सरकार समर्थक मीडिया संगठनों को भी तेजी से धन मिल रहा है. फिर भी इस्राएल की तकनीकी प्रेमी आबादी इंटरनेट से जानकारी ले पा रही है. साथ ही, सभी ऐप और मैसेंजर काम कर रहे हैं, जिसमें ईरान से आने वाले रॉकेटों के बारे में अलर्ट भी शामिल हैं.

इस्राएल नियमित रूप से ऑनलाइन घोषणा करता है कि वह तेहरान और दूसरे शहरों के किन इलाकों को निशाना बनाने जा रहा है. वहीं, ईरान में इंटरनेट पर प्रतिबंध के कारण वहां के लोग इन चेतावनियों से काफी हद तक अनजान हैं.

इंटरनेट बंद करना व्यापक सेंसरशिप का हिस्सा

हेग इंस्टीट्यूट फॉर जियोपॉलिटिक्स के रणनीतिक विश्लेषक दामोन गोलरित्स ने डीडब्ल्यू से कहा, "सेंसरशिप लंबे समय से असहमति की आवाजों को दबाने की इस्लामी शासन की रणनीति का केंद्रीय स्तंभ रहा है."

गोलरित्स ने कहा, "सोशल मीडिया ईरानियों के लिए सूचना का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, लेकिन यह गलत सूचना, भ्रामक जानकारी और यहां तक ​​कि अनाम यूजरों के दमन के माध्यम से स्वतंत्र बयानों के खिलाफ युद्ध में शासन के लिए एक शक्तिशाली औजार के रूप में भी काम करता है." उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान इंटरनेट शटडाउन के दौरान कई प्रमुख कार्यकर्ताओं को चेतावनी दी गई है या गिरफ्तार किया गया है. एक मामले में लंदन के ईरानी पत्रकार के परिवार को परेशान किया गया. बर्लिन में ईरानी पत्रकार महताब घोलिजादेह के लिए, ईरान की बढ़ी हुई सेंसरशिप, इस्राएली साइबर घुसपैठ को रोकने या नुकसान या बढ़ती हुई मौतों के बारे में जानकारी को लोगों से छिपाने से कहीं अधिक है.

ईरान के परमाणु ठिकानों को नुकसान लेकिन पूरी तस्वीर साफ नहीं

गोलरित्स का कहना है, "यह आंतरिक अशांति का डर है. इंटरनेट जनता की लामबंदी के लिए एक शक्तिशाली उत्प्रेरक है, और शासन जानता है कि संकट के समय में, डिजिटल कनेक्टिविटी एक सत्तावादी शासन के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई के लिए एक चिंगारी के रूप में काम कर सकती है." हालांकि, उनके विचार में, इंटरनेट पर प्रतिबंध लंबे समय तक नहीं चलेगा. गोलरित्स ने कहा, "ईरानी शासन जानता है कि वह पूर्ण शटडाउन को कायम नहीं रख पाएगा, क्योंकि तकनीकी और आर्थिक बाधाएं आखिरकार उसे फिर से जुड़ने के लिए बाध्य करेंगी." उन्होंने आगे कहा कि पिछले वीकेंड पर ही कुछ गिने चुने पत्रकारों और मीडिया संस्थानों को पहले ही ईरान ने अपने "व्हाइट इंटरनेट" की पहुंच मुहैया करा दी थी. यह ईरान सरकार की नियंत्रित इंटरनेट सेवा है.